
चीन और पाकिस्तान से जारी सीमा विवाद के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का अहम बयान सामने आया. राजनाथ सिंह ने वायु सेना के कमांडरों के सम्मेलन में वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए लंबे समय की योजना तैयार करने पर जोर दिया. साथ उन्होंने संभावित खतरों का मुकाबला करने के लिए अपनी क्षमता में वृद्धि के लिए रणनीति बनाने को कहा.
रक्षा मंत्री ने बदलती अंतरराष्ट्रीय जियो-पॉलिटिक्स का जिक्र करते हुए कहा कि हाल के दिनों में ट्रांस-अटलांटिक से ट्रांस-पैसिफिक पर फोकस करने की धारणा स्पष्ट हो गई है. युद्ध के बदलते आयामों में अब उन्नत प्रौद्योगिकियां, असीमित क्षमताएं और सूचनाओं का आदान-प्रदान शामिल होंगे. इसलिए वायुसेना की तैयारियों में ये पहलू शामिल हों ये बहुत महत्वपूर्ण है.
राजनाथ सिंह ने स्वदेशी रक्षा उपकरणों को बनाने पर जोर दिया. साथ ही आत्म निर्भर भारत या डिफेंस सेक्टर में आत्म निर्भरता को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी बल दिया.
16 अप्रैल तक चलने वाले इस सम्मेलन में वर्तमान लड़ाकू क्षमताओं को मजबूत करने और वायुसेना को भविष्य के लिए लड़ाकू विमान बनाने की कार्ययोजना पर विचार हुआ. इसके लिए रक्षा मंत्री ने LCA तेजस का उदाहरण दिया. आगे इस सम्मेलन में सिस्टम, सुधार और पुनर्गठन से संबंधित मुद्दों और ऑपरेशन ट्रेनिंग पर भी चर्चा की जाएगी.
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास राष्ट्रीय नीति के पूरक पहलू हैं. स्वदेशी उद्योग के लिए वायुसेना के समर्थन के परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में MSMEs का विकास होगा जो एक साथ देश के आत्मनिर्भरता और सामाजिक-आर्थिक विकास का कारण बनेगा.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सुरक्षा बलों के बीच अधिक तालमेल की आवश्यकता पर भी जोर दिया. कहा गया कि तीनों सेनाओं को शामिल करते हुए जमीन, पानी और हवा में संयुक्त थिएटर कमांड रखने की योजना पर काम किया जा रहा है.