
हंसते-खिलखिलाते लोग....
झूमते, नाचते-गाते लोग....
टहलते-घूमते-फिरते लोग....
और फिर
अचानक...
गिरकर मर जाते लोग!!!
जी हां जिंदगी जिस समय उत्सव मनाते, खुशियों के गीत गाते, फुरसत में वक्त बिताते नजर आ रही थी, मौत ने उसी समय ऐसा झपट्टा मारा कि जीते-जागते इंसान मुर्दा शरीर में तब्दील हो गए… पीछे रह गया, तो उन्हें खोने का गम और किसी को भी दहलाकर रख देने वाले वीडियोज.
जी हां, वही वीडियो जिन्हें हमने-आपने वॉट्सऐप, फेसबुक या इंस्टाग्राम पर देखा. देखकर दंग हुए, कुछ डरे-सहमे भी और फिर उन्हें दूसरों को फॉरवर्ड कर दिया… अलर्ट करने के लिए और ये बताने के लिए भी, कि देखिए जिंदगी किस हद तक बेवफा होती है. वो कब और कैसे एक झटके में साथ छोड़ देगी इसका पता लगाना तो दूर, अंदाजा तक मिलना नामुमकिन है.
ऐसे हर वीडियो में एक किरदार है. एक किरदार जो किसी की शादी या जन्मदिन की पार्टी में नाच रहा है, जो दोस्तों के साथ गली में तफरीह कर रहा है, नाटक में भगवान शंकर या हनुमान की भूमिका निभा रहा है. इनमें से कोई युवा है, कोई अधेड़ तो कोई बुजुर्ग. महिला और पुरुष दोनों हैं इन किरदारों में…सब वीडियो में बेफिक्र नजर आते हैं. मगर, सबकी नियति एक है और वो है सेकेंडों में मौत. aajtak.in ने इन किरदारों का पीछा किया. इनके अपनों से मुलाकात की. जाना कि आखिर उस दिन हुआ क्या था और ऐसा हुआ तो आखिर क्यों हुआ था?
अफवाहें तो कोरोना के असर और उसकी वैक्सीन के साइड इफैक्ट को लेकर भी बहुत हैं तो क्या वाकई इसी वायरस या उसकी दवा ही इन किरदारों के लिए मौत का सामान बन गई.
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कानपुर में क्रिकेट खेलते-खेलते 10वीं के छात्र की हुई मौत
बात शुरू करते हैं 7 दिसंबर की घटना से. कानपुर में 10वीं कक्षा का छात्र अनुज पांडे सुबह क्रिकेट खेल रहा था. जाहिर है कि 16 साल की उम्र में उसकी फिटनेस ठीक थी. मगर, उसे पता भी नहीं था कि यह उसकी जिंदगी का आखिरी मैच है. बाहर से मजबूत दिख रही काठी के अंदर नाजुक दिल आज धोखा देने वाला है. अचानक उसके सीने में दर्द हुआ और क्रिकेट के मैदान में ही उसकी मौत हो गई.
परिवारवालों के मुताबिक, अनुज को कभी कोरोना नहीं हुआ था. उसे कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड की एक डोज लगी थी. अनुज सिर्फ घर के काम से मां के साथ ही बाहर आता जाता था या फिर एसआरएफ क्रिकेट खेलने दोस्तों के साथ बाहर निकलता था.
परिजनों ने बताया कि अनुज को कोई बीमारी नहीं थी. मृतक का डेथ सर्टिफिकेट अभी घरवालों को नहीं मिल पाया है. उम्मीद है कुछ दिन में मिल जाएगा. हालांकि, परिवार वालों ने पोस्टमार्टम से मना कर दिया था. जिस डॉक्टर ने अनुज को मृत घोषित किया था, उनका कहना है कि मृतक के हाथ नीले पड़ गए थे. पूरा अंदेशा है कि मौत की वजह हार्ट अटैक ही रही होगी. बच्चे को अचानक आए इस हार्ट अटैक के बाद मृतक का परिवार सकते और सदमे में है. इतनी छोटी उम्र में अनुज को हार्ट अटैक आ गया. बड़े लोग तो और भी ज्यादा डर गए हैं.
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एक छींक आई और 16 साल का जुबैर चल बसा
अनुज की मौत से पांच दिन पहले यानी 2 दिसंबर की तारीख. इस दिन लगता है मौत सामूहिक शिकार पर निकली थी. महज 16 साल का जुबैर 10वीं की पढ़ाई कर रहा था. 2 दिसंबर की रात 10 से 10:30 बजे के बीच दोस्तों के साथ टहलने निकला था जुबैर. अचानक एक छींक आईं. छींक वैसे भी बहुत से लोगों के लिए अनहोनी की आहट मानी जाती है. जुबैर के लिए वो अनहोनी ‘मौत’ निकली.
दोस्तों को कुछ समझ आता उससे पहले ही उसने गिरकर दम तोड़ दिया. जुबैर के पिता नफीस बताते हैं कि उसे न तो कभी कोरोना हुआ और न ही उसने कोई वैक्सीन लगवाई थी. उसकी लाइफ स्टाइल भी नॉर्मल थी. पहले से कोई गंभीर बीमारी भी नहीं थी.
दो दिन से हाथ-पैरों में कुछ दर्द जरूर था, जिसकी दवाई ली थी. जुबैर की मौत का कारण हार्ट अटैक माना जा रहा है. हालांकि, ये सिर्फ अनुमान है क्योंकि जांच नहीं हुई. नफीस बताते हैं कि उसको एक छींक आई थी और उसके बाद वह गिर गया. उसने 3 बार लंबी-लंबी सांस लीं और अस्पताल ले जाने से पहले ही दम तोड़ दिया. इसके बाद उसको घर लाया गया और सुपुर्दे खाक कर दिया गया.
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जयमाल के वक्त ही दुल्हन ने दम तोड़ दिया
जुबैर जैसी ही कहानी शिवांगी की है और तारीख भी वही है 2 दिसंबर. लखनऊ के पास मलिहाबाद की शिवांगी के लिए दो दिसंबर बहुत खास दिन था. उसकी शादी जो हो रही थी उस दिन. परिवार की खुशियां शबाब पर थीं. दुल्हन के जोड़े में सजी शिवांगी के दिल में जैसे अरमानों का समंदर था. जयमाल का वक्त था और शिवांगी का जीवनसाथी उसके सामने सज-धजकर खड़ा था.
मगर, मौत से जैसे ये सब देखा न गया. शिवांगी अचानक बेहोश होकर गिरी और फिर कभी नहीं उठी. परिजन फौरन समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए. जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. परिजन अब तक सदमे से उबर नहीं पाए हैं. उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा कि जिस बेटी की शादी के वे सालों से ख्वाब सजा रहे थे, महीनों से जिसकी तैयारियां चल रही थीं, वो विवाह के दिन ही इस तरह दुनिया को अलविदा कह जाएगी. परिवार मीडिया से इस बारे में अब बात तक नहीं करना चाहता.
2 दिसंबर को ही जुबैर और शिवांगी की तरह व्यापारी देवकीनंदन व्यास भी मौत के शिकार बन गए. 58 साल की उम्र में अचानक आया हार्ट अटैक उनके लिए जानलेवा साबित हुआ. देवकीनंदन को पहले से कोई बीमारी नहीं थी. कोरोना की कोवैक्सीन के डोज उनको लगे थे. वे किसी तरह का नशा भी नहीं करते थे और सामान्य जीवन जीते थे.
जुुबैर, शिवांगी और देवकीनंदन की तरह एमपी के जबलपुर में बस चलाते हुए ड्राइवर को भी दो दिसंबर को ही अचानक हार्ट अटैक आ गया था. इससे जबलपुर के दमोह नाका क्षेत्र में हड़कंप मच गया था. मेट्रो बस अनियंत्रित हो गई थी और राह चलते लोगों और वाहनों को टक्कर मारती हुई आगे बढ़ती चली जा रही थी.
इस हादसे को जिसने भी देखा, उसके रोंगटे खड़े हो गए थे. लोगों को पहले लगा कि मेट्रो बस चालक शराब के नशे में है, लेकिन बाद में पता चला था कि उसे हार्ट अटैक आया है. अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. बस की चपेट में आने से आधा दर्जन लोग भी घायल हुए थे.
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शादी में नाचते-नाचते गिरे और फिर कभी नहीं उठे
जुबैर, देवकीनंदन,बस ड्राइवर और शिवांगी की कहानी आपने सुनी. उनके वीडियो काफी वायरल हुए. लोग उन्हें देखकर डरे भी, लेकिन हैरान नहीं हुए और इसकी वजह भी थी. दरअसल, ऐसे वीडियो अब हर दूसरे दिन सामने आ रहे हैं. जुबैर-शिवांगी की मौत से ठीक 7 दिन पहले वाराणसी में भी ऐसी ही घटना देखने को मिली थी.
45 साल के मनोज विश्वकर्मा 25 नवंबर को शादी में शामिल होने यहां पहुंचे थे. सुबह करीब 10.15 बजे मनोज परिवार के साथ नाच रहे थे. नाचते-नाचते ही अचानक वे जमीन पर गिर गए. परिजन उन्हें अस्पताल ले गए, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. मनोज को भी कभी कोरोना नहीं हुआ था. हालांकि उन्होंने कोवीशील्ड के दोनों डोज समय पर लगवाए थे और फिर बूस्टर डोज भी.
डॉक्टरों ने मनोज की मौत की वजह हार्ट अटैक बताई है. उनके बड़े भाई भरत प्रसाद को विश्वास नहीं हो रहा है कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है. मनोज तो कोई नशा भी नहीं करते थे. यहां तक कि नॉर्मल एक्सरसाइज भी करते थे. उन्हें किसी तरह की कोई बीमारी भी नहीं थी. परिवार को समझ नहीं आ रहा कि वो किसे दोष दे या क्या करे सिवाय मातम मनाने के.
ऐसे ही बदनसीब शारीरिक शिक्षक सलीम भी रहे. 55 साल की उम्र में 11 नवंबर को उन्होंने दम तोड़ दिया. वजह बताई गई हार्ट अटैक. सलीम उससे पहले स्वस्थ थे. परिजनों ने बताया कि सलीम को कोरोना हुआ था. चूंकि वे सरकारी शिक्षक थे, तो उनको पहली ही बार में को-वैक्सीन लगी थी. परिवार उन अफवाहों पर यकीन करने लगा है, जिनमें हार्ट अटैक की वजह कोरोना और वैक्सीन के असर को बताया जा रहा है.
छपरा में धार्मिक कार्यक्रम के दौरान हार्ट अटैक
अक्टूबर में धार्मिक कार्यक्रमों के दौरान मौत ने संतों और कलाकारों को दबोचा. इस महीने में मंच पर तीन मौतों को लोगों ने लाइव देखा. बिहार के छपरा शहर में 22 अक्टूबर को राम कथा चल रही थी. शाम करीब सात बजे 85 साल के रिटायर्ड प्रोफेसर रणंजय सिंह संत के सम्मान में सभा को संबोधित कर रहे थे. संबोधन के क्रम में उन्होंने दोहा कहा, “बिछुरत एक प्रान हरि लेहीं, मिलत एक दुख दारुन देहीं.” यानी संतों का बिछुड़ना मरने के समान दुःखदायी होता है और असंतों का मिलना ही दुखदाई होता है.
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साल 2000 में शहर के जगदम महाविद्यालय से प्रभारी प्राचार्य के पद से सेवानिवृत्त रणंजय सिंह इसी समय मंच पर गिरे और फिर उठे ही नहीं. उन्हें कभी कोरोना नहीं हुआ था. कोवीशील्ड की तीनों डोज लग चुकी थीं. धार्मिक और सामाजिक होने की वजह से वह सिंपल लाइफ जीते थे.
शाकाहारी थे और जंक फूड नहीं खाते थे. बीपी की समस्या थी, पेस मेकर लगा हुआ था. उनकी मौत का कारण परिजनों को पता नहीं है. साल 1960 से उनके संपर्क में रहने वाले पुराने मित्र कमलदेव सिंह ने बताया कि अचानक उनकी इस तरह से हुई मौत से वो अभी तक स्तब्ध हैं.
जौनपुर में शिव की भूमिका निभाते हुए मंच पर हुई मौत
जौनपुर जिले की मछली शहर तहसील के बेलासिन गांव में भी 10 अक्टूबर की रात को मंच पर घात लगाए मौत बैठी थी. रामलीला के कार्यक्रम में भगवान शिव की भूमिका निभा रहे 59 साल के राम प्रसाद पांडे को रात 10:15 बजे सीने में दर्द हुआ और तुरंत ही हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई.
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उन्हें कभी कोरोना नहीं हुआ था. अगस्त में बूस्टर डोज भी लगा था. वह मॉर्निंग वॉक करते थे. कच्ची सुरती (खैनी) भी खाते थे. उन्हें कोई बीमारी नहीं थी. पहली बार हार्ट अटैक आया और मौत हो गई. पोस्टमार्टम नहीं हुआ इसीलिए डेथ सर्टिफिकेट में मौत का कोई कारण नहीं लिखा.
उनके भतीजे संजय ने बताया कि इसके पहले कभी कुछ हुआ नहीं था. कई साल से राम प्रसाद पांडे गांव की रामलीला में अभिनय कर रहे थे. अचानक यह घटना हो गई.
अयोध्या में रावण का किरदार निभाते वक्त मौत
राम प्रसाद पांडेय की तरह ही अयोध्या जिले में भी मंच के कलाकार पर मौत ने अपना यम पाश फेंका. रुदौली क्षेत्र में आने वाले एहार गांव के पतिराम रावत 2 अक्टूबर की रात करीब 1 बजे रावण का किरदार निभाते हुए सीता हरण संवाद कह रहे थे. वह पिछले 20 साल से रामलीला में रावण का किरदार निभा रहे थे.
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इसी दौरान 56 साल के पतिराम को अचानक सीने में तेज दर्द हुआ. लोगों को पहले समझ में ही नहीं आया कि उन्हें क्या हुआ है. लगा कि वह कोई नया प्रसंग रचने जा रहे हैं. मगर, उनके मंच पर गिरते ही उन्हें आनन-फानन में हॉस्पिटल ले जाया गया. रास्ते में ही उनकी मौत हो गई.
पतिराम को कोविड की दोनों वैक्सीन लगी थीं, लेकिन कौन सी लगी थी, इसके बारे में उनके परिवार को ज्यादा कुछ नहीं पता. उन्हें कभी कोरोना नहीं हुआ था और न ही किसी गंभीर बीमारी का शिकार ही वो हुए थे. सिगरेट पीते थे, लेकिन शराब या अन्य कोई नशा नहीं करते थे.
(मेरठ से उस्मान चौधरी, लखनऊ से आशीष श्रीवास्तव, वाराणसी से ब्रजेश कुमार, पाली से भारत भूषण, छपरा से आलोक कुमार, जौनपुर से राजकुमार, कानपुर से सिमर चावला की रिपोर्ट)