
टूलकिट केस में गिरफ्तार की गईं जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि ने शनिवार को अपनी चुप्पी तोड़ी. बेंगलुरु की 22 वर्षीय दिशा रवि 'फ्राइडे फॉर फ्यूचर' नामक मुहिम की संस्थापक हैं और युवा जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग से जुड़ी हैं. दिशा रवि को किसानों के विरोध प्रदर्शन से संबंधित 'टूलकिट' सोशल मीडिया पर साझा करने में कथित तौर पर शामिल होने के लिए गिरफ्तार किया गया था और बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था.
उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर चार पेज का बयान जारी किया है. इसमें उन्होंने सवालिया अंदाज में पूछा कि पृथ्वी पर जीविका के बारे में सोचना कब अपराध बन गया? अपनी गिरफ्तारी और फरवरी में पुलिस और न्यायिक हिरासत में बिताए समय को याद करते हुए दिशा लिखती हैं, "मैं खुद से पूछती रही कि उस वक्त वहां पर होना कैसा लग रहा था, लेकिन मेरे पास कोई जवाब नहीं था. इसका सामना करने का सिर्फ एक ही तरीका था कि मैं ये सोच लूं कि मेरे साथ ये सब हो ही नहीं रहा है. पुलिस 13 फरवरी 2021 को मेरे दरवाजे पर नहीं आई थी, उन्होंने मेरा फोन और लैपटॉप नहीं लिया और गिरफ्तार नहीं किया. उन्होंने मुझे पटियाला हाउस कोर्ट में भी पेश नहीं किया."
उन्होंने आगे लिखा, "जब मैं कोर्ट में खड़ी थी तो मुझे नहीं समझ आ रहा था कि मुझे कोई कानूनी सहायता मिलेगी या मुझे खुद ही अपना पक्ष रखना होगा. जब जज ने पूछा कि क्या मुझे कुछ कहना है तो मैंने अपने मन की बात कहने का फैसला किया. इससे पहले मैं कुछ समझ पाती, मुझे पांच दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया."
उन्होंने अपने बयान में लिखा है कि जब वह तिहाड़ जेल में थी तो प्रत्येक दिन, प्रत्येक घंटा और प्रत्येक मिनट से परिचित थी. अपनी जेल कोठरी में बंद रहने के दौरान मैं सोच रही थी कि इस ग्रह पर जीविका के सबसे बुनियादी तत्वों के बारे में सोचना कब गुनाह हो गया, जो कि जितना उनका है उतना मेरा भी है
इंसानियत की पर्यावरण से तुलना करते हुए उन्होंने लिखा कि कुछ सौ की लालच का खामियाजा लाखों लोगों को क्यों चुकाना पड़ रहा है. रवि ने कहा कि ''यदि हमने अंतहीन खपत और लालच को रोकने के लिए समय पर कार्रवाई नहीं की'' तो मानव जाति अपनी समाप्ति के करीब पहुंच जाएगी.
उन्होंने दावा किया कि गिरफ्तारी के दौरान उनकी स्वायत्तता का उल्लंघन किया गया था और उनकी तस्वीरों को सभी खबरों में प्रसारित किया गया. उन्होंने कहा, ''मेरे कार्यों को दोषी ठहराया गया था - कानून की अदालत में नहीं, बल्कि टीआरपी चाहने वालों द्वारा स्क्रीन पर.''
रवि ने कहा, ''मैं भाग्यशाली थी कि मुझे उत्कृष्ट 'प्रो बोनो' (यानी किसी पेशेवर द्वारा मुफ्त में या कम फीस पर अदालत में पैरवी करना) कानूनी सहायता मिली, लेकिन उन सभी का क्या, जिन्हें यह नहीं मिलती? उन सभी का क्या जो अभी भी जेल में हैं? उन लोगों का क्या जो हाशिए पर हैं जो आपकी स्क्रीन के योग्य नहीं हैं?''
उन्होंने कहा कि चाहे जितना भी समय लगे लेकिन सच्चाई सामने आती है. उन्होंने छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के एक कार्यकर्ता सोनी सोरी के हवाले से कहा, ''हमें हर दिन धमकी दी जाती है, हमारी आवाज़ें कुचल दी जाती हैं; लेकिन हम लड़ते रहेंगे.''
बेंगलुरु के रहने वाली रवि को 16 फरवरी को दिल्ली पुलिस ने देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया था. उन्हें नये कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को विस्तारित करने के उद्देश्य से एक दस्तावेज को कथित रूप से साझा करने और संपादित करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.