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'डिजिटल पेमेंट पर न लगे कोई चार्ज', CTI ने वित्त मंत्री और RBI को लिखा पत्र

ऑनलाइन पेमेंट पर शुल्क लगाने की तैयारियों को लेकर व्यापारियों के संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री ने आपत्ति जताई है. इसको लेकर वित्त मंत्री और आरबीआई को पत्र भी लिखा गया है. सीटीआई का मानना है कि डिजिटल पेमेंट पर किसी भी तरह का शुल्क नहीं लगना चाहिए क्योंकि अब शहरों से लेकर गांवों में भी लोग यूपीआई के जरिए पेमेंट करने लगे हैं.

सांकेतिक फोटो सांकेतिक फोटो
पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 28 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 10:43 AM IST

डिजिटल पेमेंट पर शुल्क लगाने की तैयारियों पर व्यापारियों के संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने आपत्ति जताई है. सीटीआई चेयरमैन बृजेश गोयल ने बताया कि उन्होंने इसको लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और आरबीआई को पत्र लिखा है.

CTI के मुताबिक, भारत सबसे अधिक डिजिटल पेमेंट करने वाले देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है. बड़े शोरूम से लेकर सब्जी के ठेले पर भी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के जरिए उपभोक्ता पेमेंट करने लगे हैं. इस पर कोई चार्ज भी नहीं देना पड़ता है. मगर, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अब पेमेंट पर चार्ज लगाने की प्रक्रिया पर काम शुरू कर दिया है. इस संबंध में पब्लिक से राय भी मांगी है. कोई भी नागरिक अपना विचार 3 अक्टूबर 2022 तक फॉर्म में भरकर या RBI की ऑफिशियल मेल एड्रेस पर भेज सकता है. 

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सीटीआई का मानना है कि डिजिटल पेमेंट पर किसी भी तरह का शुल्क नहीं लगना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर-शोर से 'डिजिटल इंडिया' कैंपेन के तहत ऑनलाइन पेमेंट मोड को अपनाने का कैंपेन चलाया. यह सुरक्षित होने के साथ आसान भी है. पीएम मोदी ने खुद 'BHIM' ऐप लॉन्च किया. कई कंपनी गूगल पे, पेटीएम, फोन पे ने यूपीआई सर्विस शुरू की. धीरे-धीरे इसका चलन बढ़ा है. अब किसी को बैंक के चक्कर नहीं काटने पड़ते हैं. कैश के लिए एटीएम की लाइन में नहीं लगना पड़ता है. खरीददारी के अधिकतर केस में यूपीआई के जरिए भुगतान हो जाता है. 

गांवों में भी बढ़ा यूपीआई पेमेंट

CTI चेयरमैन ने कहा कि अब शहरों से लेकर गांवों में भी लोग यूपीआई के जरिए पेमेंट करने लगे हैं. किसी को जेब में पैसा लेकर जाने की जरूरत नहीं है. ऐसे वक्त में यदि इस पर शुल्क लगेगा, तो ये डिजिटल पेमेंट मोड पर कुठाराघात होगा. लोगों को परेशानी होगी. फिर से बैंकों और एटीएम की लाइन में लगना पड़ेगा. बाजारों में जेब कटने की घटनाएं बढ़ेंगी. 

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ट्रांजेक्शन पर चार्ज से होगा नुकसान 

सीटीआई महासचिव विष्णु भार्गव ने बताया कि व्यापारियों ने भी यूपीआई और डिजिडल मोड को स्वीकार कर लिया है. दिल्ली के कई व्यापारी काफी चिंतित हैं. रोजाना लाखों में ट्रांसजेक्शन होता है. यदि इसका चार्ज लगेगा, तो फिर से पुराने नकद मोड में लौटना पड़ेगा. CTI ने बताया कि आरबीआई द्वारा जारी किए गए चर्चा पत्र में भुगतान प्रणाली जैसे तत्काल भुगतान सेवा (IMPS), राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT), रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) प्रणाली और एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) और विभिन्न भुगतान उपकरणों जैसे शुल्क से संबंधित सभी पहलुओं को शामिल किया गया है. साथ ही आरबीआई ने कहा है कि डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और प्रीपेड भुगतान साधन (PPI) के रूप में प्राप्त फीडबैक का उपयोग नीतियों को बनाने में किया जाएगा. 

45 करोड़ फोन यूजर्स UPI को देते हैं वरीयता 

सीटीआई के अनुसार, भारत में करीब 120 करोड़ का एक बड़ा मोबाइल फोन यूजर बेस है. उनमें से 75 करोड़ लोगों के पास स्मार्टफोन हैं. 45 करोड़ फीचर फोन यूजर्स हैं, जो यूपीआई पेमेंट को वरीयता देते हैं. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक 338 बैंक यूपीआई सिस्टम पर काम कर रहे हैं. लेन-देन करने वाले यूजर्स की संख्या 638.8 करोड़ थी. यूपीआई के माध्यम से करीब 50 प्रतिशत लेनदेन 200 रुपये से कम अमाउंट के हो रहे हैं. 

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डेबिट कार्ड पर लगता है 1 फीसदी चार्ज 

CTI दो सालों से गुहार लगा रही है कि डिजिटल लेन देन पर लगने वाले चार्ज को पूरी तरह खत्म किया जाए. अभी डेबिट कार्ड पर 1 प्रतिशत और क्रेडिट कार्ड पर 1 से 2 प्रतिशत का शुल्क लगता है. CTI का कहना है कि सरकार ऐसे शुल्क का भुगतान खुद बैंकों को सब्सिडी के जरिए दे. कोई भी व्यापारी और ग्राहक एक्स्ट्रा चार्ज का पेमेंट करने से कतराता है. अभी यूपीआई ट्रांजेक्शन पर कोई चार्ज नहीं लगता है, लिहाजा इसका चलने तेजी से बढ़ा है. 

25 हजार करोड़ रुपये नकदी की छपाई में खर्च 

देश में हर साल 25 हजार करोड़ रुपये नकदी की छपाई में खर्च होते हैं. 4 से 6 हजार करोड़ रुपये नकदी की सुरक्षा और मूवमेंट पर खर्च होते हैं. यदि सरकार डिजिटल पेमेंट मोड पर किसी तरह का चार्ज नहीं लगाए और बैंकों का शुल्क सब्सिडी के तौर पर दे, तब आने वाले 2-3 सालों में करेंसी छापने का खर्च कम हो सकता है. काले धन का प्रवाह रोकना है, तो डिजिटल पेमेंट मोड को बढ़ावा देना होगा. CTI का मानना है कि किसी भी ऑनलाइन पेमेंट मोड पर चार्ज नहीं लगना चाहिए. 

 

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