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Corona omicron in India: कोरोना ही ओमिक्रॉन.. NTAGI चेयरमैन का दावा- नए वैरिएंट के हैं 80% केस

देश में कोरोना की तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है. एक्सपर्ट मान रहे हैं कि अब भारत में ओमिक्रॉन ही डोमिनेंट वैरिएंट बन चुका है. 70-80% मामले ओमिक्रॉन वैरिएंट के ही आ रहे हैं. बंगाल और दूसरे नॉर्थ ईस्ट राज्यों में डेल्टा अभी भी सक्रिय है.

ओमिक्रॉन की बढ़ती दहशत ओमिक्रॉन की बढ़ती दहशत
तेजश्री पुरंदरे
  • नई दिल्ली,
  • 09 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 12:44 PM IST
  • देश में तेजी से फैल रहा ओमिक्रॉन वैरिएंट
  • हॉस्पिटलाइजेशन कम, कोरोना प्रोटोकॉल का पालन जरूरी
  • दो से तीन महीनों में बाजार में पांच और वैक्सीन

देश में कोरोना के मामले फिर रिकॉर्ड स्पीड से बढ़ रहे हैं. हर राज्य में ताबड़तोड़ मामले सामने आ रहे हैं. ओमिक्रॉन की वजह से भी मामलों में तेजी देखने को मिल रही है. लेकिन अब ये तीसरी लहर कितनी खरतनाक होने वाली है, ओमिक्रॉन का कितना खतरा माना जा सकता है. क्या आने वाले समय में ज्यादा मौतें भी होने वाली हैं? अब इन सभी सवालों का जवाब  NTAGI के चेयरमैन डॉक्टर एन के अरोड़ा ने विस्तार से दिया है.

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कई गुना बढ़ गए मामले

डॉ अरोड़ा ने बताया कि अब तीसरी लहर दस्तक दे चुकी है. यह बेहद खतरनाक है और यह वायरस उसी तरह से बिहेव कर रहा है जैसे पहले किया था. दुनिया के सारे पश्चिमी देशों में यह आग की तरह फैल रहा है और भारत में भी इसका प्रकोप देखने को मिल रहा है. भारत में एक हफ्ते में कई गुना मामले बढ़ गए हैं. रफ्तार इस बात बार निर्भर करेगी कि हम कितना कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हैं.

उन्होंने आगे कहा कि आने वाले समय में और मामले बढ़ेंगे. इस लहर को आगे ओमिक्रॉन ही बढ़ा रहा है और ज्यादातर मामले भी इसी वैरिएंट के सामने आ रहे हैं. करीब 70-80% प्रतिशत मामले ओमिक्रॉन से संक्रमित मरीजों के हैं. नॉर्थ ईस्ट के प्रदेश और बंगाल में अभी डेल्टा सक्रिय है. वहां पर इसी के केसेस ज्यादा देखने को मिल रहे हैं. डॉक्टर ने जोर देकर कहा है कि डेल्टा में हॉस्पिटलाइजेशन की ज्यादा जरूरत थी लेकिन ओमिक्रॉन में फिलहाल गंभीर समस्याएं नहीं देखी गई हैं. उन्होंने अपील की है कि इस सब के बावजूद भी बुजुर्गों को अपना ध्यान रखना होगा.

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खतरा बड़ा, वैक्सीन तैयार

हालांकि उन्होंने यह भी कहा की ओमिक्रॉन से डरने की जरूरत नहीं है. बहुत कम लोगों को अस्पताल में जाने की जरूरत है. ह़मारी युद्ध स्तर की तैयारियां की जा चुकी हैं. ऑक्सीजन से लेकर आईसीयू बेड तक, हम हर तरह से तैयार हैं. पहली और दूसरी लहर से बहुत बड़ी सीख ली है. हम चाहते हैं कि पीक बहुत ज्यादा न आए, इसलिए वीकेंड और नाइट कर्फ्यू लगाए जा रहे हैं. इससे 20-25% मूवमेंट कम होगा, इससे बीमारी नहीं जाती लेकिन ग्रोथ धीमी हो जाती है. इस सब के अलावा डॉक्टर ने वैक्सीन को लेकर भी विश्वास जताया. वे कहते हैं कि अगले दो से तीन महीनों में चार से पांच वैक्सीन और आ जाएंगी जो भारत में निर्मित हैं. साथ ही mRNA वैक्सीन आठ हफ्तों में आ जाएगी और Intranasal वैक्सीन छह हफ्तों में आने की उम्मीद है.

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