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J&K: 'देश में परिसीमन 2026 में होगा तो जम्मू-कश्मीर में अभी क्यों'? प्रक्रिया को SC में चुनौती

जम्मू कश्मीर में परिसीमन प्रक्रिया चल रही है. लेकिन इसका विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. इसमें परिसीमन की प्रक्रिया को असंवैधानिक बताया गया है.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 29 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 1:57 PM IST
  • विधानसभा में सीटों को बढ़ाने का भी विरोध
  • प्रक्रिया संवैधानिक तौर पर गलत बताया गया

Jammu Kashmir News: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की विधानसभा सीटों के परिसीमन का काम अंतिम चरण में है. इसी बीच परिसीमन की प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए एक याचिका दाखिल की गई है.
याचिका में परिसीमन अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग की गई है. जम्मू-कश्मीर निवासियों की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का परिसीमन करने के लिए परिसीमन आयोग के गठन की अधिसूचना असंवैधानिक है. 

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याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 170 के मुताबिक देश में अगला परिसीमन 2026  में होना है, तो जम्मू कश्मीर में अभी परिसीमन क्यों किया जा रहा है. साथ ही यह समानता के अधिकार का उल्लंघन है. लिहाजा इस प्रक्रिया का विरोध किया गया है.

याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने मनमाने ढंग से निर्वाचन आयोग की शक्तियों को अनदेखा कर अधिसूचना जारी की है. याचिका में केंद्र सरकार द्वारा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा में सीटों की संख्या 83 से बढ़ाकर 90 करने का विरोध भी किया गया है. साथ ही कहा गया है कि मार्च 2020 की अधिसूचना जम्मू और कश्मीर और असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नगालैंड में परिसीमन करने के लिए परिसीमन आयोग के गठन की प्रक्रिया संवैधानिक तौर पर ठीक नहीं है.

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याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार का ये कदम अनुच्छेद-14 के तहत नागरिकों के समानता के अधिकार का उल्लंघन है. बता दें कि ये याचिका जम्मू-कश्मीर के निवासी हाजी अब्दुल गनी खान और डॉ. मोहम्मद अयूब मट्टू द्वारा दायर की गई है. हाजी अब्दुल गनी खान और डॉक्टर मोहम्मद अयूब मट्टू जम्मू कश्मीर के रहने वाले हैं. उन्होंने दलील दी है कि परिसीमन आयोग का गठन कानून की सीमा के परे है.

 

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