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रक्षा क्षेत्र का 'आत्मनिर्भर' प्लान, कई आयात परियोजनाओं पर रोक लगा सकती है मोदी सरकार

आत्मनिर्भर भारत की तरफ मोदी सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है. खबर है कि जल्द ही सरकार कई आयात वालीं रक्षा परियोजनाओं को स्थगित या फिर रद्द कर सकती है. आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन बैठकों का दौर जारी है.

पीएम नरेंद्र मोदी ( पीटीआई) पीएम नरेंद्र मोदी ( पीटीआई)
मंजीत नेगी
  • नई दिल्ली,
  • 11 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 7:17 AM IST
  • आयात वाली रक्षा परियोजनाएं भारतीय कंपनियों को देने का प्लान
  • मेक इन इंडिया को बढ़ावा देना मकसद, रोजगार के अवसर बढेंगे

केंद्र की मोदी सरकार पिछले एक साल से लगातार आत्मनिर्भर भारत पर जोर दे रही है. हर क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जा रही है. रक्षा क्षेत्र को लेकर भी पीएम मोदी ने कई मौकों पर कह दिया है कि दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता को कम करना होगा. अब इस दिशा में केंद्र सरकार बड़ा कदम बढ़ाने जा रही है. खबर है कि जल्द ही सरकार कई रक्षा से जुड़ी आयात परियोजनाओं को रद्द या फिर स्थगित कर सकती है.

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बताया गया है कि बुधवार को रक्षा मंत्रालय की उच्चस्तरीय बैठक होने वाली है. उस बैठक में उन सभी रक्षा से जुड़ी आयात परियोजनाओं की समीक्षा की जाएगी जिनको या तो सरकार स्थगित कर सकती है या फिर जिनको पूरी तरह रद्द किया जा सकता है. सरकार का ये फैसला कई परियोजनाओं को प्रभावित करने वाला है. फिर चाहे वो परियोजनाएं फाइटर प्लेन से जुड़ी हों या फिर जहाज और बंदूकों से, एक फैसला सबकुछ बदल सकता है.

जानकारी के लिए बता दें कि कुछ समय पहले इसी मुद्दे पर पीएम मोदी द्वारा एक समीक्षा बैठक की जा चुकी है. उस बैठक में तब सीडीएस बिपिन रावत ने भी हिस्सा लिया था. उस बैठक में ही पीएम ने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी थी कि भारत को अब आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा. उस बैठक के बाद बकायदा रक्षा मंत्रालय के एक अतिरिक्त सचिव-रैंक के अधिकारी द्वारा तीनों सेनाओं के प्रमुख को एक नोट लिखा गया था. उस नोट में बताया गया था कि किसी भी रक्षा वस्तु का आयात नहीं किया जा रहा है. नोट में ये भी स्पष्ट कर दिया गया कि अभी के लिए सभी पूंजी और राजस्व खरीद की विस्तृत समीक्षा की जा रही है. ये समीक्षा 15 जनवरी तक पूरी हो सकती है.

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अब सरकार की योजना ये है कि इन करोड़ों की आयात वाली परियोजनाओं को रद्द कर भारतीय कंपनियों को दिया जाएगा. ऐसा होने पर स्वदेशी को तो बल मिलेगा ही, देश में ही रोजगार के अवसर भी ज्यादा बढ़ जाएंगे.

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