
फरवरी में दिल्ली के नॉर्थ-ईस्ट क्षेत्र में हुई हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस की ओर से की जा रही जांच पर 5 सांसदों ने आपत्ति जताई है और इसको लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक ज्ञापन सौंपा है. 5 सांसदों ने हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस की जांच को लेकर सवाल उठाए हैं.
दिल्ली हिंसा में दिल्ली पुलिस द्वारा की जा रही जांच को लेकर विपक्ष के 5 सांसदों (डी राजा, सीताराम येचुरी, अहमद पटेल, कनीमोझी और मनोज झा) ने सवाल उठाए और जांच को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक ज्ञापन भी सौंपा है.
दिल्ली के नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में 23 से 26 फरवरी के बीच हिंसा हुई थी जिसमें 53 लोग मारे गए थे. हिंसा की जांच के लिए दिल्ली पुलिस ने विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया था जो हिंसा को लेकर रचे गए षड्यंत्र को लेकर भी जांच कर रही है.
हिंसा में पुलिस की भी भूमिका
राष्ट्रपति कोविंद को दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को दंगाई बता रही है. दिल्ली पुलिस की जांच एकतरफा है. ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं जिसमें हिंसा में दिल्ली पुलिस की भूमिका भी नजर आ रही है.
ज्ञापन में कहा गया कि दिल्ली पुलिस ने कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी समेत कई बुद्धिजीवियों के नाम गलत तरीके से डाले हैं जो सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान भाषण देने गए थे. यह सभी को मालूम है.
ज्ञापन के अनुसार हिंसा के दौरान वायरल हुए एक वीडियो में दिल्ली पुलिस के कई जवान घायल पड़े युवक फैजान से राष्ट्रगान गाने के लिए कह रहे हैं और वह बाद में मर जाता है.
बीजेपी नेताओं को लेकर पुलिस का पक्षपात
5 सांसदों की ओर से आरोप लगाया गया कि दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में भड़काऊ भाषण देने वाले बीजेपी नेताओं कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा, अनुराग ठाकुर का नाम तक नहीं है. दिल्ली पुलिस ने हिंसा में बीजेपी नेताओं की भूमिका पर आंखों पर पट्टी बांध ली है.
ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि FIR 59/2020 जो कि दिल्ली हिंसा की साजिश पर है उसमें नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले युवाओं को UAPA के कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है.
दिल्ली पुलिस की जांच पूरी तरह पक्षपातपूर्ण है. दिल्ली हिंसा की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि लोगों का विश्वास कानून और व्यवस्था देखने वाली संस्थाओं पर बना रहे.
ज्ञापन के जरिए पांचों सांसदों की ओर से यह मांग भी की है कि दिल्ली हिंसा की जांच कमिशन ऑफ इन्क्वायरी एक्ट 1952 के तहत किसी मौजूद या रिटायर्ड जज द्वारा कराई जाए.