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पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में गिरावट, हरियाणा में नहीं थम रहा आंकड़ा!

दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब को पराली जलाने पर फटकार लगाई थी. हरियाणा में किसानों और अधिकारियों पर कार्रवाई हुई और पंजाब में जुर्माने लगाए गए. 2020 से 2024 तक पराली जलाने की घटनाओं में भारी कमी देखी गई है, जिससे प्रदूषण में सुधार की उम्मीद है.

पंजाब में पराली जलाने की घटना में गिरावट पंजाब में पराली जलाने की घटना में गिरावट
शुभम सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 22 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 8:27 PM IST

दिल्ली में वायु प्रदूषण की बढ़ती समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर को हरियाणा और पंजाब को कड़ी फटकार लगाई. इस मामले में हरियाणा के 14 किसानों को पराली जलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया, और इसके साथ ही राज्य के कृषि विभाग ने 24 अधिकारियों को निलंबित भी कर दिया है. पंजाब में पराली जलाने के कारण 874 एफआईआर दर्ज की गईं और किसानों पर 10.55 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया.

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इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रिकल्चर रिसर्च के अनुसार, सेटेलाइट से 21 अक्टूबर को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में पराली जलाने की 166 घटनाओं का पता चला. अकेले पंजाब में 15 सितंबर से 21 अक्टूबर तक 1,510 घटनाएं दर्ज की गई थीं.

पिछले वर्षों की तुलना में यह संख्या कम है - 2023 में पराली जलाने की 1,764 और 2022 में 3,114 घटनाएं थीं. हरियाणा में इसी अवधि में 655 घटनाएं दर्ज की गईं, जब कि पिछले वर्ष 689 और 2022 में 771 घटनाएं दर्ज की गई थीं.

हरियाणा स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सचिव प्रदीप कुमार ने बताया कि 2021 में हरियाणा में पराली जलाने के 7,000 मामले थे, जो 2023 में घटकर 2,300 हो गए हैं.

हरियाणा में 2020 की तुलना में पराली जलाने की घटनाओं में 51% और पंजाब में 86% की कमी आई है. यह स्पष्ट करता है कि पंजाब अपनी खेतों में आग की समस्या को नियंत्रित करने में सफल हो रहा है.

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इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रिकल्चर रिसर्च के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि 2020 में पंजाब में पराली जलाने की 10,000 से अधिक घटनाएं सामने आई थीं, जो 2024 तक घटकर 1,510 रह गईं. हरियाणा में भी 2020 में 1,326 घटनाएं दर्ज की गई थीं, जो 2024 में घटकर 655 रह गईं.

यह सख्ती दिल्ली के वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए अहम हैं और राज्यों की कोशिशों का आंकलन है. सुप्रीम कोर्ट और स्थानीय प्रशासन के इन कदमों से उम्मीद है कि भविष्य में पराली जलाने की घटनाएं और भी कम होंगी, जिससे वायु प्रदूषण नियंत्रण में रहेगा.

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