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रक्षा मंत्रालय ने की 2 घरेलू कंपनियों के साथ 2600 करोड़ की डील, सेना के लिए बनाएंगे रॉकेट लॉन्चर्स

रक्षा मंत्रालय ने की ओर से डील पर कहा गया कि यह भारत सरकार (DRDO और MoD) के तत्वावधान में सार्वजनिक निजी भागीदारी को प्रदर्शित करने वाली एक प्रमुख परियोजना है, जो रक्षा संबंधी तकनीक के मामले में आत्मनिर्भर भारत की योजना को सक्षम बनाती है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से सौदों को लेकर पहले ही मंजूरी मिली (फाइल-पीटीआई) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से सौदों को लेकर पहले ही मंजूरी मिली (फाइल-पीटीआई)
मंजीत नेगी
  • नई दिल्ली ,
  • 01 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 12:56 AM IST
  • टाटा कंपनी और एलएंडटी के साथ मंत्रालय का करार
  • अर्थ मूवर्स लिमिटेड भी समझौता का हिस्सा होगी
  • रॉकेट लॉन्चर लगाने को वाहन बनाएगी BEML

रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को दो प्रमुख घरेलू रक्षा कंपनियों के साथ 2,580 करोड़ रुपये की लागत से छह सेना रेजिमेंटों के लिए बनने वाले पिनाका रॉकेट लॉन्चरों की खरीद के सौदे पर अपनी मुहर लगा दी.

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सशस्त्र बलों की परिचालन तैयारियों को और तेज करने तथा चीन व पाकिस्तान के साथ भारत की सीमा पर निगरानी बनाए रखने के लिए पिनाका रेजीमेंटों को तैनात किया जाएगा.

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टाटा पावर कंपनी लिमिटेड (टीपीसीएल) और इंजीनियरिंग प्रमुख लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जबकि रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) भी परियोजना का हिस्सा होगा.

बीईएमएल उन वाहनों की आपूर्ति करेगा जिन पर रॉकेट लॉन्चर लगाए जाएंगे.

70 फीसदी स्वदेशी सामग्री

रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि छह पिनाका रेजीमेंट में ऑटोमेटेड गन एमिंग एंड पोजिशनिंग सिस्टम (एजीएपीएस) के 114 लॉन्चर्स और 45 कमांड पोस्ट शामिल हैं. यह भी कहा गया कि मिसाइल रेजिमेंट को 2024 तक चालू करने की योजना है.

इसमें कहा गया है कि हथियार प्रणालियों में 70 फीसदी स्वदेशी सामग्री होगी और इस परियोजना को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंजूरी दी है.

पिनाका मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम (MLRS) को DRDO द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है.

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मंत्रालय ने यह भी कहा कि यह भारत सरकार (DRDO और MoD) के तत्वावधान में सार्वजनिक निजी भागीदारी को प्रदर्शित करने वाली एक प्रमुख परियोजना है, जो रक्षा संबंधी तकनीक के मामले में 'आत्मनिर्भर भारत' की योजना को सक्षम बनाती है.

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