
देश की राजधानी दिल्ली एक बार फिर प्रदूषण की जकड़ में हैं. दिवाली से ठीक पहले हुई बारिश से जैसे-तैसे प्रदूषण से राहत मिली थी, लेकिन दिवाली की रात हुई आतिशबाजी ने एक बार फिर से दिल्ली को गैस चेंबर में तब्दील कर दिया है. एक्सपर्ट्स की मानें तो पॉल्यूशन का स्तर बढ़ने की मुख्य वजह हवा में पर्टिकुलेट मैटल का बढ़ना है. इसके साथ ही कुल 5 ऐसे कारण हैं, जो आने वाले दिनों में दिल्ली की आबोहवा को और ज्यादा खराब कर सकते हैं.
1- अगले 5 दिन बारिश और तेज हवाओं के आसार नहीं
10 नवंबर की रात दिल्ली एनसीआर में बारिश हुई थी, जिसके चलते प्रदूषण में काफी राहत मिली थी. दिल्ली के कुछ इलाकों में AQI का स्तर 400 से सीधा 100 तक आ गिरा था. लेकिन आगामी दिनों में बारिश या तेज हवाओं के कोई आसार नहीं है. दिल्ली अपने वातावरण से प्रदूषक तत्वों को तितर-बितर करने में बहुत हद तक बारिश और तेज हवाओं पर ही निर्भर है. बारिश हो या तेज हवाएं, दिल्ली के वातावरण को साफ करने में बहुत मददगार साबित होता है. क्योंकि बारिश जहां आसपास मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) को हटाने में मदद करती है, वहीं तेज हवाएं प्रदूषक तत्वों को अलग-अलग जगहों पर फैलाने में मदद करती है. लेकिन दुर्भाग्य से ये दोनों कारक कम से कम अगले 5 दिनों तक नजरों से ओझल हैं. इसका मतलब ये है कि मौसम संबंधी कोई वजह नहीं है, जो मौजूदा प्रदूषण से तत्काल राहत प्रदान कर सके.
2- तामपान गिरने से ऐसे बढ़ेगा प्रदूषण
तापमान व्युत्क्रमण (टेम्प्रेचर इन्वर्शन) के कारण प्रदूषकों (पॉल्यूटेंट) का वर्टिकल लेवल पर फैलाव नहीं होता. सर्दियों के मौसम में जब रात और सुबह का तापमान गिरता है तो वातावरण में टेम्प्रेचर इन्वर्शन होता है. सामान्य परिस्थितियों में जैसे-जैसे आप वायुमंडल में ऊपर जाते हैं, तापमान कम होता जाता है और इसलिए ज़मीन की सतह के पास की गर्म हवा ऊपर की ओर जाती है. सामान्य समय में यह प्रदूषकों को वर्टिकल रूप से फैलाने में मदद करता है, लेकिन सर्दियों के दौरान जब जमीन का तापमान कम हो जाता है तो सतह का तापमान पृथ्वी के आसपास की हवा की तुलना में कम रहता है और इसलिए प्रदूषकों का ऊपर की ओर बढ़ना रुक जाता है. इसके कारण प्रदूषक अधिक ऊंचाई पर जाने के बजाय निचले वायुमंडल में ही फंसे रहते हैं.
3- छुट्टी के बाद सड़कों पर लौटेंगे वाहन
दिवाली की लंबी छुट्टियां खत्म होने वाली हैं. इसके बाद लोग घर से निकलेंगे. साथ ही निकलेंगी गाड़ियां. दिवाली के बाद जब प्रदूषण का स्तर गिरा तो राजधानी के लोगों के लिए एक राहत की बात यह थी कि सड़कों पर गाड़ियों की मौजूदगी कम थी, इसका काफी हद तक श्रेय छुट्टियों को दिया जा सकता है. अधिकांश ऑफिस और बाजार 11 नवंबर से 3-4 दिनों के लिए बंद रहे. अब जब ऑफिस, कॉलेज और अन्य व्यावसायिक केंद्र पूरी क्षमता से काम करना शुरू कर देंगे तो अधिक वाहन सड़कों पर लौटेंगे. अनुमान के मुताबिक दिल्ली के प्रदूषण में वाहन प्रदूषण का सबसे बड़ा योगदान है. दिल्ली सरकार अब तक ऑड-ईवन फॉर्मूले को लागू करने और दिल्ली में पार्किंग शुल्क बढ़ाने को लेकर अनिर्णय की स्थिति में है. ये योजनाएं सड़कों पर वाहनों की भीड़ को कम कर सकती हैं.
4- पंजाब और हरियाणा में जलने वाली पराली बढ़ाएगी टेंशन
दिवाली के बाद पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामले बढ़ने की आशंका है. दिवाली से ठीक पहले हुई बारिश के कारण पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में अस्थायी कमी आई है. दिवाली के तुरंत बाद फसल जलाने की घटनाएं बढ़ गईं, क्योंकि पिछले दो दिनों में पंजाब से 2600 से ज्यादा मामले सामने आए हैं. सुप्रीम कोर्ट के प्रशासनिक कदमों से फसल जलाने पर रोक लगाने के आदेश के बावजूद मामलों की संख्या में बढ़ोतरी चिंताजनक है. ऐसे में दिल्ली के लिए समस्या और भी बदतर होने की आशंका है, क्योंकि हवा की दिशा पश्चिम और उत्तर-पश्चिम है, जिसका मतलब है कि पड़ोसी राज्य से धुआं आसानी से राष्ट्रीय राजधानी के क्षेत्र तक पहुंच जाएगा.
5- रात का तापमान गिरने से बढ़ेंगी बायोमास जलाने की घटनाएं
पिछले हफ्ते हुई बारिश के बाद दिल्ली में रात का तापमान तेजी से गिर रहा है. इसके कारण, सड़क किनारे रहने वाले लोग सर्दियों की ठंड से बचने के लिए आमतौर पर लकड़ी या कोयले के अलाव का इस्तेमाल करेंगे. एक अनुमान के मुताबिक दिल्ली के प्रदूषण में बायोमास जलाने का योगदान 19% है. यहां तक कि सर्दियों के महीनों के दौरान पत्ते जलाने की घटनाएं भी बढ़ जाती है. कई जगहों पर लोग प्लास्टिक और कचरा जलाने का भी सहारा लेते हैं और दिल्ली में वायु प्रदूषण में इसका भी बड़ा योगदान है.