
दिल्ली समेत पूरे देश में 60 साल से अधिक उम्र के लोगों के साथ-साथ 20 गंभीर बीमारियों से ग्रस्त 45 साल से अधिक उम्र के लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाने का सिलसिला मार्च के महीने से शुरू होने जा रहा है. इनमें डायबिटीज (शुगर), हाइपरटेंशन, किडनी, लीवर, ल्यूकेमिया, एचआईवी ग्रसित, बोन मेरो फेलियर और हार्ट फेलियर समेत 20 गंभीर बीमारियों को शामिल किया गया है. इसमें कैंसर से पीड़ित लोग भी शामिल किए गए हैं. आम लोगों के लिए वैक्सीन लगवाने की क्या प्रक्रिया होगी? ये जानने के लिए 'आजतक' ने दिल्ली में कोविड-19 वैक्सीनेशन प्रोग्राम के तहत नियुक्त की गईं पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर सुनीला गर्ग से खास बातचीत की.
सवाल: वैक्सीनेशन के तीसरे चरण के लिए क्या तैयारियां हैं और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में क्या बदलाव किए गए हैं?
जवाब: डॉक्टर सुनीला गर्ग ने बताया कि आम लोगों में बुजुर्गों को प्राथमिकता दी गई है. क्योंकि 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में कई तरह की गंभीर बीमारियां, जैसे स्ट्रोक, डायबिटीज, हाइपरटेंशन, कैंसर पाया जाता है. और इनको अगर कोविड-19 इंफेक्शन होगा तो वह ज्यादा घातक होगा, जो मृत्यु की एक वजह भी बन जाता है. ठीक उसी तरह से 45 साल से ज्यादा उम्र वाले लोग, जिनमें गंभीर बीमारियां हैं वह भी रिस्क पर हैं. इन लोगों का अगर जल्द से जल्द टीकाकरण किया जाएगा तो उनमें कोरोना का संक्रमण होने की संभावना बहुत कम हो जाएगी और मृत्युदर में भी कमी आएगी.
सवाल: क्या वैक्सीनेशन के लिए आम लोगों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो गई है?
जवाब: डॉक्टर सुनीला गर्ग मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज के डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन की डायरेक्टर और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की सलाहकार भी हैं. उन्होंने बताया कि को-विन ऐप में पहले काफी दिक्कतें थीं, लेकिन इस ऐप का प्लेटफार्म बहुत खास है. इस ऐप में रोज 50 लाख रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. को-विन ऐप का ये मॉड्यूल लाभार्थियों के लिए रविवार तक खुल जाएगा, जिसमें लाभार्थी ख़ुद ही रजिस्टर कर सकेंगे.
आगे डॉक्टर सुनीला गर्ग ने बताया कि Co-Win ऐप को आरोग्य सेतु ऐप से भी लिंक किया गया है. साथ ही एक खास मॉडल अपनाया गया है, ताकि तीसरे चरण के लाभार्थी आसानी से वैक्सीनेशन पॉइंट तक जाकर टीकाकरण करा सकें. आम लोगों को वैक्सीनेशन के दौरान वोटर आई-डी, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या फोटो आई-डी दिखाना ज़रूरी होगा.
साथ ही तकनीक की जानकारी कम होने की वजह से ग्रामीण इलाकों में वैक्सीनेशन के लिए स्वास्थ्य कर्मचारियों की मदद ली जाएगी. स्वास्थ्य कर्मी ऐसे लोगों की पहचान करेंगे और उन्हें टीकाकरण केंद्र तक वैक्सीन लगवाने ले जाएंगे.
इसके अलावा दिल्ली या बड़े शहरों में जहां बाहर से आकर लोग काम करते हैं अगर उनका आधार कार्ड उनके अपने राज्य का है, तो ऐसे लोग अपनी कंपनी द्वारा जारी की गई ऑफिस आई-डी भी ले जा सकते हैं. कुछ उम्रदराज लोग ऐसे भी हैं जो पहले किसी अन्य राज्य में काम करते थे और अब दिल्ली में या किसी अन्य शहर में आकर रहने लगे हैं, तो ऐसे लोगों को उनके राज्य या शहर में जाने की ज़रूरत नहीं है. वो जहां रह रहे हैं उसी शहर में अपनी वैध फोटो आई-डी के साथ वैक्सीनेशन साइट पर जाकर, अपने मौजूदा रेजिडेंस एड्रेस की जानकारी देकर वैक्सीनेशन करा सकते हैं.
सवाल: तीसरे फेज़ के वैक्सीनेशन के लिए कितने लोग रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं?
जवाब: सरकार हर 10 साल में जनगणना करती है और इसके अलावा सैम्पल रजिस्ट्रेशन स्कीम के ज़रिए जन्म, मृत्यु और विवाह का डेटा भी मौजूद है. उसके आधार पर देश में 10 करोड़ के लोग करीब ऐसे होंगे जो 60 साल से अधिक उम्र के हैं. करीब 2 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो 45 साल से ज़्यादा हैं और गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं. ठीक इसी तरह दिल्ली का डेटा भी निकाला जाएगा.
सवाल: सरकारी और प्राइवेट अस्पताल के अलावा वैक्सीन किन जगहों पर लगवाई जा सकती है?
जवाब: देश में करीब 29 हज़ार से ज़्यादा कोल्ड चेन पॉइंट्स हैं और दिल्ली में 620 से ज़्यादा कोल्ड चेन पॉइंट्स हैं जहां वैक्सीन स्टोर की जाती है. देशभर में पहले चरण में 10 हज़ार प्राइवेट सेक्टर और 10 हज़ार गवर्नमेंट सेक्टर की साइट्स को चुना था. वहीं दिल्ली में सोचा गया था जब आम लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी तबतक 1000 वैक्सीनेशन साइट्स होंगी.
वहीं, मोहल्ला क्लिनिक में भी डॉक्टर उपलब्ध हैं जो वैक्सीनेशन के लिये सक्षम हैं. इसलिए मोहल्ला क्लिनिक और सरकारी डिस्पेंसरी का इस्तेमाल भी वैक्सीनेशन के लिए किया जायेगा. जिसका लिंक नज़दीकी अस्पताल से होगा. वैक्सीन देना चुनौतीपूर्ण नहीं है लेकिन वैक्सीन देने के बाद अगर कोई प्रतिकूल परिस्थिति होती है तो वो मुख्य चुनौती है. देश में 1.3 करोड़ से ज़्यादा लोगों का वैक्सीनेशन किया जा चुका है, जिसमें 0.0004% प्रतिकूल परिस्थितियों के मामले सामने आये हैं.
सवाल: क्या लाभार्थियों के पास वैक्सीन चुनने की आज़ादी होगी?
जवाब : कौन सी वैक्सीन लगानी है इसका चुनाव लाभार्थी नहीं कर सकते. जो बच्चों को भी वैक्सीन दी जाती है उसमें चॉइस नहीं होती डॉक्टर के पास जाकर वैक्सीन लगवाई जाती है. हमारे पास अभी दो वैक्सीन है, कोविशील्ड और को-वैक्सीन. दोनों ही वैक्सीन सुरक्षित हैं. इनमें चॉइस नहीं है, लाभार्थी को वैक्सीनेशन साइट पर जाकर ही पता चलेगा कि उसे कौन सी वैक्सीन दी जा रही है. जिस वैक्सीन की पहली डोज दी जाएगी उसी वैक्सीन की दूसरी डोज़ भी दी जाएगी. हम वैक्सीन के बीच भेदभाव नहीं कर सकते, दोनों ही वैक्सीन बिल्कुल सुरक्षित और प्रभावशाली हैं. ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया और भारत सरकार वैक्सीन के विषय में जब भी कोई निर्णय लेती है तो वह इसी आधार पर लेती है कि यह पूरी तरह से सुरक्षित हों.
सवाल: आम लोगों को वैक्सीन लगवाने की क्या कीमत देनी होगी?
जवाब: वैक्सीन की कीमत 200-400 रुपए के बीच होगी, हालांकि फाइनल कीमत अभी तय होगी लेकिन ये कीमत बहुत कम ही रहेगी. इसमें कोई प्रॉफिट नहीं होगा, छोटे छोटे खर्च होंगे जिनका कॉस्ट होगा. को-वैक्सीन थोड़ी सी ज़्यादा कीमत की होगी. कोविशील्ड की कीमत करीब 221 रुपए होगी और को-वैक्सीन की कीमत इससे करीब 60 रुपए ज़्यादा महंगी है. दोनों में बहुत ज़्यादा फर्क नहीं है. जब चार्ज फिक्स होगा तो इसी रेंज के अंतर्गत फिक्स होगा. यह कीमतें सरकार द्वारा तय की जाएंगी, जिसमें 100 रुपये छोटे मोटे खर्च के लिए और बाकी कीमत सरकार की होगी. सरकारी फैसिलिटी में वैक्सीन पूरी तरह से मुक्त उपलब्ध होंगी.
सवाल: गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को साइड इफेक्ट तो नहीं होगा, और क्या ऐसे लोगों को वैक्सीनेशन से पहले अपनी बीमारी के बारे में पूरी जानकारी देनी होगी?
जवाब: बहुत सारे लोगों को अन्य बीमारियां हैं, जिनमे कई हेल्थकेयर वर्कर्स भी थे. लेकिन वैक्सीन लगवाने से कोई असर नहीं पड़ेगा. ब्लड थिनर पर जो लोग हैं उनको डॉक्टर्स बोल देते हैं कि 2-3 दिन पहले से ब्लड थिनर लेना बंद कर दें. अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों को डॉक्टर का सर्टिफिकेट दिखाना होगा और को-विन प्लेटफार्म पर भी अपनी co-morbidity के बारे में बताना अनिवार्य होगा.