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बंगाल के डॉक्टर दिलीप महालनाबिस का निधन, ओरल रिहाइड्रेशन से बचाई थी हजारों की जान

डॉक्टर दिलीप महालनाबिस का निधन हो गया है. डॉक्टर महालनाबिस ने ओरल रिहाइड्रेशन के जरिए हजारों लोगों की जान बचाई थी. उन्होंने रविवार को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के एक प्राइवेट अस्पताल में अंतिम सांस ली. वे 87 साल के थे. 

डॉक्टर दिलीप महालनाबिस (फाइल फोटोः ट्विटर) डॉक्टर दिलीप महालनाबिस (फाइल फोटोः ट्विटर)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 8:48 AM IST

पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉक्टर दिलीप महालनाबिस का निधन हो गया. डॉक्टर दिलीप महालनाबिस 87 साल के थे. वे फेफड़े के संक्रमण और अन्य बीमारियों से पीड़ित थे. ओरल रिहाइड्रेशन के क्षेत्र में किए गए कार्य के लिए पहचान रखने वाले डॉक्टर दिलीप महालनाबिस के निधन की खबर से चिकित्सकों में शोक की लहर दौड़ गई.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार डॉक्टर दिलीप महालनाबिस को फेफड़े का संक्रमण था. उन्हें अधिक उम्र के कारण स्वास्थ्य संबंधी कई अन्य समस्याएं भी थीं. डॉक्टर दिलीप महालनाबिस की तबीयत बिगड़ गई. तबीयत बिगड़ने पर उन्हें उपचार के लिए पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया.

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बताया जाता है कि उपचार के दौरान डॉक्टर दिलीप महालनाबिस का रविवार को निधन हो गया. डॉक्टर दिलीप महालनाबिस ने कोलकाता के प्राइवेट हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली. उन्हें ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी के क्षेत्र में किए गए कार्य के लिए जाना जाता है. वे पहली बार साल 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के समय सुर्खियों में आए थे.

गौरतलब है कि साल 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान बड़ी संख्या में बांग्लादेशी नागरिक पश्चिम बंगाल आ गए थे. उनके लिए कई जगह शरणार्थी शिविर बनाए गए थे. बनगांव में भी एक शरणार्थी शिविर बनाया गया था. इस शिविर में हैजा की बीमारी फैल गई. बड़ी तादाद में शरणार्थी हैजा की चपेट में आ गए थे.

डॉक्टर दिलीप महालनाबिस ने तब ओरल रिहाइड्रेशन के जरिए हजारों लोगों की जान बचाई थी. चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान के लिए कई सम्मान से नवाजा गया था. ओरल रिहाइड्रेशन के क्षेत्र में योगदान के लिए डॉक्टर महालनाबिस को साल 2006 में थाईलैंड के प्रतिष्ठित प्रिंस महिडोल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. उनके निधन पर बाल स्वास्थ्य संस्थान के निदेशक डॉक्टर अपूर्व घोष समेत कई चिकित्सकों ने गहरा शोक व्यक्त किया है.

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