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Dengue: 40-50 हजार प्लेटलेट काउंट वालों के लिए भी खतरनाक हो सकता है डेंगू

आपको जानकर हैरानी होगी कि प्लेटलेट का कम हो जाना ही डेंगू के गंभीर होने का एक मात्र पैमाना नहीं है. डॉक्टरों के मुताबिक, 40,000-50,000 प्लेटलेट काउंट वाले डेंगू शॉक सिंड्रोम के मरीज भी गंभीर हो सकते हैं.

रोगी की गंभीरता केवल प्लेटलेट काउंट से जुड़ी नहीं होती है (सांकेतिक फोटो) रोगी की गंभीरता केवल प्लेटलेट काउंट से जुड़ी नहीं होती है (सांकेतिक फोटो)
राम किंकर सिंह
  • नई दल्ली,
  • 14 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 2:17 PM IST
  • रोगी की गंभीरता केवल प्लेटलेट काउंट से जुड़ी नहीं होती है
  • डेंगू में दोबारा संक्रमण ज़्यादा खतरनाक

दिल्ली में डेंगू के बढ़ते मामलों के बीच प्लेटलेट का कम होना एक ऐसा लक्षण है जिससे ज़्यादातर मरीज डर जाते हैं और किसी भी हालत में अस्पताल में भर्ती होना चाहते हैं. खून के बहने या रूकने के लिए प्लेटलेट ही जिम्मेदार होती हैं, जबकि आपको जानकर हैरानी होगी कि प्लेटलेट का कम हो जाना ही डेंगू के गंभीर होने का एक मात्र पैमाना नहीं है.

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अच्छी प्लेटलेट वाले डेंगू मरीज़ भी खतरे में पड़ सकते हैं
  
आकाश हेल्थकेयर सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार और आंतरिक चिकित्सा विभाग के एचओडी डॉ. राकेश पंडित का कहना है कि रोगी की गंभीरता केवल प्लेटलेट काउंट से जुड़ी नहीं होती है. 40,000-50,000 प्लेटलेट काउंट वाले डेंगू शॉक सिंड्रोम के मरीज भी गंभीर हो सकते हैं. अगर सामान्य प्लेटलेट काउंट वाले रोगी में बीपी में उतार-चढ़ाव, हीमोग्लोबिन, सांस फूलने की समस्या, रक्तस्राव की समस्या, पेट की समस्या जैसे अन्य लक्षण हैं, तो भी वह खतरे में पड़ सकता है. रोगी में प्लेटलेट की संख्या की तुलना में पैक सेल वॉल्यूम (Pack Cell Volume-PCE) का कंसंट्रेशन अधिक महत्वपूर्ण है. हीमोग्लोबिन में उतार-चढ़ाव मरीज के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकता है. 
 
डेंगू का मामला तब और गंभीर हो जाता है, जब मरीज दूसरी बार इससे पीड़ित होता है. डेंगू में दोबारा संक्रमण ज़्यादा खतरनाक है. अगर मरीज 2 साल पहले डेंगू से पीड़ित था और अब फिर से संक्रमित हो गया है, तो इससे खतरा बढ़ सकता है. डेंगू से बचाव के लिए अनावश्यक एंटीबायोटिक्स और एस्पिरिन जैसी अन्य दर्द निवारक दवाओं से बचें. डेंगू की संभावना को रोकने के लिए नियमित जांच ज़रूरी है.  

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कुछ उपायों से रोकी जा सकती हैं जटिलताएं

पीएसआरआई अस्पताल के आंतरिक चिकित्सा विभाग की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. विनीता टंडन ने बताया कि डेंगू के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है. हालांकि, कुछ सहायक उपाय हैं जो जटिलताओं को रोकने में मदद कर सकते हैं. जैसे- खूब पानी पीना (हाइड्रेशन सबसे महत्वपूर्ण तत्व है), बुखार को नियंत्रित करने के लिए NSAIDS से बचना और जब भी ज़रूरी हो, तो उचित आराम के साथ केवल पेरासिटामोल लेना. अगर ऐसे ही लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से मिलें. अक्सर प्लेटलेट कम होने पर लोग यही सोचते हैं कि मरीज को खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है जबकि कई मायनों में ये भी खतरनाक हो जाता है.  
 
डॉ. विनीता ने कहा कि प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन की जरूरत तभी पड़ती है, जब संख्या 10,000 से कम हो. अगर प्लेटलेट संख्या ज़्यादा है तो रक्त-आधान (blood transfusion) की कोई आवश्यकता नहीं है जब तक कि रक्तस्राव का कोई सबूत न हो. किसी भी प्रकार के अवांछित रक्त-आधान के अपने जोखिम होते हैं और इसलिए इसे केवल दिशा-निर्देशों के अनुसार ही किया जाना चाहिए. हालांकि, co-morbidities वाले लोगों को उच्च स्तर पर भी आधान की आवश्यकता हो सकती है.

 

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