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दिल्ली कूच की तैयारी में किसान, केंद्र सरकार के सामने रखेंगे मांग, आंदोलन के लिए बनाई रणनीति 

केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में किसान दिल्ली कूच की तैयारी कर रहे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में किसान नेताओं ने आंदोलन की रणनीति बनाई है. संगठन का कहना है कि दिल्ली में प्रदूषण को लेकर केवल किसानों को जिम्मेदार ठहराना गलत है.

दिल्ली कूच करने की तैयारी में किसान (फाइल फोटो) दिल्ली कूच करने की तैयारी में किसान (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 9:14 AM IST

संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया है कि केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ अगले तीन महीनों में देशभर में महापंचायतें आयोजित की जाएंगी और उसके बाद फरवरी में किसान दिल्ली की ओर कूच करेंगे. संगठन ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन की रणनीति बनाई. 

संगठन ने एक बयान में कहा, बैठक में सरकार की किसान विरोधी नीतियों और किसानों की मांगों के बारे में जागरूक करने के लिए अगले तीन महीनों में देश भर में 20 महापंचायतें आयोजित करने का निर्णय लिया गया. उसके बाद 26 फरवरी, 2024 को दिल्ली कूच करने का फैसला लिया गया है.  

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किसानों की आठ मुख्य मांगें हैं, जिनमें एमएसपी पर फसलों की खरीद की गारंटी पर कानून, कर्जमाफी, बिजली का निजीकरण रोकना और 60 साल से अधिक की उम्र के किसानों को पेंशन देना शामिल है. 

बयान के अनुसार, बैठक में सभी संगठनों ने सर्वसम्मति से राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के लिए "जानबूझकर" किसानों को जिम्मेदार ठहराने के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया. 

त्योहारों के मौसम में क्यों बढ़ता है प्रदूषण? 

संगठन ने कहा कि धान की 1509 और पीआर किस्मों की कटाई सितंबर के आखिरी सप्ताह में शुरू होती है लेकिन अक्टूबर में प्रदूषण नहीं बढ़ता है. त्योहारों का मौसम आने पर ही दिल्ली में यह प्रदूषण क्यों बढ़ जाता है? 

सरकारों ने किसानों को नहीं दिया बोनस 

किसान नेताओं ने कहा कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि राज्य सरकारें पराली न जलाने वाले किसानों को धान पर 100 रुपये प्रति क्विंटल बोनस दें, लेकिन अब तक किसी भी राज्य सरकार ने बोनस नहीं दिया है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकारें पराली के उचित प्रबंधन के लिए पर्याप्त मात्रा में सुपर सीडर और बेलर मशीनों की व्यवस्था नहीं कर रही हैं.

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