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'धर्म के आधार पर मिलने वाला आरक्षण कतई बर्दाश्त नहीं, समीक्षा करेंगे', मुस्लिम रिजर्वेशन पर बोले डिप्टी CM मौर्या

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने कहा, 'उत्तर प्रदेश में आरक्षण में मुस्लिम जातियों को लेकर समीक्षा होगी. यह देखा जाएगा कि उन्हें किस आधार पर ओबीसी की श्रेणी में रखा गया है. उत्तर प्रदेश की सरकार मुस्लिम आरक्षण की समीक्षा करेगी. धार्मिक आधार पर मिलने वाले आरक्षण को हम कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे और सरकार इसे 4 जून के बाद देखेगी.'

यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 28 मई 2024,
  • अपडेटेड 11:55 AM IST

उत्तर प्रदेश सरकार ने मुस्लिमों को मिलने वाले आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला लिया है. प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में आरक्षण में मुस्लिम जातियों की समीक्षा की जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार धर्म के आधार पर मिलने वाले आरक्षण को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं करेगी.

चुनाव में गूंज रहा आरक्षण का मुद्दा

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लोकसभा चुनाव 2024 में लगातार आरक्षण का मुद्दा गूंज रहा है. एक तरफ जहां बीजेपी विपक्षी गठबंधन पर मुस्लिमों को आरक्षण देने का आरोप लगा रही है तो वहीं विपक्षी दल भी इस मामले पर खुलकर सामने आ गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी नेता अपनी रैलियों में कांग्रेस पर धर्म के आधार पर आरक्षण देने का आरोप लगा रहे हैं. 

ये पहली बार नहीं है जब मुस्लिम आरक्षण चुनावी मुद्दा बना है. पिछले साल जब कर्नाटक और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव हुए थे, तब भी ये मुद्दा बना था. तब एक रैली में अमित शाह ने कहा था कि मुस्लिमों को आरक्षण संविधान के खिलाफ है.

'4 जून के बाद समीक्षा करेगी सरकार'

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने कहा, 'उत्तर प्रदेश में आरक्षण में मुस्लिम जातियों को लेकर समीक्षा होगी. यह देखा जाएगा कि उन्हें किस आधार पर ओबीसी की श्रेणी में रखा गया है. उत्तर प्रदेश की सरकार मुस्लिम आरक्षण की समीक्षा करेगी. धार्मिक आधार पर मिलने वाले आरक्षण को हम कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे और सरकार इसे 4 जून के बाद देखेगी.'

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कलकत्ता हाई कोर्ट ने खारिज किए ओबीसी सर्टिफिकेट

हाल ही में कलकत्ता हाई कोर्ट ने 2010 के बाद से पश्चिम बंगाल में जारी किए गए सभी ओबीसी प्रमाणपत्रों को खारिज कर दिया था. जज तपब्रत चक्रवर्ती और राजशेखर मंथा की खंडपीठ ने ओबीसी प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर यह फैसला सुनाया था.

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