
दिल्ली एलजी वीके सक्सेना ने 2.44 करोड़ रुपये के सरकारी धन के गबन के मामले में दिल्ली पुलिस के 10 कर्मियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है. रविवार को राज निवास की ओर से आए एक बयान में इसकी पुष्टि हुई है. दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस के अपने रुख को दोहराते हुए दिल्ली पुलिस के 10 अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है.
दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने बाहरी जिले में तैनात दो महिला उप-निरीक्षकों, तीन हेड कांस्टेबलों और पांच कांस्टेबलों के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और आपराधिक विश्वासघात के आरोप में 1 अक्टूबर 2019 को एफआईआर दर्ज की थी.
गबन का लगा आरोप
आरोपियों में दो महिला सब-इंस्पेक्टर मीना कुमारी और हरेंद्र, हेड कांस्टेबल विजेंद्र सिंह, विजू पीके, आनंद कुमार और कांस्टेबल कृष्ण कुमार, अनिल कुमार, रविंदर, संजय दहिया और रोहित शामिल हैं. बयान में कहा गया है कि उन पर निजी इस्तेमाल के लिए 2.44 करोड़ रुपये की धनराशि के गबन का आरोप लगाया गया है.
इन पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगते हुए, गृह विभाग ने कहा कि प्रकटीकरण बयानों में, कृष्ण, विजेंदर सिंह, अनिल कुमार और मीना कुमारी ने "स्वीकार" किया है कि उन्होंने सरकारी धन का गबन किया है.
दिल्ली पुलिस पहले ही संविधान के अनुच्छेद 311(2)(बी) के प्रावधानों को लागू करके कृष्ण कुमार, विजेंदर सिंह, अनिल कुमार और मीना कुमारी को सेवा से बर्खास्त कर चुकी है. बयान में कहा गया है कि ईओडब्ल्यू ने चारों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है.
ऐसे निकाली गई रकम
जांच अधिकारी ने बताया कि आरोपियों के खाते सीज होने के कारण गबन की गई धनराशि की वसूली नहीं हो सकी है. यह भी बताया गया कि संबंधित जिले में आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है. जांच के दौरान यह पता चला कि गबन की गई राशि आरोपी व्यक्तियों के खातों में जमा की गई है, जिन्होंने अपने कमीशन के रूप में राशि का लगभग 20% रखने के बाद अवैध कमाई को आरोपी अनिल कुमार और उसके रिश्तेदारों के खाते में स्थानांतरित कर दिया. ट्यूशन फीस/एचआरए बिलों की जाँच की गई और बढ़ी हुई राशि और अवैध लाभार्थियों का विवरण निकाला गया और लगभग 2.44 करोड़ रुपये की राशि निकाली गई.