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दिल्ली हाईकोर्ट (delhi high court) ने शुक्रवार को एक महिला की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए विभिन्न वेबसाइट्स से उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें हटवाने के लिए कहा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, गूगल, यूट्यूब और दिल्ली पुलिस की साइबर सेल को इंटरनेट से एक महिला की आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियो वाले लिंक या साइट्स को हटाने के लिए कदम उठाने को कहा है.
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने एक महिला की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिए. महिला ने अपनी याचिका में केंद्र सरकार को छद्म नाम से अश्लील साइट के रूप में काम करने वाली वेबसाइट्स को ब्लॉक करने के निर्देश देने की मांग कोर्ट से की थी.
साथ ही याचिका में प्रतिवादियों को उनकी साइट्स पर प्रदर्शित होने वाली महिला की किसी भी नग्न, यौन रूप से स्पष्ट या छेड़छाड़ की गई तस्वीरों को ब्लॉक करने के लिए विशेष निर्देश देने की भी मांग की गई.
केंद्र को दो हफ्ते की मोहलत
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि वह याचिकाकर्ता महिला की आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियो वाली साइट्स, इंटरनेट से लिंक हटाने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी. इसे देखते हुए कोर्ट ने केंद्र को इस मामले में हलफनामा दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया. इसके अलावा, इंटरनेट से लिंक और साइट्स को हटाने की प्रक्रिया में तेजी लाने के उद्देश्य से कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की साइबर सेल को पक्षकार बनाया.
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कोर्ट ने आरोपी को पक्षकार बनाया और संबंधित एसएचओ को उस पर नोटिस तामील करने का निर्देश दिया. इस मामले में अगली सुनवाई अब 16 सितंबर को होगी.
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने इस साल की शुरुआत में कहा था कि ऐसे व्यक्ति की सहमति के बिना अश्लील वेबसाइट पर अपलोड की गई फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट से ली गई तस्वीरें आईटी अधिनियम की धारा 67 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है. साथ ही ये भी कहा था कि भले ही तस्वीरें आपत्तिजनक न हों, पक्षकार की सहमति के बिना अपलोड किया जाना व्यक्ति की निजता का उल्लंघन होगा.