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केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने ओडिशा सरकार से अठागढ़ क्षेत्र में हाथी को गोली मारकर हत्या किए जाने पर विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी है. साथ ही वन्यजीव हत्यारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. भारत के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को ट्वीट कर राज्य में लगातार अवैध रूप से हाथियों की मौत पर दुख प्रकट किया था. जिसके बाद मंत्री भूपेंद्र यादव ने जवाब दिया और हाथी की मौत के पीछे शिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का वादा किया. साथ ही पर्यावरण मंत्रालय ने इस घटना पर संज्ञान लिया.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ट्वीट कर कहा, “हाथी हमारे विरासत पशु हैं और इन्हें वन्यजीव अधिनियम के तहत सर्वोच्च संरक्षण दिया गया है. हमारे मंत्रालय ने राज्य में हाथियों के शिकार की घटनाओं पर ओडिशा सरकार से रिपोर्ट मांगी है. जिसके बाद पर्यावरण मंत्रालय के प्रोजक्ट एलीफेंट डिवीजन ने ओडिशा सरकार को लिखे पत्र में हाथियों की हत्याओं में शामिल लोगों के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई की मांग की है."
चार दिन में एक हाथी की मौत
ओडिशा हाथियों की हत्या का क्षेत्र बन चुका है. ओडिशा में औसतन चार दिनों में एक हाथी की मौत होती है, जो कि पर्यावरण एवं हाथी प्रेमियों के लिए चिंता का विषय है. ओडिशा में लगभग 95 प्रतिशत से अधिक हाथियों की मौत अवैध कारणों से होती है. साथ ही प्रदेश में अवैध शिकार के अलावा, लोगों के साथ संघर्ष, प्राकृतिक आवास का नुकसान, बिजली का करंट और ट्रेन दुर्घटनाएं हाथियों की मौत का प्रमुख कारण रहा है. हाथियों की मौत को रोकने में राज्य वन विभाग पूरी तरह से विफल रहा है.
10 साल के हाथी की हत्या
जानकारी के मुताबिक, अठागढ़ वन क्षेत्र में शिकारियों ने 10 वर्षीय हाथी के शरीर पर पांच से छह जगहों पर गोलियां मारी थीं. वह हाथी 7 जून को वन विभाग के नरसिंहपुर पूर्वी रेंज में एक नाले के पास जख्मी रुप से खून से लथपथ पाया गया था. हाथी की उपचार के दौरान बुधवार को मौत हो गई.
12 साल में 947 हाथियों की मौत
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ओडिशा के निवासी हैं. उन्होंने राज्य में हाथियों की मौत पर दुख प्रकट करते हुए बुधवार को ट्वीट किया. प्रधान ने बताया कि राज्य के अठागढ़ वनमंडल में एक घायल हाथी की मौत सभी वन्यजीव प्रेमी लोगों के लिए दुख की बात है. यह ओडिशा में केवल एक बार की घटना नहीं है. बल्कि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ओडिशा में पिछले 12 सालों में अवैध रूप से शिकार, जहर देने, करंट लगने और हादसों में करीब 947 हाथियों की मौत हुई है. ओडिशा में पिछले साल सितंबर से प्रदेश के विभिन्न वन क्षेत्रों में करीब 10 हाथियों के शव दफन पाए गए हैं.
ओडिशा की अनूठी पहचान हैं हाथी
प्रधान ने ट्वीट कर कहा कि ओडिशा के घने जंगल और वन्यजीव हमारे राज्य की एक अनूठी पहचान हैं. हाथी हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के स्तंभ हैं और पार्यवरण और वन संरक्षण में उनकी विशेष भूमिका है. ओडिशा में पिछले कुछ वर्षों में हाथियों की मौत की बढ़ती संख्या सभी के लिए गंभीर चिंता का विषय है. हाथी और पर्यावरण संरक्षण के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं, लेकिन उनके बचाव में वन अधिकारी कोई ठोस कदम उठाने में विफल होते हैं. आमतौर पर शिकारी द्वारा हाथियों की हत्या कर खेतों में दफन करने की रिपोर्ट सामने आई है. कटक जिले के अठागढ़ वन क्षेत्र में एक हाथी के कंकाल के अवशेष को जमीन के भीतर से निकाला गया. वहीं, बडम्बा रेंज में दो हाथियों के कंकालों की बरामदगी के मामले की जांच की जा रही है. कुछ साल पहले वन क्षेत्र में राजानगर में एक मादा हथिनी की बम चबाने से मौत हो गई थी.
वन विभाग से मांगी गई रिपोर्ट
मंत्रालय ने बुधवार को राज्य के वन विभाग से 10 वर्षीय हाथी पर कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी, जो शिकारियों द्वारा घायल हो गया था और बाद में उपचार के अठागढ़ वन मंडल में मौत हो गई. साथ ही मंत्रालय ने ओडिशा सरकार से हाथियों की मौत पर एक रिपोर्ट मांगी है. जिसमें राज्य में अवैध शिकार के कारण शामिल हैं. इस घटना पर आजतक संवावदाता ने पीसीसीएफ (डब्लयूएल) और सीडब्लयूएलडब्ल्यू से कॉल पर बातचीत की कोशिश की, लेकिन कोई जबाव नहीं मिला.