
दिन रविवार, तारीख 4 सितंबर, दोपहर करीब सवा तीन बजे का समय और मुंबई-अहमदाबाद नेशनल हाइवे, महाराष्ट्र के पालघर के पास अचानक से लक्जरी कार डिवाइडर से टकराती है और देखते ही देखते कार में सवार चार लोगों में से दो की मौत की खबर आती है. इस सड़क दुर्घटना में मरने वाला एक व्यक्ति कोई आम शख्स नहीं बल्कि देश की सबसे बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनी में से एक शापूरजी पालोनजी ग्रुप से जुड़ा साइरस मिस्त्री था, जो एक समय में टाटा ग्रुप का चेयरमैन भी था. वहीं दूसरा शख्स उनका करीबी दोस्त जहांगीर दिनशॉ पंडोले था.
कौन कर रहा था कार ड्राइव?
जब ये दुर्घटना हुई तो ये मर्सडीज कार (MH 47 AB 6705) गुजरात से मुंबई की ओर जा रही थी. जैसे ही ये सूर्या नदी के पुल पर पहुंची तो चरोटी के पास डिवाइडर से टकरा गई. कार को ड्राइव अनाहिता पंडोले कर रही थीं. वो इस दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हुई हैं. उनके पति दारियस पंडोले को भी अनाहिता के साथ घायल अवस्था में वापी के रैम्बो अस्पताल में भर्ती कराया गया.
कार चलाने वाली अनाहिता पंडोले पेशे से एक डॉक्टर हैं. महिला रोग विशेषज्ञ अनाहिता मुंबई के ब्रीच कैन्डी अस्पताल में काम करती हैं. उन्हें वापी से मुंबई ले जाया जा रहा है और ब्रीच कैन्डी अस्पताल में उनका इलाज चलेगा. पुलिस ने शुरुआती जानकारी में बताया है कि वापी के रैम्बो अस्पताल में शिफ्ट करने से पहले घायलों को स्थानीय स्तर पर कासा के एक ग्रामीण अस्पताल ले जाया गया था. बताया जा रहा है कि ड्राइविंग के दौरान बैलेंस बिगड़ा और कार डिवाइडर से टकरा गई.
नहीं खुले मर्सडीज के एयरबैग
कार में ड्राइवर सीट पर अनाहिता पंडोले थीं. फ्रंट में को-पैसेंजर सीट पर उनके पति दारियस पंडोले बैठे थे. डिवाइडर से टकराने के बाद कार की फ्रंट सीट पर लगे दोनों एयरबैग एक्टिव हो गए, और दोनों लोगों की जान बच गई. जबकि बैक सीट पर बैठे साइरस मिस्त्री और जहांगीर दिनशॉ पंडोले की सीट पर एयरबैग लगे थे, लेकिन वो एक्टिव नहीं हो सके. माना जा रहा है उनकी मौत का एक बड़ा कारण एयरबैग का नहीं खुलना भी है.
धार्मिक कार्यक्रम से लौट रहे थे मिस्त्री
साइरस मिस्त्री नवसारी के पास युडावाड़ा से लौट रहे थे. मुंबई में रहने वाले पारसी समुदाय का युडावाड़ा से काफी करीबी रिश्ता है. वो एक पारसी धार्मिक कार्यक्रम में शिरकत करके लौट रहे थे. नवसारी का संबंध टाटा समूह से भी है. इसके संस्थापक जमशेदजी टाटा मूल रूप से नवसारी के निवासी थे. महात्मा गांधी ने जिस दांडी बीच पर नमक आंदोलन किया था, वो भी नवसारी में ही पड़ता है.
पारसियों के बीच बड़ा नाम अनाहिता पंडोले
अल्पसंख्यक मंत्रालय के तहत काम करने वाले 'जियो पारसी' संगठन की वेबसाइट के मुताबिक डॉ. अनाहिता पंडोले पारसी समुदाय में एक जाना-माना नाम हैं. जनवरी 2004 में बॉम्बे पारसी पंचायत के साथ मिलकर उन्होंने पारसी महिलाओं के लिए एक फर्टिलिटी प्रोजेक्ट चलाया. इस प्रोजेक्ट का मकसद पारसी समुदाय की घटती आबादी की समस्या का समाधान खोजना है. इस प्रोजेक्ट के तहत पारसी कपल्स को सब्सिडी पर फर्टिलिटी से जुड़ी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं.