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केजरीवाल सरकार में काम कर रहे 400 'विशेषज्ञों' पर गिरी गाज, LG ने नौकरी से निकाला

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के कार्यालय की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि इन नियुक्तियों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षण नीति का पालन नहीं किया गया है. ये लोग दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों और एजेंसियों में फेलो/सहायक फेलो, सलाहकार/उप सलाहकार, विशेषज्ञ/सीनियर रिसर्च अधिकारी और कंसल्टेंट पदों पर नियुक्त थे. 

दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
कुमार कुणाल
  • नई दिल्ली,
  • 03 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 11:11 PM IST

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने तत्काल प्रभाव से 400 लोगों की सेवाएं समाप्त कर दी है. ये लोग दिल्ली सरकार से जुड़े विभिन्न विभागों, कॉरपोरेशन, बोर्ड और पीएसयू में नियुक्त थे. बयान में कहा गया है कि इन लोगों की तैनाती में पारदर्शिता का पालन नहीं किया गया था, जिस वजह से इन्हें टर्मिनेट कर दिया गया है. 

उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि इन नियुक्तियों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षण नीति का पालन नहीं किया गया है. ये लोग दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों और एजेंसियों में फेलो/सहायक फेलो, सलाहकार/उप सलाहकार, विशेषज्ञ/सीनियर रिसर्च अधिकारी और कंसल्टेंट पदों पर नियुक्त थे. 

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क्या है आरोप?

इनमें से कई उम्मीदवार इन पदों के लिए पर्याप्त शैक्षणिक योग्यताओं को पूरा भी नहीं करते. कई उम्मीदवार ऐसे हैं,जिनके पास इन पदों के लिए पर्याप्त अनुभव भी नहीं है. लेकिन फिर भी उचित मानदंड़ों का पालन किए बिना इनकी नियुक्तियां कर दी गईं. 

दरअसल सेवा विभाग ने इन 400 लोगों को तत्काल प्रभाव से टर्मिनेट करने के लिए एलजी सक्सेना से अनुरोध किया था. इसके बाद उपराज्यपाल ने इन अनुरोध को स्वीकार कर यह एक्शन लिया.

सेवा विभाग ने इस संबंध में 23 विभागों/स्वायत्त संस्थाओं/पीएसयू से जानकारी जुटाई थी कि ये लोग विशेषज्ञ के तौर पर काम कर रहे थे. सेवा विभाग को पता चला कि पर्यावरण, पुरातत्व विभाग, दिल्ली आर्काइव्स, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और उद्योग मंत्रालय जैसे विभागों ने इन लोगों को नियुक्त करने से पहले सक्षम प्राधिकरण से किसी तरह की मंजूरी नहीं ली थी. 

सेवा विभाग की ओर से की गई पड़ताल में पता चला कि पुरातत्व विभाग, पर्यावरण, दिल्ली आर्काइव्स, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और उद्योग जैसे पांच मंत्रालयों में ऐसे 69 लोग थे, जिनकी नियुक्तियों के लिए कोई मंजूरी नहीं ली गई. 

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ठीक इसी तरह से दिल्ली सरकार से जुड़े 13 बोर्ड्स में नियुक्त ऐसे 155 लोग थे, जिनकी नियुक्ति को लेकर आवश्यक मंजूरी नहीं ली गई थी. इसके साथ ही दिल्ली असेंबली रिसर्च सेंटर (डीएआरसी), डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमिशन ऑफ दिल्ली (डीडीसीडी) और डिपार्टमेंट ऑफ प्लानिंग में 187 लोगों की नियुक्तियों की जानकारी सेवा विभाग को नहीं दी गई थी. 

हालांकि, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, खाद्य सुरक्षा, इंदिरा गांधी हॉस्पिटल एंड ट्रांसपोर्ट जैसे चार विभागों में 11 लोगों की नियुक्तियां उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद हुई थी. उपराज्यपाल ने निर्देश दिए हैं कि सभी संबंधित पक्षों को सेवा विभाग के निर्देशों का पालन करना चाहिए. ऐसा नहीं करने पर संबंधित प्रशासनिक सचिव के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की जा सकती है.

बता दें कि इस फैसले की वजह से केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल के बीच एक बार फिर तनातनी बढ़ सकती है. इनकी तैनाती किसी सक्षम प्राधिकरण के बिना ही कर दी गई थी. 

एलजी और केजरीवाल सरकार विवादों की लंबी फेहरिस्त

यह कोई पहला मामला नहीं है, जब उपराज्यपाल और केजरीवाल सरकार के बीच तनातनी बढ़ी है. इससे पहले भी कई मामलों पर दोनों एक दूसरे के सामने आ चुके हैं. फिर चाहे वह दिल्ली के टीचर्स को फिनलैंड भेजने का विवाद हो या फिर दिल्ली में सुप्रीम कौन की लड़ाई हो. कई बार दोनों एक दूसरे के आमने सामने आ चुके हैं.

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एलजी के फैसले पर दिल्ली सरकार का पलटवार

दिल्ली सरकार का कहना है कि एलजी के पास कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की शक्ति नहीं है. उनका रवैया संविधान के खिलाफ है. उनका एकमात्र उद्देश्य हर दिन नए तरीके खोजकर दिल्ली सरकार को पंगु बना देना है ताकि दिल्ली के लोगों को इससे पीड़ा हो. नौकरियों से निकाले गए ये कर्मचारी आईआईएम अहमदाबाद, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, नलसार, जेएनयू, एनआईटी, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और कैम्ब्रिज जैसे प्रतिष्ठित कॉलेज और यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए हैं. और अलग-अलग विभागों में बेहतरीन काम कर रहे थे. इन्हें उचित प्रक्रिया और प्रशासनिक नियमों के तहत नियुक्त किया गया था.

दिल्ली सरकार ने कहा कि एलजी पूरी तरह से दिल्ली को नष्ट करने में लगे हैं. वह इन 400 प्रतिभाशाली युवाओं को दंडित करना चाहते हैं क्योंकि इन्होंने दिल्ली सरकार से जुड़कर काम करना चुना. इन कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस तक जारी नहीं किया गया. ना ही उनसे कारण या स्पष्टीकरण मांगा गया. एलजी के इस असंवैधानिक फैसले को कोर्ट में चुनौती दी जाएगी.

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