
लाल किले की घटना को लेकर एक दिन पहले तक फ्रंटफुट पर नजर आया पुलिस-प्रशासन बैकफुट पर नजर आ रहा है. एक दिन पहले खत्म होता नजर आया किसान आंदोलन फिर से पटरी पर आ गया है. दिल्ली पुलिस के लिए आगे कुआं और पीछे खाई वाली हालत हो गई है. सिंघु बॉर्डर पर आसपास के गांव के लोगों को दिक्कत हो रही है. आर्थिक गतिविधियां करीब-करीब ठप पड़ी है.
सिंघु बॉर्डर पर आसपास स्थित गांव के लोगों में गुस्सा है. ग्रामीणों ने किसान आंदोलन के विरोध में प्रदर्शन किया और इस दौरान पथराव भी हुआ. आरोप है कि किसानों की ओर से किसी ने तलवार से हमला कर दिया. इस घटना में दिल्ली पुलिस का एक एसएचओ घायल हो गया. माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है, लेकिन शांति बरकरार है. दूसरी तरफ गाजीपुर बॉर्डर पर भी हालात कुछ अलग नहीं है.
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गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत की भावुक अपील के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश से किसानों के जत्थे के पहुंचने का सिलसिला देर रात से अब तक जारी है. किसान ट्रैक्टरों में भरकर लगातार धरना स्थल पर पहुंच रहे हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की तादाद काफी ज्यादा है. एक दिन पहले बिजली पानी की आपूर्ति बंद कर दी गई थी. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बिजली पानी की आपूर्ति शुरू करने का ऐलान किया था.
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की पेशकश पर राकेश टिकैत ने कहा था कि वे यूपी का पानी ही लेंगे या अपने गांव का पानी पीएंगे. गाजीपुर बॉर्डर पर सुविधाएं फिर से बहाल होने लगी हैं. जो आंदोलन एक दिन पहले तक खत्म होता दिख रहा था, फिलहाल राकेश टिकैत ने उसे फिर से खड़ा कर लिया है.
आंदोलन में सियासतदानों की एंट्री
अब तक इस आंदोलन में किसान ही नजर आ रहे थे. राजनेताओं को एक दिन पहले तक मंच पर बैठने नहीं दिया जा रहा था. अब बदले हालात में आंदोलन की तस्वीर भी बदल गई है. मनीष सिसोदिया से लेकर जयंत चौधरी तक, गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे और राकेश टिकैत से मुलाकात की. मुजफ्फरनगर में राकेश टिकैत के गांव में चल रही महापंचायत में भी जयंत चौधरी के साथ ही समाजवादी पार्टी के नेता भी मौजूद हैं. राहुल गांधी ने भी किसानों के आंदोलन के समर्थन का ऐलान कर दिया है.
सियासी दल भी खींच रहे अपनी लकीर
बदले हालात में अब राजनीतिक दल भी अपनी लकीर खींचने लगे हैं. अब राजनीतिक दल भी खुलकर आंदोलन के समर्थन में आने लगे हैं. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के साथ ही आम आदमी पार्टी भी किसानों के समर्थन में खुलकर आ गए हैं.