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दिल्ली सेवा बिल पर 'INDIA' की एकजुटता फेल, NDA की जीत

दिल्ली सेवा विधेयक पर चर्चा के बाद वोटिंग हो रही है. लोकसभा से यह बिल पास हो चुका है. दिल्ली सरकार में वरिष्ठ अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग पर अध्यादेश को बदलने का विधेयक 3 अगस्त को विपक्षी दलों के बॉयकॉट बीच लोकसभा में ध्वनिमत से पारित हो गया था.

राज्यसभा में वोटिंग के लिए बांटी गईं पर्चियां राज्यसभा में वोटिंग के लिए बांटी गईं पर्चियां
मौसमी सिंह/अशोक सिंघल
  • नई दिल्ली,
  • 07 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 10:14 PM IST

दिल्ली सेवा विधेयक पर चर्चा के बाद सोमवार शाम को ही वोटिंग हुई. इसके बाद 131 वोट से दिल्ली सेवा बिल राज्यसभा में भी पास हो गया है. बिल के विरोध में 102 वोट ही पड़ सके. इस तरह कुछ दिन पहले ही बने विपक्षी दलों के गठबंधन 'INDIA' की एकजुटता फेल साबित हो गई. इस विधेयक को निरस्त करना विपक्षी एकता की जीत की पहली शुरुआत हो सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. राज्यसभा में वोटिंग कराने के लिए पहले मशीन से वोटिंग का प्रावधान समझाया गया. लेकिन थोड़ी देर बाद उपसभापति ने घोषणा की कि मशीन में कुछ खराबी है इसलिए वोटिंग पर्ची के जरिए कराई जाएगी. बता दें कि इससे पहले गुरुवार को लोकसभा में विपक्षी दलों के बायकॉट के बीच ध्वनिमत से यह बिल पारित हो गया था. 

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Live Updates: 

संसद में दिल्ली सेवा बिल पर चर्चा खत्म होने के बाद गृह मंत्री अमित शाह जवाब देने के लिए उठे. इस दौरान अमित शाह ने कहा कि बिल के एक भी प्रावधान से पहले जो व्यवस्था थी, जब इस देश में कांग्रेस की सरकार थी, उस व्यवस्था में किंचित मात्र भी परिवर्तन नहीं हो रहा है. 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन नहीं है बिल: अमित शाह

राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल पर बहस का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वह सबूत देंगे कि यह विधेयक किसी भी एंगल से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन नहीं करता है. यह विधेयक दिल्ली पर मौजूदा केंद्र सरकार के अध्यादेश को बदलने का प्रयास है. 

इमरजेंसी के दौर पर शाह का हमला

इमरजेंसी के दौर पर हमला बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि यह बिल किसी पीएम को बचाने के लिए नहीं है. अमित शाह ने हंगामे के बीच कहा कि कांग्रेस को लोकतंत्र पर बोलने का हक नहीं है. शाह ने कहा कि AAP की गोद में बैठी कांग्रेस यह बिल पहले लेकर आई थी. शाह बोले, इस देश के पूर्व पीएम की सदस्यता बचाने के लिए ये बिल नहीं लाए. शाह ने कहा कि जब यह बिल पर चर्चा कर रहे थे, तो मुझे डेमोक्रेसी समझ रहे थे. तो अब मैं उनको समझा रहा हूं कि डेमोक्रेसी क्या है. इमरजेंसी में 3 लाख से ज्यादा राजनीतिक दल के नेताओं को जेल में डाल दिया गया था. सारे अखबारों को सेंसर में डाल दिया गया था. 

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यहां की सरकार को सीमित अधिकार दिए गए हैं...

गृह मंत्री ने कहा कि 19 मई 2023 को लाए गए अध्यादेश के जगह हम विधि द्वारा व्यवस्था को स्थापित करना चाह रहे हैं. दिल्ली कई माइनों में सभी राज्यों से अलग प्रदेश है. यहां सुप्रीम कोर्ट है, एबेंसी हैं, यहां पर है देश की राजधानी है. बार-बार दुनियाभर के राष्ट्रीय अध्यक्ष यहां पर चर्चा करने के लिए आते हैं. इसीलिए दिल्ली को यूनियन टेरिटरी बनाया गया. यहां की सरकार को सीमित मात्र अधिकार दिए गए हैं. 

अमित शाह ने राघव चड्ढा के बयान का जवाब देते हुए कहा कि अच्छे शब्दों से असत्य सत्य नहीं हो जाता. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को पावर लेने की जरूरत नहीं है. केंद्र सरकार को पहले से ही 130 करोड़ जनता ने पावर दी हुई है. अमित शाह ने कहा कि बिल का एक भी प्रावधान गलत नहीं है. हम विधि द्वारा स्थापित व्यवस्था लाए हैं. सुप्रीम कोर्ट के किसी भी फैसले का उल्लंघन नहीं है. बिल का मकसद भ्रष्टाचार रोकना है. ऊपर नीचे अलग-अलग पार्टी की सरकार रही दिल्ली में. किसी का 2015 तक कोई झगड़ा नहीं हुआ. सभी विकास करना चाहते थे. उस वक्त ऐसी व्यवस्था से निर्णय होते थे और ट्रांसफर पोस्टिंग में कोई झगड़ा नहीं होता था.

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'केजरीवाल ने की फाइलों की हेराफेरी'

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने AAP पर हमला बोलते हुए कहा कि शराब घोटाले का भी जिक्र किया. शाह ने केजरीवाल के आवास को लेकर 'शीशमहल' शब्द का भी इस्तेमाल किया. इस पर संसद में जोरदार हंगामा हो गया. इस पर अमित शाह ने कहा कि शीशमहल में असंसदीय कुछ भी नहीं है. शाह ने अपने बयान से AAP पर हमला बोलते हुए कहा कि इनका उद्देश्य विजिलेंस विभाग में तबादले कराना है. शाह ने कहा कि आधी रात में AAP के नेताओं ने विजिलेंस विभाग में जाकर कागजों को इधर-उधर किया. 

विजिलेंस विभाग और AAP का बैर

अमित शाह ने कहा कि जिस विजिलेंस को निशाना बनाया गया, उसी विजिलेंस के पास मुख्यमंत्री के बंगले की फाइल थी, जिसमें 6 गुना ज्यादा खर्च हुआ. इनके पास इंटेलिजेंस यूनिट नहीं है पर इन्होंने फीडबैक यूनिट बनाया. जिसकी जांच और जानकारी इकट्ठा करने इसकी जांच भी विजिलेंस के पास है. अगर यह ना करते तो सारे घोटालों की फाइल को गुम करने का विजिलेंस जांच करना पड़ता. आधी रात को जो फाइल इधर-उधर करने की कोशिश हुई, यह भी इमरजेंसी थी. शाह ने कहा कि इसीलिए ऑर्डिनेंस लाना पड़ा जो कि संविधान सम्मत है. इसमें गैर संवैधानिक क्या है.

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TMC सांसद को सभापति ने टोका

सदन में हंगामे के बीच सभापति जगदीप धनखड़ ने एक बार TMC सांसद डेरेक ओ ब्रायन को रोका. सभापति ने कहा कि डेरेक आप संवैधानिक संवैधानिक व्यवस्था का उपहास कर रहे हैं. सभापति ने कहा कि सदन में आपका आचरण घटिया है. बैठ जाइए. आप यह तमाशा करते हैं, नौटंकी करते हैं. 

मणिपुर के मुद्दे पर 11 अगस्त तक कभी भी हो चर्चा- अमित शाह

मणिपुर के मुद्दे पर भी अमित शाह ने कहा कि मैं पहले ही पत्र लिख चुका हूं कि मैं हर दम चर्चा के लिए तैयार हूं. हमें इस मुद्दे पर कुछ छिपाना नहीं है. छिपाना आपको कुछ होगा इसीलिए आप चर्चा के लिए तैयार हैं. शाह ने कहा कि विपक्ष धारा 267 के तहत चर्चा चाहती है. जिसका उद्देश्य राज्यसभा में वोटिंग होना है. तो शाह ने कहा कि वोटिंग से विपक्ष को कुछ हासिल होना नहीं है. अगर वोटिंग से कुछ होना होता तो यह हमारे किसी बिल को गिरा लें. अमित शाह ने कहा कि हम 11 अगस्त तक चर्चा के लिए कभी भी तैयार हैं. 

'हमारा इशारा नागपुर से आता है, आपका चीन और रूस से'

इस दौरान किसी सांसद मे अमित शाह को टोका. तो शाह ने जवाब देते हुए कहा, कह रहे हैं कि नागपुर से इशारा आता है. मान लीजिए नागपुर से इशारा आता है. तो नागपुर तो भारत में है. लेकिन ये लोग तो चीन और रशिया से इशारा लेते हैं.

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राघव चड्ढा ने अमित शाह को घेरा

AAP सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा में दिल्ली सर्विस बिल पर बोलते हुए कहा कि ये राजनैतिक धोखा है. उन्होंने कहा कि एक टाइम वो भी था जब भारतीय जनता पार्टी ने खुद दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग की थी. राघव चड्ढा ने अमित शाह का लोकसभा में दिए बयान पर भी पलटवार किया. शाह ने लोकसभा में पंडित जवाहरलाल नेहरू के बयान को दोहराते हुए दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने का विरोध किया था. इसी बयान का पलटवार करते हुए राघव चड्ढा ने गृहमंत्री को नसीहत दी कि आप नेहरूवादी मत बनिए, आप तो बस आडवाणीवादी बनिए. जिन्होंने कि खुद दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाए जाने की मांग उठाई थी. राघव चड्ढा ने कहा कि भाजपा के पुराने नेताओं ने 40 वर्षों तक दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाए जाने की मांग की लेकिन आज के नेताओं ने इस पूरे संघर्ष को मिट्टी में मिलाने का काम किया है. 

कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर बोला हमला

इस बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, भाजपा का दृष्टिकोण किसी भी तरह से नियंत्रण करने का है. यह बिल पूरी तरह से असंवैधानिक है, यह मौलिक रूप से अलोकतांत्रिक है, और यह दिल्ली के लोगों की क्षेत्रीय आवाज और आकांक्षाओं पर एक प्रत्यक्ष हमला है. यह संघवाद के सभी सिद्धांतों, सिविल सेवा जवाबदेही के सभी मानदंडों और विधानसभा-आधारित लोकतंत्र के सभी मॉडलों का उल्लंघन करता है. बीजेपी दिल्ली में सुपर CM बनाने की कोशिश में जुटी है. 

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सोमवार को पेश हुआ बिल 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार संशोधन- विधेयक, 2023) पेश किया. लोकसभा से यह बिल पास हो चुका है. सत्तापक्ष और विपक्ष ने अपने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा था. दिल्ली में अधिकारों की जंग वाले इस बिल पर आम आदमी पार्टी को 26 विपक्षी पार्टियों ('INDIA' गठबंधन) का समर्थन है. इसके अलावा तेलंगाना की सत्ताधारी BRS ने भी अपने सांसदो का बिल का विरोध करने के लिए कहा है. उधर, बसपा इस बिल पर बायकॉट करेगी. जबकि बीजेडी, वाईएसआर और टीडीपी जैसे गैर NDA दलों ने भी मोदी सरकार को बिल पर समर्थन देने का ऐलान किया है. 

केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच लंबे समय से चला आ रहा विवाद?

दरअसल, दिल्ली में अधिकारों की जंग को लेकर लंबे समय से केंद्र और केजरीवाल सरकार में ठनी है. दिल्ली में विधानसभा और सरकार के कामकाज के लिए एक रूपरेखा प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (GNCTD) अधिनियम, 1991 लागू है. 2021 में केंद्र सरकार ने इसमें संशोधन किया था. 

संशोधन के तहत दिल्ली में सरकार के संचालन, कामकाज को लेकर कुछ बदलाव किए गए थे. इसमें उपराज्यपाल को कुछ अतिरिक्त अधिकार दिए गए थे. इसके मुताबिक, चुनी हुई सरकार के लिए किसी भी फैसले के लिए एलजी की राय लेनी अनिवार्य किया गया था.
 
GNCTD अधिनियम में किए गए संशोधन में कहा गया था, ‘राज्य की विधानसभा द्वारा बनाए गए किसी भी कानून में सरकार का मतलब उपराज्यपाल होगा.’ इसी वाक्य पर मूल रूप से दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को आपत्ति थी. इसी को आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. 

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- केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि राजधानी में भूमि और पुलिस जैसे कुछ मामलों को छोड़कर बाकी सभी मामलों में दिल्ली की चुनी हुई सरकार की सर्वोच्चता होनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार के पक्ष में सुनाया फैसला

- केजरीवाल की याचिका पर मई में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने माना दिल्ली (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ) में विधायी शक्तियों के बाहर के क्षेत्रों को छोड़कर सेवाओं और प्रशासन से जुड़े सभी अधिकार चुनी हुई सरकार के पास होंगे. हालांकि, पुलिस, पब्लिक आर्डर और लैंड का अधिकार केंद्र के पास ही रहेगा.

- कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, ''अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा. चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक सेवा का अधिकार होगा. उपराज्यपाल को सरकार की सलाह माननी होगी.''

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र लाया अध्यादेश

- केंद्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को बदलने के लिए 19 मई को जो अध्यादेश लाया गया था. इसमें राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) बनाने को कहा गया था. इसमें कहा गया था कि ग्रुप-ए के अफसरों के ट्रांसफर और उनपर अनुशासनिक कार्रवाही का जिम्मा इसी प्राधिकरण को दिया गया. अब इस अध्यादेश को कानूनी रूप देने के लिए सदन में विधेयक पेश किया गया है. यह लोकसभा से पास हो गया है. अब राज्यसभा में बिल पर वोटिंग होगी. 

राज्यसभा का क्या है गणित?

- राज्यसभा में कुल सांसद 238 हैं. बीएसपी का राज्यसभा में 1 सांसद है. ऐसे में बसपा बायकॉट करती है, तो कुल सांसद 237 होंगे और बहुमत के लिए 119 सांसदों की जरूरत पड़ेगी. विपक्षी दलों के गठबंधन 'INDIA' पर 105 सांसद हैं. 

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- वहीं, बीजेपी के राज्यसभा में 92 सांसद हैं. इनमें 5 मनोनीत सांसद हैं. जबकि सहयोगी दलों को मिलाकर यह 103 हो जाते हैं. बीजेपी को दो निर्दलीय सांसदों का भी समर्थन है. इसके अलावा दिल्ली सेवा बिल पर वाईएसआर, बीजेडी और टीडीपी ने केंद्र का समर्थन करने का ऐलान किया. बीजेपी और वाईएसआर कांग्रेस के राज्यसभा में 9-9 सांसद हैं. जबकि टीडीपी का एक सांसद है. ऐसे में अब बीजेपी के पास 124 सांसदों का समर्थन होगा और राज्यसभा में भी बिल आसानी से पास हो जाएगा.

बिल पर केजरीवाल के विरोध में कौन कौन सी पार्टियां ?

पार्टी राज्यसभा में सीटें
बीजेपी 92
वाईएसआर 9
बीजेडी 9
AIADMK 4
आरपीआई 1
टीडीपी 1
असम गण परिषद 1
पट्टाली मक्कल काची 1
तमिल मनीला कांग्रेस 1
एनपीपी 1
एमएनएफ 1
यूपीपी(लिबरल) 1


बिल पर केजरीवाले के पक्ष में कौन कौन?

पार्टी राज्यसभा में सीटें
कांग्रेस 31
टीएमसी 13
आप 10
डीएमके 10
सीपीआई एम 5
जेडीयू 5
शिवसेना (उद्धव गुट) 4
एनसीपी (शरद पवार) 3
जेएमएम 2
सीपीआई 2
आईयूएमएल केरल कांग्रेस 1
आरएलडी 1
एमडीएमके 1
बीआरएस 7

 - एनसीपी के 4 राज्यसभा सांसद हैं. लेकिन प्रफुल्ल पटेल खुले तौर पर अजित गुट में शामिल हुए हैं. ऐसे में उनका वोट भी बीजेपी को मिलने की संभावना है. 
 

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