
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने 'कैश एट होम' केस में दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है. इस जांच कमेटी की अध्यक्षता पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्सिट शील नागू करेंगे. समिति में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्सिट जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन भी शामिल हैं.
जांच के मद्देनज़र दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया गया है कि वे जस्टिस यशवंत वर्मा को कोई भी न्यायिक कार्य न सौंपें, जब तक मामले में कोई निर्णय नहीं आ जाता.
पारदर्शिता का पालन करते हुए इस पूरे प्रकरण में दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय द्वारा भेजी गई रिपोर्ट, जस्टिस यशवंत वर्मा का जवाब और इससे संबंधित दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए जाएंगे.
बता दें कि जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास पर एक फायरफाइटिंग ऑपरेशन के दौरान बड़ी मात्रा में कैश मिलने का दावा किया गया था. हालांकि सूत्रों के अनुसार, इस दौरान जस्टिस वर्मा शहर से बाहर थे.
घटना की जानकारी मिलने के बाद CJI संजीव खन्ना ने एक कॉलेजियम की बैठक बुलाई, जिसमें जस्टिस यशवंत वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट में करने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया. जस्टिस वर्मा इससे पहले अक्टूबर 2021 तक इलाहाबाद हाईकोर्ट में कार्यरत थे.
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर ‘कैश एट होम’ विवाद से जुड़ा नहीं है. शीर्ष अदालत ने दो टूक कहा कि अंदरूनी जांच तय प्रक्रियाओं के तहत हो रही है और ट्रांसफर का इस विवाद से कोई संबंध नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रेस नोट जारी कर कहा कि जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर मिली नकदी को लेकर अफवाहें और गलत जानकारी फैलाई जा रही है. अदालत ने सभी अटकलों को खारिज कर दिया है.