Advertisement

हज कमेटी में भ्रष्टाचार! AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्रीय मंत्री को लिखा पत्र, निष्पक्ष जांच की मांग

AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने पत्र के जरिए मांग की है कि हज कमेटी के टॉप अधिकारियों के कार्यों की स्वतंत्र जांच की जाए. मंत्रालय के किसी भी प्रभाव से रहित स्वतंत्र प्रक्रिया के डरिए एक नए, नियमित सीईओ की तत्काल नियुक्ति की जाए.

AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (फाइल फोटो) AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (फाइल फोटो)
मिलन शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 07 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 3:26 AM IST

AIMIM चीफ और हैदराबाद (Hyderabad) से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भारतीय हज समिति में भ्रष्टाचार को लेकर अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू को पत्र लिखा है. ओवैसी ने कहा, "मेरे संज्ञान में आया है कि हज कमेटी के कुछ अधिकारियों पर सत्ता का दुरुपयोग करने और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. इस संबंध में मैंने एक पत्र अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री को पहले ही उपलब्ध करा दिया गया है, जिसमें इन गतिविधियों में शामिल अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं."

Advertisement

असदुद्दीन ओवैसी ने अपने पत्र में कमेटी के कई टॉप अधिकारियों पर आरोप लगाए हैं, जिसमें कई प्वाइंट शामिल हैं.

CEO की नियुक्ति में देरी: कुछ सीनियर अधिकारी जानबूझकर नए सीईओ की नियुक्ति में देरी कर रहे हैं, जबकि इस पद के लिए विज्ञापन की अधिसूचना 03/11/2023 को ही जारी हो चुकी है. यह भी आरोप लगाया गया है कि सीनियर अधिकारी नियुक्ति में देरी कर रहे हैं, जिससे वे अपने पद से जुड़े लाभों का आनंद लेना जारी रख सकें, जिसमें सऊदी अरब की यात्रा और अपने परिवार और दोस्तों को हज टेंडर देना शामिल है.

बिल्डिंग सेलेक्शन में भ्रष्टाचार: यह भी आरोप लगाया गया है कि सीनियर अधिकारी ने भवन निरीक्षण-सह-चयन समिति की नियुक्ति को प्रभावित किया, जिससे खुद को इसका अध्यक्ष नियुक्त कर सके. समिति को 2024 के हज के लिए भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए मक्का, सऊदी अरब में भवनों के चयन के साथ-साथ निरीक्षण का काम सौंपा गया है. उक्त अधिकारियों ने अन्य सीनियर अधिकारियों के सहयोग से घटिया भवनों का चयन किया, जिससे हज यात्रियों को काफी असुविधा और परेशानी हुई. यह भी माना जाता है कि घटिया भवनों के इस चयन ने इन अधिकारियों को धन का गबन करने का मौका दिया.

Advertisement

कर्मचारियों की गलत तरीके से बर्खास्तगी: कमेटी से जुड़े अधिकारी ने कथित तौर पर उन कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है, जो हज कमेटी मुंबई कार्यालय में 14 से 15 साल से काम कर रहे थे, और अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता रखते थे. बताया जाता है कि ये कर्मचारी 30-35 हजार के बीच वेतन ले रहे थे. इन अहम कर्मचारियों की बर्खास्तगी की वजह से हज 2024 के दौरान मिसमैनेजमेंट की स्थिति पैदा हो गई.

यह भी पढ़ें: असदुद्दीन ओवैसी ने हज कमेटी पर लगाया लापरवाही का आरोप, सरकार पर साधा निशाना

पक्षपात: सीनियर अधिकारी पर यह भी आरोप है कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों को हज कमेटी के दिल्ली कार्यालय में नियुक्त किया है और उन्हें हज फंड से काफी रकम (50-60 हजार) दी है. एक अन्य सीनियर अधिकारी पर आरोप है कि उसने अपने एक रिश्तेदार को हज कमेटी के मुंबई ऑफिस से बर्खास्त किए जाने के बावजूद उसे नौकरी पर बनाए रखने में मदद की. दरअसल, उक्त रिश्तेदार को हज फंड से वेतन दिया जाता रहा है.

ट्रांसफर में धांधली: भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारी अपना ट्रांसफर भी प्रभावित कर रहा है, जो इस तथ्य से साफ है कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय से पिछले 8 साल से उसका ट्रांसफर नहीं किया गया है, जो सीएसएस नियमों के खिलाफ है.

Advertisement

फंड का गलत इस्तेमाल: एक सीनियर अधिकारी पर एचजीओ के धन को हज समिति से मंत्रालय के फंड में ट्रांसफर करने में हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाया गया है, जिससे इसका उपयोग उनके निजी खर्चों के लिए किया जा सके.

स्वतंत्र जांच की मांग

असदुद्दीन ओवैसी ने पत्र के जरिए मांग की है कि हज कमेटी के टॉप अधिकारियों के कार्यों की स्वतंत्र जांच की जाए. मंत्रालय के किसी भी प्रभाव से रहित स्वतंत्र प्रक्रिया के डरिए एक नए, नियमित सीईओ की तत्काल नियुक्ति की जाए. 

यह भी पढ़ें: 'हाजियों से वसूल लिए लाखों, लेकिन नहीं दी कोई सुविधा', ओवैसी ने हज कमेटी पर लगाए आरोप

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement