
आम आदमी पार्टी सरकार ने मुख्य सचिव का मामला सीबीआई को भेज दिया है. इससे एक दिन पहले ही, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार में चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार को पद से हटाने की सिफारिश दिल्ली के उपराज्यपाल से की थी. इसके साथ ही सीएम केजरीवाल ने विजिलेंस मिनिस्टर आतिशी की रिपोर्ट भी LG को भेजी थी. CM ने आतिशी को ये रिपोर्ट CBI और ED को भेजने के आदेश दिये थे.
2025 में खरीदी गई थी जमीन
इससे पहले चीफ सेक्रेटरी मामले में विजिलेंस मंत्री आतिशी ने मुख्यमंत्री को 650 पन्ने की प्राथमिक रिपोर्ट सौंपी थी. जांच में पाया गया कि प्रथम दृष्टया चीफ सेक्रेटरी ने बेटे की कंपनी को 850 करोड़ का नाजायज़ फायदा पहुचाया है. विजलेंस मंत्री की रिपोर्ट में भी यह शामिल है. कंपनी ने द्वारका एक्सप्रेसवे के पास 2015 में ये जमीन मात्र 75 लाख में खरीदी थी. अब महंगे रेट पर भूमि अधिग्रहण किया गया है, इससे कंपनी को 850 करोड़ का नाजायज फायदा हुआ है. 'चीफ सेक्रेटरी ने बेटे की कई अन्य कंपनियों को भी सरकारी ठेके दिए हैं. इन कंपनियों की भी जांच की जाएगी.
सतर्कता मंत्री आतिशी ने की थी मामले की जांच
बता दें कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पास द्वारका एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट में भूमि अधिग्रहण को लेकर अनियमितता बरतने जाने की शिकायत की गई थी. इस मामले में केजरीवाल ने सतर्कता मंत्री आतिशी को जांच करने का निर्देश दिया था. आरोप लगाया गया कि मुख्य सचिव नरेश कुमार के बेटे को एक ऐसे व्यक्ति के रिश्तेदार ने नौकरी पर रखा है, जिसे एक सड़क परियोजना के लिए अधिग्रहीत जमीन के लिए बढ़ा हुआ मुआवजा दिया गया. दरअसल, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा अधिग्रहित की जा रही बामनोली में 19 एकड़ जमीन की कीमत इस साल मई में तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट (दक्षिण पश्चिम) हेमंत कुमार ने 41 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 353 करोड़ रुपये कर दी थी. बाद में इस मामले में गृह मंत्रालय ने हेमंत कुमार को निलंबित कर दिया था.
बेटे की कई कंपनियों को सरकारी ठेका देने का आरोप
सूत्रों के मुताबिक, विजिलेंस की शुरुआती जांच में पाया कि प्रथम दृष्टया चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार ने बेटे की कंपनी को 850 करोड़ का गलत तरीके से फायदा पहुंचाया है. सीएस नरेश के बेटे की कंपनी ने द्वारका एक्सप्रेसवे के पास 2015 में एक जमीन मात्र 75 लाख में खरीदी थी. अब महंगे रेट पर भूमि अधिग्रहण हुआ है. कंपनी को 850 करोड़ का नाजायज फायदा पहुंचा है. सूत्र यह भी बताते हैं कि चीफ सेक्रेटरी ने बेटे की कई अन्य कंपनियों को भी सरकारी ठेके दिये थे. इन कंपनियों की भी जांच होगी. इससे पहले शनिवार को सतर्कता मंत्री आतिशी ने मामले से जुड़ी फाइलें तलब की थीं. अधिकारियों ने बताया कि मंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि मामले से संबंधित फाइलों को मुख्य सचिव के जरिए नहीं भेजा जाना चाहिए क्योंकि वो जांच के दायरे हैं.