
व्यापारी दर्शन हीरानंदानी ने गुरुवार को संसद की आचार समिति के सामने एफिडेविट दाखिल किया है. इसमें उन्होंने तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा पर गंभीर आरोप लगाए हैं. इसमें कहा गया है कि महुआ ने हीरानंदानी के साथ अपनी संसदीय लॉग इन आईडी और पासवर्ड शेयर किया था, जिससे वह (हीरानंदानी) महुआ की तरफ से सवाल कर सकें.
बता दें कि इससे पहले बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने TMC सांसद महुआ पर घूस लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप लगाया था. निशिकांत दुबे ने यहां सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत का पत्र दिखाया था. इसमें दावा किया गया था कि इस घूस का लेनदेन महुआ और हीरानंदानी के बीच हुआ था.
आरोप लगने के बाद मंगलवार को महुआ ने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और जय अनंत को कानूनी नोटिस भेजा था. महुआ ने उनपर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया था.
निशिकांत दुबे के आरोपों पर पहले हीरानंदानी ग्रुप का भी बयान आया था. तब कहा गया था कि ग्रुप राजनीति का व्यवसाय नहीं करता.
लेकिन अब गुरुवार को दर्शन हीरानंदानी ने अलग बयान दिया है. इसमें उन्होंने महुआ पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
दर्शन हीरानंदानी के एफिडेविट में क्या लिखा है-
- मैं महुआ को 2017 से जानता हूं. तब मैं उनसे बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट में मिला था. उस वक्त महुआ बंगाल में विधायक थीं और समिट में उद्योगपतियों से मिली थीं. उस मुलाकात के बाद मैं और महुआ लगातार संपर्क में रहे और धीरे-धीरे करीबी दोस्त बन गए.
- महुआ बहुत महत्वाकांक्षी थीं. वह राष्ट्रीय स्तर पर जल्द अपना नाम बनाना चाहती थीं. महुआ को उनके करीबियों ने सलाह दी कि इसका सबसे छोटा रास्ता पीएम नरेंद्र मोदी पर निजी हमला है.
लेकिन इसमें समस्या थी कि पीएम मोदी की प्रतिष्ठा बड़े स्तर पर है. कोई नीति, शासन या निजी आचरण के स्तर पर उनपर कोई आरोप नहीं लगा सकता. ऐसे में महुआ को लगा कि पीएम मोदी पर गौतम अडानी से जुड़े आरोप लगाए जा सकते हैं, क्योंकि दोनों समकालीन हैं और दोनों गुजरात से हैं. अडानी की तरक्की से कुछ बिजनेसमैन में जलन थी. इसलिए महुआ को उनसे भी मदद मिली.
- आगे लिखा है कि महुआ जानती थीं कि इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन हमारी कंपनी की जगह Dhamra LNG जो कि अडानी ग्रुप का ज्वाइंट वेंचर है उसके साथ लॉन्ग टर्म-टेक अग्रीमेंट करने वाली है. मोइत्रा ने कुछ सवाल तैयार किए जिससे संसद में अडानी ग्रुप को निशाने पर लिया जा सके. उन्होंने मेरे साथ संसद की ईमेल आईडी और पासवर्ड शेयर किए ताकि मैं उनको जानकारी दे सकूं और वह उन सवालों को संसद में उठा सकें.
- - समय के साथ महुआ मोइत्रा के साथ मेरी दोस्ती बढ़ती गई. मुझे यह भी समझ में आया कि उनके माध्यम से मुझे विपक्ष द्वारा शासित अन्य राज्यों से समर्थन मिलेगा, क्योंकि वे इस समय एकजुट हैं. महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने मुझसे बार-बार मांगें कीं और मुझसे तरह-तरह के अनुग्रह मांगे, जिन्हें मुझे पूरा करना पड़ा. उनके संपर्क में रहने और समर्थन पाने के लिए जो मांगें थीं, वो पूरे किए. उनमें महंगे सामान, गिफ्ट देना शामिल था.
- दिल्ली में उनके आधिकारिक रूप से आवंटित बंगले के नवीनीकरण, यात्रा व्यय पर खर्चा किया. मैं उन्हें नाराज करने का जोखिम नहीं उठा सकता था. कई बार मुझे लगा कि वो मेरा अनुचित फायदा उठा रही हैं और मुझ पर उन चीजों के लिए दबाव डाल रही है जो मैंने नहीं किया. लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं था.
महुआ मोइत्रा ने भी जारी किया बयान
टीएमसी सांसद मोइत्रा ने दो पेज का एक लिखित बयान जारी किया है. इसमें महुआ ने सवाल किया कि हीरानंदानी ने किसे हलफनामा दिया है, क्योंकि उन्हें ना तो सीबीआई, ना एथिक्स कमेटी या किसी अन्य जांच एजेंसी ने तलब किया है. मोइत्रा ने हलफनामे पर ही सवाल उठाए और कहा- यह सिर्फ एक सादा श्वेत पत्र है. कोई आधिकारिक लेटरहेड नहीं है और न ही नोटरीकृत है. भारत का सबसे प्रतिष्ठित/शिक्षित व्यवसायी श्वेत पत्र पर इस तरह के पत्र पर हस्ताक्षर क्यों करेगा जब तक कि ऐसा करने के लिए उसके सिर पर बंदूक नहीं रखी गई हो?
'जिसकी पीएमओ तक पहुंच, उस पर कौन दबाव डालेगा?'
मोइत्रा ने कहा, पत्र का कंटेंट एक मजाक है. इसे स्पष्ट रूप से पीएमओ में कुछ मंदबुद्धि वाले लोगों द्वारा तैयार किया गया है, जो बीजेपी के आईटी सेल में एक रचनात्मक लेखक के रूप में काम करते हैं. इतना धनी, सफल व्यवसायी, जिसकी हर मंत्री और पीएमओ तक सीधी पहुंच है, उसे पहली बार के विपक्षी सांसद द्वारा गिफ्ट देने और उसकी मांगों को पूरा करने के लिए क्यों मजबूर किया जाएगा? यह पूरी तरह से अतार्किक है और सिर्फ इस सच्चाई को पुख्ता करता है कि इस पत्र का मसौदा दर्शन ने नहीं, बल्कि पीएमओ ने तैयार किया था.
महुआ ने इस मामले में सीधे तौर पर पीएमओ की भूमिका का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, 'इस पत्र का मसौदा पीएमओ द्वारा भेजा गया था और उनसे इस पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव डाला गया है.