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पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे को राहत, जानें-किस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने लगाई सजा पर रोक

दिलीप रे को 6 अक्टूबर 2020 को इस मामले में सजा सुनाई गई थी. उन्होंने हाईकोर्ट में अपील दायर कर सजा पर रोक लगाने की मांग की थी, ताकि वो चुनाव लड़ सकें. अब हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद उनके चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया है. दिलीप रे ओडिशा विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं.

दिलीप रे (फाइल फोटो) दिलीप रे (फाइल फोटो)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 09 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 5:32 AM IST

पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोयला घोटाला में दोषी करार दिलीप रे की सजा पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. इस मामले में दिलीप रे को तीन साल की सजा सुनाई गई थी.

कोयला घोटाले मामले में दिलीप रे को 6 अक्टूबर 2020 को सजा सुनाई गई थी. उन्होंने हाईकोर्ट में अपील दायर कर सजा पर रोक लगाने की मांग की थी, ताकि वो चुनाव लड़ सकें. अब हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद उनके चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया है. दिलीप रे ओडिशा विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं.

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दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अगर उनकी सजा पर रोक नहीं लगाई गई, तो इसके नतीजों को बदला नहीं जा सकेगा, अगर बाद में उन्हें बरी कर दिया गया. अदालत ने कहा कि रे का राजनीतिक करियर लंबा रहा है. वो कई बार केंद्रीय मंत्री के साथ-साथ ओडिशा सरकार में भी मंत्री रहे हैं. इसके अलावा, उनकी उम्र 71 साल है और वो विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं और देश की सेवा करना चाहते हैं.

हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं है कि उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ने की इच्छा जताकर अपनी सजा पर रोक लगाने की अपील की है. उनका राजनीतिक करियर 35 साल से ज्यादा का है. उनकी उम्र 71 साल है और इस साल चुनाव होने हैं. इस मामले में कई अपील और क्रॉस-अपील दायर की गई हैं, जिनकी सुनवाई में समय लगेगा.

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कोर्ट ने कहा कि अगर उनकी अपील मंजूर नहीं की जाती है तो वो चुनाव लड़ने का मौका गंवा देंगे. हालांकि, अदालत ने ये भी साफ किया कि ये फैसला बरी करने जैसा नहीं है, बल्कि खास परिस्थितियों को देखते हुए कन्विक्शन पर रोक लगाने जैसा है, जिसमें आरोपी का लंबा राजनीतिक करियर और उनकी उम्र भी शामिल है. क्योंकि हर मामले का फैसला उसकी विशिष्ट परिस्थितियों के आधार पर किया जाना चाहिए.

क्या है मामला?

ये मामला झारखंड के गिरडीह जिले में 105.153 हेक्टेयर के कोल माइनिंग एरिया को कैस्ट्रॉन टेक्नोलॉजीस लिमिटेड को आवंटित करने से जुड़ा है. कुछ सरकारी अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद केंद्रीय सतर्कता आयोग ने निजी कंपनियों को कोयला ब्लॉकों के आवंटन की जांच शुरू की थी. केंद्रीय सतर्कता आयोग ने बाद में इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी थी.

बाद में सीबीआई ने सीटीएल और सीएमएल कंपनी, उसके डायरेक्टर्स, अज्ञात सरकारी अफसरों और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ केस दर्ज किया था. जांच पूरी होने के बाद सीबीआई ने ओडिशा के तत्कालीन कोयला मंत्री दिलीप रे समेत छह आरोपियों के खिलाफ फाइनल रिपोर्ट दाखिल की थी. ट्रायल कोर्ट ने दिलीप रे को प्रिवेन्शन ऑफ करप्शन एक्ट और आईपीसी की धाराओं के तहत दोषी ठहराते हुए 3 साल की जेल और जुर्माने की सजा सुनाई थी.

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