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नई रक्षा खरीद प्रक्रिया के तहत हथियारों के लिए तीनों सेनाएं खर्च सकेंगी 2290 करोड़ रुपये

बैठक में Defence Acquisition Council (DAC) की ओर से सेना के लिए 72 हजार अतिरिक्‍त अमेरिकी सिंगसॉर असॉल्ट राइफल खरीदने को मंजूरी मिल गई है. इसकी खरीद पर करीब 780 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की बैठक (ANI) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की बैठक (ANI)
मंजीत नेगी
  • नई दिल्ली,
  • 28 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 6:22 AM IST
  • रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया-2020 को लेकर बैठक हुई
  • रक्षा मंत्री राजनाथ ने प्रावधानों से अवगत कराया
  • अमेरिकी सिंगसॉर असॉल्ट राइफल खरीदे जाएंगे

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 (DAP-2020) के प्रावधानों के लिए बैठक बुलाई. इस बैठक में सीडीएस विपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुख मौजूद रहे. बैठक में राजनाथ सिंह ने DAP-2020 के प्रावधानों से अवगत कराया. नई रक्षा खरीद प्रक्रिया के तहत आने वाले अगले 5 साल में तीनों सेनाएं 2290 करोड़ रुपये का इस्तेमाल करेंगी. 

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बैठक में Defence Acquisition Council (DAC) की ओर से सेना के लिए 72 हजार अतिरिक्‍त अमेरिकी सिंगसॉर असॉल्ट राइफल खरीदने को मंजूरी मिल गई. इसकी खरीद पर करीब 780 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. सेना और वायुसेना के लिए 540 करोड़ की लागत से हाई-फ्रीक्‍वेंसी रेडियो सेट की खरीद को भी हरी झंडी मिल गई है. 

इस बैठक के दौरान 970 करोड़ की लागत से एंटी-एयरफील्‍ड हथियार और सेना और वायुसेना के लिए 540 करोड़ की लागत से हाई-फ्रीक्‍वेंसी रेडियो सेट की खरीद का भी रास्ता साफ हो गया है. बता दें कि रक्षा मंत्री ने जिस नई खरीद नीति को मंजूरी दी गई है, उसमें इंटर गवर्नमेंटल एंग्रीमेंट और गवर्नमेंट-टू-गवर्नमेंट एग्रीमेंट के साथ ही सिंगल वेंडर होने पर ऑफसेट लागू नहीं होगा. 

वहीं सीडीएस जनरल विपिन रावत ने कहा कि डीएसी स्वदेशीकरण को लिए प्रोत्साहित करेगा और सशस्त्र बलों की भविष्य की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी की सुविधा मुहैया कराएगा. 

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इधर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को IMA देहरादून में बनने वाले दो अंडरपास का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अनावरण किया. 1978 से लंबित परियोजना राष्ट्रीय राजमार्ग- 72 से अकादमी के तीन परिसरों को जोड़ेगी, जिसे चकराता रोड के रूप में भी जाना जाता है. इसके बनने से परेड के दौरान लोगों को आवाजाही की जो दिक्कतें होती थी, उनका समाधान होगा. 45 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत की इस परियोजना को पूरा होने में लगभग दो साल का समय लगेगा. 

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