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'60 डिग्री से ज्यादा था तापमान, ऐसा मंजर कभी नहीं देखा', चाइल्ड केयर में लगी आग से 5 बच्चों को बचाने वालों की जुबानी

दिल्ली के विवेक विहार में स्थिति बेबी केयर न्यूबॉर्न हॉस्पिटल में बीते शनिवार की रात को आग लगने से 7 नवजातों की मौत हो गई थी. ये संख्या और ज्यादा होती, अगर दिल्ली फायर सर्विस के ये पांच जांबाज कर्मचारी नहीं होते.

दिल्ली के चाइल्ड केयर में आग लगने से 7 नवजातों की मौत हो गई थी. दिल्ली के चाइल्ड केयर में आग लगने से 7 नवजातों की मौत हो गई थी.
मनीष चौरसिया
  • नई दिल्ली,
  • 31 मई 2024,
  • अपडेटेड 6:43 AM IST

राजधानी दिल्ली के विवेक विहार स्थित बेबी केयर सेंटर में कुछ दिन पहले भयानक आग लग गई थी. इस दर्दनाक हादसे में सात नवजातों की मौत हो गई थी. लेकिन इसी जगह से दिल्ली फायर सर्विस के कुछ जांबाज कर्मचारियों ने पांच बच्चों की जान भी बचाई. 

ये वो कर्मचारी थे, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर उस जलती हुई इमारत से पांच बच्चों को बचा लिया. दिल्ली फायर सर्विस के उन पांच में से तीन फायर ऑपरेटरों से हमने बात की, जो आग लगने के बाद वहां सबसे पहले पहुंचे थे. 

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‘60 डिग्री से ज्यादा था कमरे का तापमान’

उन्होंने बताया कि जब हम घटना स्थल पर पहुंचे तो पूरा चाइल्ड केयर सेंटर आग की चपेट में आ चुका था. सिलेंडर में रह-रहकर ब्लास्ट हो रहा था. तभी किसी ने हमें बताया कि अंदर बच्चे मौजूद हैं. हमारी दो टीमें बनाई गईं, एक रेस्क्यू के लिए और दूसरी आग बुझाने के लिए. हम तीनों रेस्क्यू टीम में थे. 

फायर ऑपरेटर अनिल कुमार बताते हैं कि हमने अंदर जाने का रास्ता खोजना शुरू किया. किसी ने हमें पीछे का रास्ता दिखाया जहां पर लोगों ने पहले से ही सीढ़ी लगा रखी थी। हम सीढ़ी पर चढ़कर खिड़की के जरिए कमरे में दाखिल होने को तैयार हुए लेकिन उस वक्त कमरे का तापमान 60-70 डिग्री से भी ज्यादा था.

‘हमने बच्चों को जलते हुए देखा है’

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फायर ऑपरेटर दीन दयाल मीना बताते हैं कि अंदर के हालात बेहद खतरनाक थे. जब हम कमरे में पहुंचे तो वहां बुरा हाल था और छत का लैंटर टूट-टूटकर बच्चों के ऊपर गिर रहा था. कुछ बच्चों के हाथ जल चुके थे तो किसी के पैर, कई बच्चों का पेट फट चुका था लेकिन हमने ये सब कुछ भूलकर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया और हम सब चेन बनाकर खड़े हो गए. 

मीना आगे बताते हैं कि हम एक के बाद एक बच्चों को कपड़े में लपेटकर बाहर निकालते रह. धीरे-धीरे हमने 12 बच्चे बाहर निकाले. उस वक्त हमें नहीं पता था कि कितने बच्चे जीवित है और कितनों ने अपनी जान गंवा दी. हम बस बेसुध होकर बच्चों को बाहर निकालने में लगे थे.

‘काश हमें 10 मिनट पहले सूचना मिलती!’

रेस्क्यू टीम के फायर ऑपरेटर लोकेश मीना का कहना है कि काश हमको 10 मिनट पहले सूचना मिल जाती. अगर हम दस मिनट पहले पहुंच जाते, तो शायद सारे बच्चों की जान बच जाती. 

ऐसा कहा जा रहा है कि चाइल्ड केयर सेंटर ने फायर डिपार्टमेंट को आग की सूचना 35 मिनट बाद दी थी.

‘हमें अपने या हमारे परिवार की चिंता नहीं थी’

रेस्क्यू टीम के इन फायर ऑपरेटर्स का भी परिवार है. इनके भी बच्चे हैं. हालांकि, ये लोग कहते हैं कि घटनास्थल पर पहुंचकर हम सबके दिमाग में अपने परिवार की चिंता नहीं चल रही थी, बल्कि हमारी यह कोशिश थी हम ज्यादा से ज्यादा बच्चों की जान बचा पाएं. फायर ऑपरेटर्स बताते हैं कि उन्होंने अपने करियर में इतना भयानक हादसा नहीं देखा जिसमें सिर्फ छोटे नवजात बच्चों ने ही अपनी जान गंवायी हो.

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