
दिल्ली (Delhi) की पटियाला हाउस कोर्ट ने सोमवार को इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर (IITF) से पांच करोड़ साल पुराने गैस्ट्रोपॉड जीवाश्म चोरी करने के आरोपी को जमानत दे दी है. गिरफ्तारी के बाद 26 नवंबर से आरोपी हिरासत में था. न्यायिक मजिस्ट्रेट (फर्स्ट क्लास) रवि ने 10,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के जमानती बांड पर मनोज कुमार मिश्रा को जमानत दे दी.
कोर्ट ने 2 दिसंबर को दिए आदेश में कहा, "रिकॉर्ड के अवलोकन से पता चलता है कि वर्तमान मामले में बरामदगी जांच अधिकारी (IO) द्वारा की गई है और आरोपी व्यक्ति अभी पुलिस हिरासत में है. जांच करना आईओ का विशेषाधिकार है. हालांकि, जांच जारी रखना आरोपी व्यक्ति को जमानत देने से इनकार करने का कोई आधार नहीं है."
कोर्ट ने क्या तर्क दिया?
न्यायिक मजिस्ट्रेट रवि ने कहा, "मौजूदा मामले में बरामदगी हो चुकी है और तथ्य यह है कि मुकदमे में काफी वक्त लगेगा, इसलिए इस कोर्ट का मानना है कि आरोपी को हिरासत में रखने से कोई मकसद पूरा नहीं होगा."
दिल्ली पुलिस ने डॉ. प्रवीर पंकज की शिकायत के आधार पर FIR दर्ज की थी. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि GSI का माइन्स मिनिस्ट्री के मंडप, IITF 2024 में एक स्टॉल है. किसी ने रैक से एक गैस्ट्रोपॉड जीवाश्म, (वजन- 1 किलोग्राम लंबाई- 14 कमीशन) चौड़ाई- 10 कमीशन और ऊंचाई- 12 कमीशन) चुरा लिया है.
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आरोपी की तरफ से क्या दलीलें दी गईं?
एडवोकेट साहिल राव और राहुल यादव ने दलील दी कि आरोपी को इस मामले में झूठा फंसाया गया है और कथित बरामदगी एक ऐसी वस्तु की है जो IITF में किसी की नहीं है, इसके अलावा आरोपी 26.11.2024 से हिरासत में है.
दिल्ली पुलिस ने जवाब दाखिल किया, जिसमें जमानत देने का इस आधार पर विरोध किया गया कि इस मामले में जांच चल रही है और बरामदगी हो चुकी है. यह भी कहा गया कि आरोपी को CCTV फुटेज के आधार पर पकड़ा गया है. आरोपी को जमानत नहीं दी जानी, चाहिए क्योंकि जांच जारी है.