
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि बजट में केवल 325 करोड़ रुपए मिले हैं, जबकि दिल्ली के लोग 1.5 लाख करोड़ रुपए का टैक्स केंद्र सरकार को देते हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार ने भाजपा शासित एमसीडी को भी एक रुपया नहीं दिया है, जबकि देश भर के नगर निगमों के लिए 2 लाख करोड़ रुपए दिए गए हैं. एमसीडी चुनाव के वक्त भाजपा ने कहा था कि वे केंद्र सरकार से सीधे एमसीडी के लिए पैसा लाएंगे.
दिल्ली में वित्तमंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे मनीष सिसोदिया ने कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार से उम्मीद की जा रही थी कि इस बार दिल्ली के विकास और यहां रह रहे करीब दो करोड़ लोगों के हितों को ध्यान में रखा जायेगा. केंद्रीय बजट में केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के बदले दिल्ली को मिलने वाले अनुदान में वृद्धि होगी, लेकिन केंद्रीय बजट से दिल्ली को मायूसी मिली है. दिल्ली सरकार को केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के बदले मिलने वाला अनुदान पिछले दो दशकों से बिना बढ़ोत्तरी के केवल 325 करोड़ रुपए ही रखा गया है. दिल्ली को केंद्रीय करों में मिलने वाली हिस्सेदारी 2001-02 से नहीं बढ़ाई गई है, जबकि विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं को फंड देने के लिए दिल्ली भी केंद्रीय करों में अपनी हिस्सेदारी की बराबर हकदार है.
डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार ने दिल्ली को मिलने वाले कुल अनुदान, ऋण और हस्तांतरण के बजट को कम कर दिया है. इससे पहले दिल्ली सरकार को केंद्रीय बजट से कुल अनुदान, ऋण या हस्तांतरण के रूप 1116 करोड़ मिला था, जिसे घटा कर 957 करोड़ रुपए कर दिया गया है.
उन्होंने कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार ने भाजपा शासित दिल्ली नगर निगमों को भी बीच मझधार में छोड़ दिया है. आर्थिक संकट से जूझ रहे नगर निगमों को केंद्रीय बजट से मदद मिलने की उम्मीद की जा रही थी. दिल्ली सरकार ने भी केंद्र सरकार से दिल्ली नगर निगमों को आर्थिक संकट से उबारने के लिए 12 हजार करोड़ रुपए की मांग की थी, इसके बावजूद केंद्र सरकार ने दिल्ली नगर निगमों के लिए एक रुपए का आवंटन नहीं किया है.
मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार ने डिजाॅस्टर रिस्पाॅस का अनुदान भी कम कर दिया है. पिछली बार दिल्ली को इस मद में 161 करोड़ रुपए मिले थे, लेकिन इस बार इसे घटाकर मात्र 5 करोड़ रुपए कर दिया गया है. साथ ही केंद्र सरकार ने विभिन्न परियोजनाओं को गति देने के लिए मिलने वाली अतिरिक्त केंद्रीय सहायता को शून्य कर दिया है, जबकि इससे पहले दिल्ली को इन परियोजनाओं के लिए 150 करोड़ रुपए अतिरिक्त केंद्रीय सहायता दी गई थी.