
न्यायपालिका से जुड़े न्यायाधीश, न्यायालय कर्मचारी और अधिवक्ताओं को कोरोना वैक्सीन प्राथमिकता के आधार पर लगाये जाने के लिये दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई. इस याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई से इंकार कर दिया है. कोर्ट का कहना है कि इस मुद्दे पर कोई भी फैसला करने के लिए सरकार सक्षम है. कोर्ट को इसमें दखल देने की आवश्यकता नहीं है.
सरकार फैसला करने में सक्षम दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि याचिका में की गई मांगों को वह सरकार और संबंधित अथॉरिटी के सामने रखें. कोर्ट ने कहा है कि संबंधित अथॉरिटी इस याचिका को रिप्रेजेंटेशन के तौर पर लें. इस याचिका में कहा गया है कि पिछले साल मार्च में हुए लॉक डाउन के बाद से लगातार न्यायिक तंत्र शिथिल पड़ा है. मामलों की सुनवाई ना होने से आम लोगों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. ऐसे में न्यायपालिका के सुचारू रूप से काम करने के लिए जज, कोर्ट स्टाफ और वकीलों को वरीयता के आधार पर कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीनेशन दिए जाने की जरूरत है.
ये कहा गया था याचिका में याचिका में कहा गया है कि 16 जनवरी को भारत सरकार की तरफ से शुरू किए गए वैक्सीनेशन प्रोग्राम में हेल्थ वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीनेशन दिया गया, लेकिन इसमें न्यायपालिका से जुड़े लोगों को शामिल नहीं किया गया, जबकि कोर्ट के सुचारू रूप से कामकाज के लिए कानूनी प्रक्रिया से जुड़े लोगों को भी फ्रंटलाइन वर्कर्स में शामिल रखकर वैक्सीनेशन कराने की जरूरत है. याचिका में कहा गया है कि मार्च के बाद से कोविड के कारण कोर्ट का कामकाज बेहद प्रभावित हुआ है और ज्यादातर मामलों की सुनवाई अभी भी ऑनलाइन माध्यम से ही हो रही है. ऐसे में कोर्ट के काम को सुचारू रूप से चलाने के लिए जज और वकील दोनों के लिए वैक्सीनेशन प्रोग्राम की जरूरत है.