
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल मणिपुर पहुंच गई हैं और वह दोपहर करीब 1 बजे इंफाल पहुंची. मणिपुर रवाना होने से पहले मालीवाल ने कहा कि वह मणिपुर जाएंगी और यौन हिंसा पीड़ित लोगों से मिलेंगी. इससे पहले मणिपुर सरकार ने उन्हें हिंसा प्रभावित राज्य का दौरा करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. सरकार ने इसके पीछे कानून-व्यवस्था का हवाला दिया था.
यौन उत्पीड़न के पीड़ितों से मिलेंगी स्वाति
मणिपुर रवाना होने से पहले मीडिया से बात करते हुए स्वाति मालीवाल ने कहा, 'मैंने मणिपुर सरकार को लिखा है कि मैं राज्य का दौरा करना चाहती हूं और यौन उत्पीड़न के पीड़ितों से मिलना चाहती हूं. मुझे मणिपुर सरकार से एक पत्र मिला है जिसमें राज्य सरकार द्वारा मुझे अपनी यात्रा स्थगित करने का सुझाव दिया है क्योंकि राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं है. मैं केवल पीड़ितों की मदद के लिए मणिपुर जाना चाहती हूं. मैं राज्य सरकार से अपील कर रही हूं कि वह मुझे मणिपुर जाने की अनुमति दें और उन राहत शिविरों में मेरी यात्रा की व्यवस्था करें जहां ये पीड़ित रह रहे हैं.'
मालीवाल ने कहा कि मैं महिलाओं से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर मणिपुर के मुख्यमंत्री से बात करना चाहती हूं, इसलिए मैंने उनसे समय भी मांगा है.
4 मई को क्या हुआ था?
दरअसल, 4 मई को कुकी समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र सड़क पर घुमाया गया था. भीड़ ने न सिर्फ महिलाओं को सड़क पर घुमाया था, बल्कि उनके साथ अभद्रता और यौन उत्पीड़न भी किया था. इस घटना का वीडियो बुधवार को वायरल हुआ. इसके बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी हुइरेम हेरादास समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. बाकी लोगों की वीडियो से पहचान कर तलाश की जा रही है. इस घटना के बाद राज्य में तनाव और बढ़ गया.
पुलिस पर लग रहे लापरवाही के आरोप
मणिपुर की इस घटना को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. दरअसल, ये मामला 4 मई का है. इसकी शिकायत 18 मई को दी गई थी. लेकिन पुलिस ने 49 दिन बाद 21 जून को FIR दर्ज की. इतना ही नहीं FIR दर्ज होने के ढाई महीने बाद जब देशभर में बवाल हुआ, तब पहली गिरफ्तारी हुई.
उन्मादी भीड़, निर्वस्त्र परेड, गैंगरेप और मर्डर... 4 मई को मणिपुर के गांव में क्या-क्या हुआ था?
मणिपुर में ढाई महीने से हिंसा
मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं. हिंसा की शुरुआत तक हुई, जब कुकी समुदाय ने पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' निकाला और मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किए जाने की मांग का विरोध किया. मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है. वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि कुकी और नागा आदिवासी की संख्या 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.