
Delhi-NCR Pollution Hearing in SC: प्रदूषण के हालातों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. इस दौरान केंद्र ने कहा कि 21 तारीख से मौसम बदल जाएगा तो प्रदूषण में भी कमी आ जाएगी. इस पर कोर्ट ने भड़कते हुए कहा कि हम हाथ पर हाथ धरकर बैठकर मौसम बदलने का इंतजार नहीं कर सकते. कोर्ट ने ये भी पूछा कि सरकार को प्लान बताना चाहिए कि वो प्रदूषण को रोकने के लिए क्या कदम उठा रही है.
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश हुए एसजी तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने कहा कि मौसम विभाग का कहना है कि 21 नवंबर के बाद मौसम बदलते ही स्थिति में सुधार आने की संभावना है. अभी कई पाबंदियां लगाई गई हैं. क्या कोर्ट कोई सख्ती दिखाने से पहले 21 तारीख तक इंतजार कर सकता है. इस पर भड़कते हुए कोर्ट ने कहा, प्रदूषण पर हम मौसम बदलने का इंतजार नहीं कर सकते.
वहीं, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) ने कहा कि मौसम सुधरेगा तो प्रदूषण की स्थिति में भी सुधार होगा, क्या आप इसी का इंतजार कर रहे हैं. इसके बाद सीजेआई (NV Ramana) ने कहा कि वो 21 तारीख के बाद कम्प्लीट शटडाउन पर विचार करेंगे. इस मामले में अब अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी.
वर्क फ्रॉम होम मुमकिन नहींः केंद्र
सुनवाई के दौरान जब चीफ जस्टिस एनवी रमणा (NV Ramana) ने केंद्र सरकार के दफ्तरों के बारे में सवाल किया तो केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (SG Tushar Mehta) ने हलफनामा पेश करते हुए बताया कि अगर हम सबको वर्क फ्रॉम होम मोड में भेज भी देते हैं तो उसका कोई असर नहीं होगा और सड़कों पर कुछ गाड़ियां ही कम होंगी.
इसके बाद कोर्ट ने कहा कि केंद्र को भी कुछ योगदान देना चाहिए. आपको 100% स्टाफ को वर्क फ्रॉम होम में भेजने की जरूरत नहीं है. कोविड के समय भी आपने पाबंदियां लगाई थीं और संख्या कम की थी. अपनी दलील रखते हुए एसजी मेहता ने कहा कि दिल्ली जैसे छोटे राज्यों में वर्क फ्रॉम होम हो सकता है लेकिन केंद्र सरकार के ऑफिसेस को बंद नहीं कर सकते क्योंकि इससे देश पर असर पड़ेगा.
कोर्ट ने ये भी कहा कि केंद्र के कर्मचारियों के 1000 में 100 दफ्तर एक ही जगह है. ऑफिस का समय भी तय है. फिर क्यों आपके कर्मचारी या अधिकारी एक ही बस या गाड़ी से ऑफिस नहीं आ सकते? इस पर एसजी ने कहा कि सरकार ने अपने कर्मचारियों को कार-पूलिंग करने का सुझाव दिया है.
ब्यूरोक्रेसी को भी कोर्ट की फटकार
चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने ब्यूरोक्रेसी को भी फटकार लगाई. उन्होंने कहा कि पिछले 30 साल से एक जज के तौर पर मैंने देखा है कि ब्यूरोक्रेसी कुछ नहीं करना चाहती. वो कोई फैसला नहीं लेना चाहती. वो चाहती है कि हर फैसला और सुझाव कोर्ट ही दे. वो चाहती है कि हम उन्हें बताएं कि लड़ना कैसे है. उन्होंने आगे कहा कि कल मीटिंग में कोई फैसला क्यों नहीं लिया गया? हमारा 2 घंटे का समय बर्बाद कर दिया.
इसके बाद एसजी मेहता ने कहा कि एक राजा था, उसने फैसला लिया कि उसके राज्य में कोई भी भूखा नहीं सोएगा. तो उसके राज्य में काम करने वाले अधिकारी किसी को सोने ही नहीं देते थे. इस पर सीजेआई ने कहा कि कम से कम उसने ये तो सोचा कि कोई भूखा था या नहीं. लेकिन यहां तो ये हमारे आदेशों पर अपने हस्ताक्षर कर देते हैं.
दिल्ली ने कहा- पराली जलाना बड़ा कारण
दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सब जानते हैं कि 2 महीनों में पराली जलाने की घटनाएं चरम पर हैं. उन्होंने कहा कि पराली जलाना प्रदूषण का कारण है. इस पर सीजेआई रमणा ने कहा कि हम किसानों को सजा देना नहीं चाहते. हम चाहते हैं कि सरकार उनसे पराली न जलाने की अपील करे.
सीजेआई रमणा ने कहा कि यूपी, पंजाब और हरियाणा के सिर्फ कुछ ही गांवों में पराली जलती है. हम उस पर बात नहीं करेंगे. दिल्ली सरकार बताए कि उसने क्या किया है? इस पर सिंघवी ने बताया कि कल जो CAQM ने निर्देश दिए हैं, उसमें से 90% कदम दिल्ली सरकार पहले ही उठा चुकी है.
सिंघवी ने बताया कि नगर निगमों को सड़कें साफ करने के लिए 15 मशीनों की जरूरत है, हमने उसकी खरीद की मंजूरी दे दी है. इस पर कोर्ट ने कहा कि आप म्यूनिसिपैलिटी पर डाल रहे हैं. तब सिंघवी ने दलील देते हुए कहा कि क्योंकि साफ-सफाई का काम MCD का है.
ये भी पढ़ें-- Delhi pollution: धुआं-धुआं सा शहर... राजधानी दिल्ली की सांसों में कैसे घुला जहर?
पंजाब ने बताया- पराली जलाने वालों पर 15,000 तक जुर्माना लगाया
सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार ने भी हलफनामा दायर कर बताया कि 29.61 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है. 2021 में 18.74 लाख पराली निकली. सरकार ने बताया कि पराली जलाने वाले किसानों से 2.5 हजार रुपये से लेकर 15 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया गया है. पंजाब सरकार ने ये भी बताया कि इस साल पराली का प्रबंधन करने के लिए 10,024 मशीनों खरीदी गईं हैं.
सरकार ने कोर्ट में बताया कि उसने पराली जलाने से रोकने के लिए किसानों को एमएसपी पर 100 रुपये प्रति क्विंटल का मुआवजा देने की मांग की है, लेकिन केंद्र की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है.
हरियाणा ने कहा- कंस्ट्रक्शन मटैरियल लाने वाली गाड़ियों पर सख्ती
हरियाणा सरकार ने भी एफिडेविट दाखिल कर बताया कि उसने पानीपत में थर्मल पावर प्लांट को 30 नवंबर तक बंद रखने का फैसला लिया है. साथ ही गुरुग्राम, फरीदाबाद, झज्जर और सोनीपत में सरकारी और निजी दफ्तरों में काम करने वाले कर्मचारियों को घर से ही काम करने को कहा गया है.
हरियाणा ने बताया कि एनसीआर जिलों में भी भारी वाहनों को लेकर नियम तय किए गए हैं. अगर कोई भी गाड़ी कंस्ट्रक्शन या डिमोलिशन मटैरियल को बिना ढंके लेकर आती है तो उस पर चालानी कार्रवाई होगी और उसके मूवमेंट पर कार्रवाई पूरी नहीं होने तक रोक लगा दी जाएगी. हालांकि, हरियाणा सरकार ने पराली को लेकर कोई डेटा नहीं दिया है.