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15 मई के बाद कोरोना संक्रमण के आंकड़े घटे लेकिन मृत्यु दर क्यों नहीं? ये है वजह

देश में कोविड-19 के मामले सात अगस्त को 20 लाख, 23 अगस्त को 30 लाख, पांच सितंबर को 40 लाख और 16 सितंबर को 50 लाख के पार पहुंच गए थे. वहीं, 28 सितंबर को 6 लाख, 11 अक्टूबर को 70 लाख, 29 अक्टूबर को 80 लाख, 20 नवंबर को 90 लाख और 19 दिसंबर को एक करोड़ के आंकड़े को पार कर गए थे. भारत ने चार मई को दो करोड़ संक्रमितों का गंभीर आंकड़ा पार किया था.

कोरोना मृत्यु दर ज्यादा क्यों? (फाइल फोटो) कोरोना मृत्यु दर ज्यादा क्यों? (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 मई 2021,
  • अपडेटेड 7:42 PM IST
  • मई महीने में कोरोना मृत्यु दर ज्यादा
  • 15 मई के बाद आ रहे थे कम कोरोना केस
  • संक्रमण केस कम तो मृत्यु दर ज्यादा क्यों?

आंकड़ों के मुताबिक देश में कोरोना की रफ्तार सुस्त पड़ रही है. यही नहीं पिछले कुछ दिनों के आंकड़ों को देखें तो भारत और भी कई मामलों में सुधार देख रहा है, जैसे- रोजाना के संक्रमण मामले, पॉजिटिविटी टेस्ट रिपोर्ट और संक्रमण का फैलाव पहले की तुलना में काफी कम हुए हैं.

हालांकि एक पैरामीटर पर हेल्थ अथॉरिटी की चिंता कम नहीं हुई है- कोरोना मृत्यु दर. हालांकि कोरोना महामारी में तबाह हुए दूसरे देशों की तुलना में देखें तो यहां पर कोरोना मृत्यु दर कम ही रही है. इस आंकड़े में जो भी उछाल देखा गया है वह मई के दूसरे हाफ में देखा गया है. 

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स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक मई के पहले 15 दिनों में देश में 58,431 लोगों की मौत हुई, जो कि केस मृत्यु दर (CFR) के मुताबिक 1.06 प्रतिशत है. हालांकि अगले 14 दिनों में (मई 16-29) देश ने 55,688 नागरिकों को खोया है. केस मृत्यु दर (CFR) के मुताबिक यह आंकड़ा 1.73 प्रतिशत है. हालांकि एक सच यह भी है कि मई के दूसरे हाफ में (15 मई से पहले की तुलना में) कोरोना मामलों में 42 प्रतिशत की कमी आई. 

2021 की बात करें तो मई महीने में केस मृत्यु दर (CFR) सबसे अधिक 1.31 प्रतिशत रहा. यही आंकड़ा जनवरी महीने में 1.15 प्रतिशत था, वहीं मार्च महीने में यह आंकड़ा 0.52 प्रतिशत था. वहीं भारत की कुल मृत्यु दर देखें तो वह 1.17 प्रतिशत है. अगर रोज के औसत मृत्यु केस भी देखें तो 2020 में कोरोना संक्रमण फैलने के बाद से मई (2021) महीना सबसे खराब रहा है. 
 
मई 2021 में रोजाना औसतन 3,935 मरीजों की जान गई है. जबकि इससे पहले अप्रैल तक यही आंकड़ा 1,631 था. कोरोना के लिहाज से आखिरी दो महीने कितने खराब रहे, यह समझने के लिए फरवरी 2021 के आंकड़ों को भी जोड़ते हैं. फरवरी महीने में रोजाना 99 कोरोना मरीजों की जान जा रही थी. ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब देश में कोरोना संक्रमण के आंकड़े कम हो रहे थे तो मृत्यु दर इतनी ज्यादा क्यों थी? 

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इस बारे में वैज्ञानिक व्याख्या यह की गई है कि संक्रमित होने का आंकड़ा और मृतकों का आंकड़ा लगभग दो सप्ताह पीछे रहा. यानी कि अगर कोई शख्स 3 मई को संक्रमित हुआ और दो हफ्ते बाद उसकी मृत्यु हुई तो वह 15 मई के बाद वाले आंकड़ों में गिना जाएगा. यही वजह रही कि मई के दूसरे हाफ में संक्रमितों का आंकड़ा तो कम हुआ लेकिन मौत के आंकड़ों में कमी नहीं आई. 

यानी इस तर्क के मुताबिक, 15 मई के बाद कोरोना संक्रमण के आंकड़े कम होने शुरू हुए, इसलिए मृत्यु दर में कमी जून महीने से देखी जाएगी. पिछले कुछ दिनों के आंकड़े अगर देखें तो कोरोना मृत्यु दर में गिरावट भी आई है. इसलिए कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में मृत्यु दर में और गिरावट देखी जाएगी.

पीयूष अग्रवाल और ओरिन बासु की रिपोर्ट...

 

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