
यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) लागू करने को लेकर दायर याचिकाओं पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई से इंकार कर दिया है. दिल्ली HC ने साफ कहा, इस बारे में फैसला लेना विधायिका का काम है. हम सरकार को इस बारे में कानून लाने के लिए निर्देश नहीं दे सकते हैं.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में भी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने को लेकर ऐसे ही मांग की गई थी, लेकिन SC ने दखल देने से इंकार कर दिया था और उन याचिकाओं को खारिज कर दिया था. शुक्रवार को दिल्ली HC ने कहा, सुप्रीम कोर्ट का आदेश एकदम स्पष्ट है. हाईकोर्ट भी इससे बाहर नहीं जाएगा.
'कोर्ट के रुख के बाद याचिका वापस ली'
कोर्ट के रुख को देखते हुए याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय, निगहत अब्बास, अम्बर जैदी और अन्य ने याचिका वापस ले ली. इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई से इंकार किया. कोर्ट ने कहा, यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर लॉ कमीशन पहले से ही विचार कर रहा है. अगर याचिकाकर्ता चाहे तो अपने सुझाव के साथ लॉ कमीशन का रुख कर सकते हैं.
यूनिफॉर्म सिविल कोड पर मांगे गए थे सुझाव
बताते चलें कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर देश में बहस चल रही है. चर्चा है कि केंद्र सरकार जल्द ही इसे भी लागू करेगी. जुलाई-अगस्त में इसके मसौदे के लेकर कई तरह के सुझाव मांगे गए थे. अब लॉ कमीशन के सूत्रों के अनुसार समलैंगिक विवाह को बाहर करने के लिए यूसीसी पर कमीशन ने रिपोर्ट दी है. सूत्रों का कहना है, विवाह में एक पुरुष और एक महिला ही शामिल होंगे. समलैंगिक विवाह को यूसीसी के दायरे में शामिल नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही UCC पर लॉ कमीशन विवाह से संबंधित धर्मों के रीति-रिवाजों को नहीं छूएगा. तलाक, भरण-पोषण, उत्तराधिकार आदि से संबंधित कानूनों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए रिपोर्ट दी जाएगी. वहीं, बहुविवाह, निकाह हलाला, एकतरफा तलाक आदि के खिलाफ विधि आयोग से सुझाव अपेक्षित है.
इससे पहले भारत के विधि आयोग को प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर देशभर के नागरिकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली थी. सूत्रों के मुताबिक, यूसीसी पर लॉ पैनल को 75 लाख से ज्यादा प्रतिक्रियाएं मिली. पैनल ने विवादास्पद मुद्दे पर सार्वजनिक और धार्मिक संगठनों सहित विभिन्न हितधारकों से राय मांगी थी. बताते हैं कि भारत के राष्ट्रपति के कार्यालय को 3 लाख से ज्यादा सुझाव प्राप्त हुए हैं. जबकि प्रधान मंत्री कार्यालय को 2 लाख से ज्यादा प्रतिक्रियाएं मिली हैं. इन सभी प्रतिक्रियाओं का विधि आयोग विश्लेषण करेगा.सूत्रों के मुताबिक, लॉ पैनल राजनीतिक दलों के साथ वन-टू-वन चर्चा करेगा. यूसीसी पर सार्वजनिक बहस, सेमिनार और संगोष्ठियां आयोजित करेगा.
क्या है समान नागरिक संहिता
यूनिफॉर्म सिविल कोड ( समान नागरिक संहिता) में देश में सभी धर्मों, समुदायों के लिए एक सामान, एक बराबर कानून बनाने की वकालत की गई है. आसान भाषा में कहें तो इस कानून का मतलब है कि देश में सभी धर्मों, समुदाओं के लिए कानून एक समान होना. यह संहिता संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत आती है. अगर सिविल कोड लागू होता है तो विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम होंगे.