
दिल्ली और हरियाणा के बीच (Delhi Vs Haryana) एक बार फिर पानी की सप्लाई को लेकर जंग छिड़ गई है. दिल्ली जल बोर्ड (DJB) की ओर से हरियाणा सरकार पर जानबूझकर पानी की सप्लाई कम करने का आरोप लगाया गया है, जिसके कारण यमुना (Yamuna) में पानी कम हो गया है. अब ये पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के दरवाज़े तक पहुंच गया है.
पानी पर दिल्ली बनाम हरियाणा की जंग
दिल्ली जल बोर्ड (DJB) के राघव चड्ढा ने सबसे पहले आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार की ओर से 120 मिलियन गैलन कम पानी छोड़ा गया है, जिसके कारण यमुना में पानी की कमी हो गई है. उन्होंने हरियाणा सरकार पर पानी के मसले पर राजनीति करने का आरोप लगाया.
दूसरी ओर हरियाणा (Haryana) की ओर से जवाब दिया गया है कि मॉनसून में देरी और आम आदमी पार्टी के मिसमैनेजमेंट के कारण यमुना में पानी की कमी आई है. हरियाणा सरकार का कहना है कि ये समस्या हरियाणा की दी हुई नहीं, बल्कि पूरी तरह से दिल्ली द्वारा पैदा की गई है.
हरियाणा सरकार की ओर से दावा किया गया है कि मॉनसून में देरी के बावजूद हम दिल्ली को उसकी तय मात्रा में पानी सप्लाई कर रहे हैं.
कितने पानी की ज़रूरत, क्या हैं आरोप?
हरियाणा की सरकार के मुताबिक, हरियाणा द्वारा मुनेक के रास्ते दिल्ली को 1049 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है. हरियाणा का कहना है कि यमुना में इस वक्त कुल 40 फीसदी कम पानी है, लेकिन इसके बवाजूद दिल्ली को उसका शेयर मिल रहा है.
यमुना के मुनेक से दिल्ली को कुल 719 क्यूसेक का हिस्सा मिलता है, जबकि 1996 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के मुताबिक, 330 क्यूसेक पानी अतिरिक्त दिया जाता है. हरियाणा का दावा है कि दिल्ली में 20 फीसदी पीने का पानी सिर्फ मिस-मैनेजमेंट से बर्बाद होता है.
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब दिल्ली और हरियाणा पानी के मसले को लेकर आमने-सामने आए हो. क्योंकि यमुना हरियाणा से होकर ही दिल्ली में आती है, ऐसे में ये विवाद साल दर साल सामने आता रहता है. इस बार ये मसला तब गर्म हुआ है जब दिल्ली में पीने की पानी की ज़ोरदार किल्लत है.
(एजेंसी से इनपुट)