Advertisement

'कोर्ट की आलोचना स्वीकार, लेकिन जजों पर निजी हमले ठीक नहीं,' नूपुर शर्मा पर टिप्पणी करने वाले जज पारदीवाला बोले

नूपुर शर्मा की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पारदीवाला ने कहा था कि उदयपुर में हुए हत्याकांड के लिए नूपुर शर्मा जिम्मेदार हैं. उन्हें पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए.

जस्टिस जेबी पारदीवाला (File Photo) जस्टिस जेबी पारदीवाला (File Photo)
अनीषा माथुर
  • नई दिल्ली,
  • 03 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 6:54 PM IST
  • जस्टिस खन्ना की याद में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में शामिल हुए जस्टिस पारदीवाला
  • जस्टिस पारदीवाला बोले- संसद को सोशल मीडिया पर नियंत्रण के बारे में सोचना चाहिए

नूपुर शर्मा पर टिप्पणी करने वाले जज जस्टिस जेबी पारदीवाला ने रविवार को आलोचकों को जवाब दिया. उन्होंने कहा कि कोर्ट की आलोचना स्वीकार है. लेकिन जजों पर निजी हमले नहीं किए जाना चाहिए. यह ठीक नहीं है.

बता दें कि नूपुर शर्मा ने देश के अलग-अलग शहरों में उन पर की गई एफआईआर दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि अलग-अलग शहरों में सुनवाई के लिए जाने पर उनकी जान को खतरा हो सकता है. मामले पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पारदीवाला ने सुनवाई की थी. उन्होंने कहा था कि उदयपुर में हुए हत्याकांड के लिए नूपुर शर्मा जिम्मेदार हैं. उन्हें पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए.

Advertisement

और क्या बोले जस्टिस पारदीवाला?

जस्टिस जेबी पारदीवाला CAN फाउंडेशन द्वारा पूर्व जस्टिस एचआर खन्ना की याद में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोल रहे थे. उन्होंने आगे कहा कि डिजिटल और सोशल मीडिया पर नियंत्रण की होना चाहिए. खासतौर पर ऐसे मामलों में जो संवेदनशील हैं. संसद को इस पर लगाम लगाने के बारे में सोचना चाहिए.

सोशल मीडियो को रेगुलेट करने की जरूरत

जस्टिस पारदीवाला ने आगे कहा कि हमारे संविधान के तहत कानून के शासन को बनाए रखने के लिए पूरे देश में डिजिटल और सोशल मीडिया को रेगुलेट करने की जरूरत है. अपने फैसलों के लिए जजों पर हमले एक खतरनाक परिदृश्य की तरफ ले जा रहे हैं, जहां जजों को यह सोचना पड़ता है कि मीडिया क्या सोचता है. बजाय इसके कि कानून वास्तव में क्या कहता है.

Advertisement

सोशल मीडिया ट्रायल न्याय व्यवस्था में हस्तक्षेप

जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि सुनवाई (ट्रायल) एक अदालतों द्वारा की जाने वाली एक प्रक्रिया है. हालांकि, आधुनिक समय के संदर्भ में डिजिटल (सोशल) मीडिया का ट्रायल करना न्याय व्यवस्था की प्रक्रिया में एक अनुचित हस्तक्षेप है, जो कई बार लक्ष्मण रेखा को पार कर जाता है. यह चिंताजनक है, वह वर्ग न्यायिक प्रक्रिया की छानबीन करना शुरू कर देता है, जिसके पास केवल आधा सच होता है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement