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SC ने दी कमेटी बनाने की सलाह, किसान नेता बोले- हम सहमत नहीं

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू ने आजतक से बात करते हुए कहा कि कोर्ट के फैसले बाद हम टिप्पणी करेंगे, लेकिन कमेटी के फैसले से हम सहमत नहीं है.

सिंघु बॉर्डर पर डटे किसान सिंघु बॉर्डर पर डटे किसान
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 11 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 12:54 PM IST
  • किसान आंदोलन को लेकर SC में सुनवाई
  • सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार

किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी से किसान नेता खुश हैं, हालांकि वह कमेटी बनाने के फैसले से सहमत नहीं हैं. सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू ने आजतक से बात करते हुए कहा कि कोर्ट के फैसले बाद हम टिप्पणी करेंगे, लेकिन कमेटी बनाने के फैसले से हम सहमत नहीं है.

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किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट नए कृषि कानूनों को स्थगित करने को लेकर कोई पुख्ता फैसला करती है तो हम उसके बाद आंदोलन को खत्म करने या स्थगित करने पर विचार करेंगे. उन्होंने कहा कि हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण है और शांतिपूर्ण रहेगा. सरकार को लोकतांत्रिक तरीके से हमारी आवाज को सुनना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने किसानों से पूछा ये सवाल
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एसए बोबड़े ने कहा कि हम आंदोलन को खत्म नहीं करना चाह रहे हैं, आप इसे जारी रख सकते हैं. हम ये जानना चाहते हैं कि अगर कानून रुक जाता है, तो क्या आप आंदोलन की जगह बदलेंगे जबतक रिपोर्ट ना आए? अगर कुछ भी गलत होता है, तो हम सभी उसके जिम्मेदार होंगे. 

सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा कि अगर किसान विरोध कर रहे हैं, तो हम चाहते हैं कि कमेटी उसका समाधान करे. हम किसी का खून अपने हाथ पर नहीं लेना चाहते हैं. लेकिन हम किसी को भी प्रदर्शन करने से मना नहीं कर सकते हैं. हम ये आलोचना अपने सिर नहीं ले सकते हैं कि हम किसी के पक्ष में हैं और दूसरे के विरोध में.

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सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार
सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा कि हमारे पास ऐसी एक भी दलील नहीं आई जिसमें इस कानून की तारीफ हुई हो. अदालत ने कहा कि हम किसान मामले के एक्सपर्ट नहीं हैं, लेकिन क्या आप इन कानूनों को रोकेंगे या हम कदम उठाएं. हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं, लोग मर रहे हैं और ठंड में बैठे हैं. वहां खाने, पानी का कौन ख्याल रख रहा है?

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ये नहीं सुनना चाहते हैं कि ये मामला कोर्ट में ही हल हो या नहीं हो. हम बस यही चाहते हैं कि क्या आप इस मामले को बातचीत से सुलझा सकते हैं. अगर आप चाहते तो कह सकते थे कि मुद्दा सुलझने तक इस कानून को लागू नहीं करेंगे. अदालत ने कहा कि हमें पता नहीं कि आप समस्या का हिस्सा हैं या समाधान का हिस्सा हैं. 

 

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