Advertisement

मेधा पाटकर के खिलाफ मानहानि मामले में फैसला सुरक्षित, कोर्ट 1 जुलाई को सुनाएगा निर्णय

अदालत ने मई के महीने में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को इस मामले में दोषी ठहराया था. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने मेधा पाटकर को आपराधिक मानहानि का दोषी पाया था. अदालत ने कहा कि यह साबित हो चुका है कि आरोपी मेधा पाटकर ने इस इरादे और ज्ञान के साथ आरोप प्रकाशित किए कि वे शिकायतकर्ता की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाएंगी.

मेधा पाटकर और वीके सक्सेना (Photo: PTI) मेधा पाटकर और वीके सक्सेना (Photo: PTI)
सृष्टि ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 08 जून 2024,
  • अपडेटेड 4:46 AM IST

दिल्ली की एक अदालत 1 जुलाई को सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की सजा पर फैसला सुनाएगी. दिल्ली के वर्तमान उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा गुजरात में एक एनजीओ का नेतृत्व करने के दौरान मेधा पाटकर के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था. इस मामले में अदालत के निर्देशानुसार दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) द्वारा विक्टिम इंपैक्ट रिपोर्ट दाखिल करने के बाद आदेश सुरक्षित रखा गया है. ये रिपोर्ट किसी आरोपी के दोषी ठहराए जाने के बाद पीड़ित को हुए नुकसान का आकलन करने के लिए तैयार की जाती है.

Advertisement

अदालत ने मई के महीने में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को इस मामले में दोषी ठहराया था. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने मेधा पाटकर को आपराधिक मानहानि का दोषी पाया था. अदालत ने कहा कि यह साबित हो चुका है कि आरोपी मेधा पाटकर ने इस इरादे और ज्ञान के साथ आरोप प्रकाशित किए कि वे शिकायतकर्ता की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाएंगी. 

इस मामले में 30 मई को हुई सुनवाई के दौरान वीके सक्सेना के वकील ने मेधा पाटकर के लिए अधिकतम सजा की मांग करते हुए कहा था कि एक उदाहरण स्थापित करने की जरूरत है. इस अपराध के लिए अधिकतम 2 साल तक की साधारण कारावास या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है. वीके सक्सेना के वकील ने कहा था कि मेधा पाटकर ने 2006 में एक ही प्रकृति का दोहरा अपराध किया था और वर्तमान एलजी द्वारा दायर एक और मानहानि का मामला वर्तमान अदालत के समक्ष लंबित है.

Advertisement

हालांकि मेधा पाटकर के वकील ने दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि कोई गंभीर परिस्थितियां नहीं थीं न ही कोई दोहरा अपराध था. उन्होंने कहा कि मेधा पाटकर की उम्र 70 साल होने और कई बीमारियों से पीड़ित होने जैसी कई परिस्थितियां थीं. कुछ मेडिकल रिकॉर्ड जमा करने के बाद वकील ने कहा कि मेधा पाटकर को 28 राष्ट्रीय पुरस्कार और 5 अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं, जिनमें 'द राइट लाइवलीहुड अवार्ड' भी शामिल है, जिसे व्यापक रूप से नोबेल पुरस्कार के विकल्प के रूप में माना जाता है. उन्होंने कहा कि मैं केवल अदालत से आग्रह करूंगा कि वह इस पर विचार करे.

24 मई को दिए गए अपने सजा आदेश में अदालत ने पाया कि मेधा पाटकर ने वीके सक्सेना पर हवाला लेनदेन में संलिप्तता का आरोप लगाया गया था, जो न केवल अपने आप में अपमानजनक था, बल्कि उनके बारे में नकारात्मक धारणाओं को भड़काने के लिए भी गढ़ा गया था. साथ ही यह आरोप कि शिकायतकर्ता गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए गिरवी रख रहे थे. यह उनकी ईमानदारी और सार्वजनिक सेवा पर सीधा हमला था. 

मेधा पाटकर और वीके सक्सेना के बीच 2000 से कानूनी लड़ाई चल रही है, जब उन्होंने उनके और नर्मदा बचाओ आंदोलन के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए मेधा पाटकर के खिलाफ मुकदमा दायर किया था. वीके सक्सेना उस समय अहमदाबाद स्थित 'काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज' नामक एक एनजीओ के प्रमुख थे. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement