
तीन कृषि कानूनों को लेकर प्रदर्शनकारी किसानों और केंद्र सरकार के बीच गतिरोध खत्म होता नजर नहीं आ रहा है. दिल्ली के विभिन्न नाकों पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने जहां शुक्रवार को ऐलान किया कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वे मार्च करेंगे, वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 4 जनवरी को अगले दौरे की होने वाली वार्ता में कुछ बेहतर नतीजे निकलने की उम्मीद जताई. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि वह कोई ज्योतिषी नहीं हैं जो यह बता सकें कि प्रदर्शनकारी किसानों के साथ होने वाली बैठक अंतिम होगी.
किसान आंदोलन का शुक्रवार को 37वां दिन रहा और सिंघु बॉर्डर पर 80 किसान संगठनों ने बैठक की. संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि सयुंक्त किसान मोर्चा समन्वय समिति 2 जनवरी यानी शनिवार को दिल्ली प्रेस क्लब में दोपहर 12.30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी. 4 जनवरी को सरकार के साथ अगले दौर की बातचीत होनी है. चार जनवरी की बातचीत के आधार पर किसान संगठन आगे की रणनीति तय करेंगे.
किसान संगठनों ने कहा कि अगर उनकी मांगें अगली बैठक में नहीं मानी गईं तो वे मार्च निकालेंगे. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने इस दौरान कहा, 'चार जनवरी को केंद्र सरकार से अगले स्तर की बातचीत होनी है. अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम कुंडली-मानेसर-पलवल राजमार्ग पर 6 जनवरी को मार्च निकालेंगे. हम तारीख़ की घोषणा करेंगे कि कब शाहजहांपुर बॉर्डर से आगे बढ़ना है.'
किसानों ने कहा कि अगर सरकार के साथ कोई प्रगति नहीं होती है तो शाहजहांपुर सीमा नाकाबंदी को दिल्ली की ओर ले जाया जाएगा. प्रेस कॉन्फ्रेंस में योगेंद्र यादव बोले कि ऐसा कहा जा रहा है कि 50 प्रतिशत मुद्दे सुलझ लिए गए हैं जो कि झूठ है, किसानों की सिर्फ दो मांगें हैं- पहले तीनों कृषि कानून रद्द हों और दूसरी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी मिले.
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एक समाचार एजेंसी से बातचीत में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि वो कोई ज्योतिषी नहीं हैं जो यह बता सकें कि 4 जनवरी को प्रदर्शनकारी किसानों के साथ होने वाली बैठक आखिरी होगी. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि 4 जनवरी को होने वाली बैठक से किसानों और कृषि क्षेत्र के हित में कुछ बेहतर समाधान निकलेगा.
गाजीपुर बॉर्डर पर ठंड से किसान की मौत
इस बीच दिल्ली बॉर्डर पर किसान जमे हुए हैं लेकिन कड़ाके की सर्दी के चलते उन्हें कई दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है. गाजीपुर बॉर्डर पर शुक्रवार को एक किसान की मौत हो गई. किसान का नाम गलतान सिंह तोमर था जो बागपत जिले के मोजिदबाद गांव के रहने वाले थे. उनकी उम्र 65 से 70 के बीच थी. जांच में पता चला कि ठंड के चलते उनकी मौत हुई है. वह पहले दिन से ही आंदोलन से जुड़े हुए थे.
वहीं राजस्थान के प्रसिद्ध किसान नेताओं में से एक रामपाल जाट बीमार पड़ गए हैं. उन्हें जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में भर्ती कराया गया है. वह अलवर जिले के शाहजहांपुर में किसानों के आंदोलन में खुले आसमान के नीचे प्रदर्शन कर रहे थे. सर्दी के चलते वह बीमार पड़ गए हैं.
कृषि कानूनों के सपोर्ट में आए शिक्षाविद्
विभिन्न शिक्षण संस्थानों के 850 से अधिक फैक्ल्टी सदस्यों ने तीन कृषि कानूनों का समर्थन किया है. इन फैकल्टी सदस्यों ने कानूनों के समर्थन में हस्ताक्षर अभियान चलाया है. एक खुले पत्र में इन्होंने कहा है कि वे किसानों को सरकार के आश्वासन पर विश्वास करते हैं कि उनकी आजीविका की रक्षा की जाएगी. उनकी दलील है कि नए कानून कृषि व्यापार को सभी बंदिशों से मुक्त करेंगे और किसानों को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर सभी लेन-देन करने में सक्षम बनाएंगे.