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दिल्ली BJP के वो चेहरे जिनकी बदौलत 21वीं सदी में पहली बार भाजपा ने फतह किया राजधानी का किला

महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही बीजेपी ने दिल्ली की तैयारियां शुरू कर दी थीं. बेजयंत पांडा को दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रभारी नियुक्त किया गया. पार्टी ने अतुल गर्ग को सह प्रभारी बनाया गया और दोनों को दिल्ली चुनाव को लेकर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई.

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी की खास रणनीति. (File Photo) दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी की खास रणनीति. (File Photo)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 4:01 PM IST

दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (BJP) 27 साल बाद सत्ता में वापसी करती दिख रही है. यह जीत ऐतिहासिक है क्योंकि 21वीं सदी में पहली बार बीजेपी ने दिल्ली में विधानसभा चुनाव जीतकर सरकार बनाने का रास्ता साफ किया है. बीजेपी ने इस जीत के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. पार्टी ने आम आदमी पार्टी (AAP) के बड़े चेहरों के खिलाफ दमदार उम्मीदवार उतारे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनावी रणनीति को मजबूती से लागू किया. 2015 और 2020 के चुनाव में करारी हार के बावजूद इस बार बीजेपी ने दिल्ली की सत्ता पर वापसी करने का ठोस खाका तैयार किया और उसे बखूबी लागू भी किया.

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शुरुआत से ही बीजेपी की थी मजबूत तैयारी

महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही बीजेपी ने दिल्ली की तैयारियां शुरू कर दी थीं. बैजयंत पांडा को दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रभारी नियुक्त किया गया. पार्टी ने अतुल गर्ग को सह प्रभारी बनाया गया और दोनों को दिल्ली चुनाव को लेकर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई.

बैजयंत पांडा
  
भाजपा सांसद बैजयंत पांडा को दिल्ली चुनाव के लिए चुनाव प्रभारी बनाया गया. इससे पहले, वह दिल्ली के संगठन प्रभारी रह चुके थे और संगठनात्मक जिम्मेदारियां संभाल रहे थे. उनके अनुभव का लाभ भाजपा को राष्ट्रीय राजधानी में मिला. भाजपा 1998 से दिल्ली की सत्ता से बाहर है और आखिरी बार 1993 में सरकार बनाई थी. हालांकि, लोकसभा चुनावों में भाजपा ने लगातार तीन बार दिल्ली की सातों सीटें जीती हैं.  

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अतुल गर्ग 
  
उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद लोकसभा सीट से भाजपा सांसद अतुल गर्ग को दिल्ली चुनाव के लिए सह प्रभारी नियुक्त किया गया. उन्होंने कांग्रेस की डॉली शर्मा को हराकर लोकसभा चुनाव जीता था. 2022 में वह गाजियाबाद सदर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे. इससे पहले वह योगी आदित्यनाथ सरकार में हेल्थ मिनिस्टर रह चुके हैं. अतुल गर्ग गाजियाबाद नगर निगम के पहले मेयर दिनेश चंद्र गर्ग के बेटे हैं.

दिल्ली में चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के ये चेहरे लगातार चर्चा में बने रहे. 

प्रवेश वर्मा 

दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रवेश वर्मा सबसे चर्चित चेहरों में से एक बनकर उभरे. उन्होंने नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल को हराकर बड़ी जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस के संदीप दीक्षित तीसरे स्थान पर रहे. पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा पहले बीजेपी के सांसद रह चुके हैं. 

चुनाव प्रचार के दौरान वे लगातार सुर्खियों में रहे, खासकर विवादास्पद बयानों और आचार संहिता उल्लंघन के आरोपों को लेकर. उन पर नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में जूते और साड़ी बांटने का आरोप लगा, जिसके चलते चुनाव आयोग ने पुलिस से शिकायत दर्ज करने को कहा. उन्होंने पंजाब की गाड़ियों के दिल्ली आने पर सवाल उठाए, जिससे विपक्ष ने उन्हें घेरा. आम आदमी पार्टी ने उन पर मतदाताओं को लुभाने का आरोप लगाया, हालांकि उन्होंने इसे खारिज कर दिया.

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रमेश बिधूड़ी 

भाजपा नेता और पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान चर्चा में रहे. कालकाजी से भाजपा के प्रत्याशी के रूप में चुनाव हारने के बावजूद उनकी विवादास्पद टिप्पणियों ने उन्हें चुनाव प्रचार के दौरान सुर्खियों में रखा. उन्होंने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी के बारे में आपत्तिजनक बयान दिए. 

बिधूड़ी 2014 और 2019 में दक्षिणी दिल्ली से सांसद रहे और भाजपा दिल्ली प्रदेश के महासचिव के पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने 2003 से 2013 तक तुगलकाबाद से तीन बार विधायक का चुनाव जीता. दिल्ली विधानसभा चुनाव में बिधूड़ी भले ही कालकाजी सीट से सीएम आतिशी से हार गए लेकिन उन्होंने चुनाव में पार्टी के लिए एक सक्रिय भूमिका निभाई.

वीरेंद्र सचदेवा

वीरेंद्र सचदेवा को मई 2023 में दिल्ली BJP का स्थायी प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. इससे पहले वे कार्यकारी अध्यक्ष थे, जब आदेश गुप्ता ने MCD चुनाव हारने के बाद इस्तीफा दिया. सचदेवा को उनकी संगठनात्मक क्षमता और नेतृत्व के लिए जाना जाता है. उन्होंने 1988 में कार्यकर्ता के रूप में राजनीति शुरू की थी. उन्होंने इसबार दिल्ली विधानसभा चुनाव न लड़ने का फैसला लिया, ताकि सभी 70 सीटों पर ध्यान दे सकें. इसके बाद आज BJP ने 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी कर ली है. एमसीडी चुनाव में हार के बाद दिल्ली बीजेपी की कमान संभालने वाले सचदेवा ने विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी.

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विजेंदर गुप्ता 

विजेंदर गुप्ता BJP के सदस्य हैं और दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में रोहिणी से उम्मीदवार थे. वे 2020 में भी रोहिणी से विधायक चुने गए थे और राजेश नामा 'बंसीवाला' (AAP) को 12,000 से अधिक वोटों से हराया था. गुप्ता भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं. 2015 के दिल्ली चुनाव में भाजपा को जब तीन सीटें मिली थीं तब वे जीतने वाले तीन भाजपा उम्मीदवारों में से एक थे. विजेंदर गुप्ता दिल्ली BJP के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. इस बार भी उन्होंने पार्टी के लिए मजबूत लड़ाई लड़ी.

मोदी, शाह और नड्डा ने झोंकी पूरी ताकत  

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने आखिरी दिन तक पूरी ताकत झोंक दी और अलग रणनीति अपनाई. वहीं, कांग्रेस की मजबूती से चुनाव मुकाबला त्रिकोणीय बन गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आम आदमी पार्टी की सरकार को 'आपदा' करार दिया और दिल्ली को हरियाणा से कथित रूप से जहरीला पानी मिलने के मुद्दे पर केजरीवाल को घेरा. उधर गृह मंत्री अमित शाह ने 12 रैलियां और 4 रोड शो कर माहौल गर्माया. बीजेपी ने तीन हजार से ज्यादा नुक्कड़ सभाओं के साथ युवा चौपाल और महिला ड्राइंग रूम मीटिंग जैसी गतिविधियों से मतदाताओं तक पहुंच बनाई.  

स्टार प्रचारकों की फौज  

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प्रधानमंत्री मोदी की चार रैलियों के अलावा, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, शिवराज सिंह चौहान जैसे कई केंद्रीय मंत्रियों ने प्रचार किया. यूपी, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान और असम समेत भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों व उपमुख्यमंत्रियों ने भी रोड शो और सभाएं कीं. इसके अलावा NDA के सभी सांसदों को प्रचार में झोंकने का फैसला लिया गया. 

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की बैठक में तय हुआ कि दिल्ली के 256 मंडलों में हर मंडल में एक सांसद को प्रचार की जिम्मेदारी दी जाएगी. साथ ही दिल्ली चुनाव में बीजेपी ने जदयू और लोजपा (रामविलास) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा. शिवसेना सहित अन्य दलों ने भी बीजेपी को समर्थन दिया, जिससे गठबंधन को मजबूती मिली.

AAP के दिग्गजों को टक्कर देने BJP ने उतारे मजबूत प्रत्याशी  

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं के खिलाफ दमदार उम्मीदवार उतारे. नई दिल्ली सीट पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा को मैदान में उतारा गया, जबकि मनीष सिसोदिया के गढ़ जंगपुरा से तरविंदर सिंह मारवाह को टिकट मिला.  

कालकाजी से आम आदमी पार्टी की चर्चित नेता आतिशी के खिलाफ बीजेपी ने सांसद रमेश बिधूड़ी को खड़ा किया. इसी तरह बाबरपुर में गोपाल राय के मुकाबले अनिल कुमार को उतारा गया. शकूर बस्ती से सत्येंद्र जैन के खिलाफ करनैल सिंह को टिकट दिया गया.  

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मालवीय नगर में सोमनाथ भारती को टक्कर देने के लिए सतीश उपाध्याय को, ग्रेटर कैलाश में सौरभ भारद्वाज के सामने शिखा राय को और ओखला से अमानतुल्लाह खान के खिलाफ मनीष चौधरी को उतारा गया. वहीं, पडपड़गंज से आप उम्मीदवार अवध ओझा के मुकाबले बीजेपी ने रवींद्र सिंह नेगी को मैदान में उतारा. इस तरह बीजेपी ने रणनीति के तहत हर मजबूत आप नेता के खिलाफ अनुभवी और चर्चित चेहरों को उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया.

BJP की रणनीति और जीत के प्रमुख कारण

बीजेपी ने इस चुनाव में माइक्रो मैनेजमेंट को प्राथमिकता दी. पार्टी ने दलित, पूर्वांचली मतदाताओं और उत्तराखंड से आए प्रवासियों तक अपनी पहुंच बनाई. इसके अलावा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और बंगाल के लोगों को साधने के लिए विशेष रणनीति बनाई गई.

इसके साथ-साथ पार्टी के बड़े नेताओं ने दिल्ली में चुनाव प्रचार को नई धार दी. अमित शाह, जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह समेत तमाम बड़े नेताओं ने लगातार जनसभाएं और रोड शो किए. इस आक्रामक चुनाव प्रचार ने मतदाताओं तक बीजेपी का संदेश पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई. बीजेपी ने बूथ लेवल पर कार्यकर्ताओं को संगठित किया, जिससे चुनाव के दिन पार्टी को बड़ा फायदा हुआ. कार्यकर्ताओं की सक्रियता ने बीजेपी की जीत को और मजबूत किया.

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AAP की मुफ्त योजनाओं का मुकाबला करने के लिए बीजेपी ने 'मोदी की गारंटी' का दांव चला. बीजेपी ने जनता को भरोसा दिलाया कि मौजूदा योजनाएं जारी रहेंगी और नई सुविधाएं भी जोड़ी जाएंगी. इससे आम आदमी पार्टी की फ्री योजनाओं की काट मिली. 

शीशमहल, यमुना और शराब घोटाला के मुद्दे भी खूब चले  

पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली को गंदे पानी की सप्लाई के लिए हरियाणा सरकार को जिम्मेदार ठहराया. जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रैली में इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि वही पानी जज, नेता और दिल्ली के लोग पी रहे हैं, तो क्या हरियाणा ने उन्हें जहर देने की साजिश रची? इसके बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने बॉर्डर पर जाकर खुद यमुना का पानी पीकर दावा किया कि पानी पूरी तरह साफ है.  

'शीशमहल' विवाद में घिरी AAP
  
AAP सरकार पर मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास को 'राजमहल' में बदलने का आरोप लगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बंगले की मरम्मत के लिए 2020 में 8.62 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया था, लेकिन 2022 तक यह बढ़कर ₹33.66 करोड़ तक पहुंच गया. बीजेपी ने इसे 'शीशमहल' करार दिया और प्रचार में इस मुद्दे को जमकर भुनाया. जवाब में AAP ने पीएम मोदी के आवास को ‘राजमहल’ बताकर पलटवार किया, लेकिन बीजेपी का हमला जनता के बीच ज्यादा प्रभावी रहा.  

शराब घोटाले ने किया नुकसान
  
AAP सरकार की नई शराब नीति ने भी बड़ा विवाद खड़ा किया. बीजेपी ने आरोप लगाया कि नई नीति के चलते दिल्ली 'शराबियों का शहर' बन गई. 'बाय 1, गेट 1 फ्री' जैसी स्कीम ने इस बहस को और हवा दी. CBI और ED की जांच के बाद मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और खुद अरविंद केजरीवाल तक गिरफ्तार हुए, जिससे AAP की छवि को गहरा झटका लगा.  

कुल मिलाकर बीजेपी ने इस बार दिल्ली चुनाव में हर मोर्चे पर मजबूती दिखाई. रणनीतिक रूप से माइक्रो मैनेजमेंट, दमदार उम्मीदवारों का चयन, बड़े नेताओं की आक्रामक रैलियां और 'मोदी की गारंटी' जैसे अभियानों ने पार्टी को जीत की ओर पहुंचाया. 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी बीजेपी के लिए न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि इस जीत ने पार्टी को राष्ट्रीय राजधानी में नई ताकत भी दी है.

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