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देश भर में जहां एक तरफ कोरोना का संकट छाया है वहीं देश में वैक्सीनेशन अभियान भी जोर शोर से शुरू हुआ, लेकिन इसी बीच वैक्सीन की कमी भी चर्चा में है. वहीं यह भी कहा जा रहा है कि 6 करोड़ की जगह सिर्फ दो करोड़ ही डोज़ डिलीवर किये गए हैं.
इस पर कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने वैक्सीन बनने की प्रक्रिया का जिक्र करते हुए जवाब दिया है. उनका कहना है कि टीकों का निर्माण, परीक्षण, रिलीज और वितरण... सैकड़ों चरणों वाली एक जटिल और बहुक्रियात्मक प्रक्रिया है, जिसके लिए मानव संसाधनों के विविध संसाधनों की आवश्यकता होती है.
वैक्सीन से लेकर लोगों के वैक्सीनेशन तक इंटरनेशनल सप्लाई चेन, निर्माताओं, नियामकों, राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसियों से अत्यधिक समन्वय भरे प्रयासों की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि टीकों का उत्पादन एक चरण-दर-चरण प्रक्रिया है, जिसमें कई मानक प्रक्रियाएं शामिल हैं. वैक्सीन को वैक्सीनेशन तक पहुंचने के क्रम में कोवैक्सीन को लगभग चार महीने का समय लगता है.
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मिली जानकारी के मुताबिक COVAXIN के एक बैच के निर्माण, परीक्षण और रिलीज की समय सीमा लगभग 120 दिन है, जो प्रौद्योगिकी ढांचे और नियामक दिशानिर्देशों को पूरा करने पर निर्भर करता है. इस प्रकार, कोवैक्सीन के उत्पादन बैच जो इस वर्ष मार्च के दौरान शुरू किए गए थे, केवल जून के महीने में आपूर्ति के लिए तैयार होंगे.
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के दिशानिर्देशों के आधार पर, भारत में आपूर्ति किए जाने वाले सभी टीकों को परीक्षण के लिए प्रस्तुत करने और केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला, भारत सरकार को जारी करने के लिए अनिवार्य है. राज्य और केंद्र सरकारों को आपूर्ति किए गए टीकों के सभी बैच भारत सरकार से प्राप्त आवंटन ढांचे पर आधारित हैं.
दी गयी जानकारी के मुताबिक भारत बायोटेक की राज्य और केंद्र सरकार के डिपो तक वैक्सीन की आपूर्ति के लिए समय सीमा लगभग दो दिन है. इन डिपो में प्राप्त टीकों को राज्य सरकारों द्वारा अपने-अपने राज्यों के विभिन्न जिलों में वितरित किया जाना है. इसके लिए अतिरिक्त दिनों की आवश्यकता है.