
दिल्ली के रोहिणी इलाके में रविवार को हुए धमाके में बड़ी मात्रा में विस्फोटक का इस्तेमाल होने की बात सामने आ रही है. धमाके की आवाज दूर-दूर तक सुनाई दी, जबकि इसके बाद भारी मात्रा में धुआं और धुंध फैल गई. शुरुआती जांच में पता चला है कि धमाके के बाद घटनास्थल से किसी तरह की मेटल सामग्री, बॉल बेयरिंग, या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण नहीं मिले हैं, जिससे बम कैसे ट्रिगर हुआ, इसकी जांच की जा रही है.
मैसेज देने के लिए किया गया धमाका?
सूत्रों के मुताबिक, ऐसा लगता है कि इस धमाके का मकसद कोई संदेश देना था. धमाका CRPF के स्कूल की दीवार के पास किया गया, जबकि पास में कई दुकानें और भीड़-भाड़ वाले इलाके थे, लेकिन वहां विस्फोटक सामग्री नहीं रखी गई. यह एजेंसियों को यह सोचने पर मजबूर कर रहा है कि शायद इस धमाके से किसी को संदेश देने की कोशिश की गई है.
2 किलोमीटर तक सुनाई दी धमाके की आवाज
इस विस्फोट की तीव्रता इतनी अधिक थी कि उसकी आवाज लगभग 2 किलोमीटर तक सुनी गई. हालांकि, राहत की बात यह है कि इस धमाके में कोई घायल नहीं हुआ और न ही जान-माल का कोई बड़ा नुकसान हुआ है.
डायरेक्शनल ब्लास्ट की संभावना
प्रारंभिक जांच में इसे डायरेक्शनल ब्लास्ट माना जा रहा है, जिसमें विस्फोटक सामग्री को इस तरह से लगाया गया था कि उसके रिफ्लेक्टिव प्रेशर (Reflective Pressure) से शॉकवेव पैदा हो, जिससे आसपास के इलाके में नुकसान पहुंचा.
विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे मामलों में ठोस या तरल विस्फोटक सामग्री बहुत गर्म, सघन और उच्च दबाव वाली गैस में बदल जाती है. विस्फोट के बाद यह गैस अत्यधिक तेज गति से फैलती है, जिससे हवा में एक शक्तिशाली शॉकवेव उत्पन्न होती है. यह शॉकवेव सुपरसोनिक गति से फैलती है, जिससे आसपास की इमारतों और गाड़ियों के शीशे टूट गए.
जानबूझकर किया गया धमाका?
ब्लास्ट के इस स्वरूप को देखते हुए जांच एजेंसियां इसे किसी सुनियोजित साजिश के तहत किया गया धमाका मान रही हैं. विस्फोटक सामग्री को दिशा देकर अधिक नुकसान पहुंचाने के लिए इसे डायरेक्शनल रूप में रखा गया था. फिलहाल जांच के लिए मौके पर कई सुरक्षा एजेंसियां जुटी हैं और मामले की गहराई से जांच की जा रही है.