
चेन्नई के एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड यूरोलॉजी (एआईएनयू) के डॉक्टरों ने एक 53 साल के व्यक्ति की जान बचाते हुए उनकी किडनी से 10 किलोग्राम वजन का "फुटबॉल के आकार" का ट्यूमर सफलतापूर्वक निकाल दिया है. यह सर्जरी देश में दूसरी इतनी बड़ी सर्जरी है.
डॉ मल्लिकार्जुन सी के नेतृत्व में यूरोलॉजिस्ट की एक टीम, जिसमें डॉ तैफ बेंदिगेरी और डॉ राजेश के रेड्डी शामिल थे, ने इस चुनौतीपूर्ण काम को सफलतापूर्वक अंजाम दिया. कडप्पा निवासी 53 वर्षीय मरीज को पेट में सूजन होने पर उन्हें एआईएनयू रेफर कर दिया गया था. जांच करने पर, डॉक्टरों ने पेट में बड़े पैमाने पर घाव की उपस्थिति पाई. इमेजिंग से पता चला कि बाएं गुर्दे से ट्यूमर उत्पन्न हो रहा था. ये इतना बड़ा था कि इसने एबडोमिनल कैविटी के दो-तिहाई हिस्से पर कब्जा कर लिया, और इसने आंतों को दाहिने निचले क्वाड्रेंट में डिस्प्लेस कर दिया था.
मरीज की स्थिति, मामले की जटिलता और उपचार पर टिप्पणी करते हुए, जाने-माने कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट और एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड यूरोलॉजी के प्रबंध निदेशक डॉ. मल्लिकार्जुन सी ने कहा, "ट्यूमर के आकार को देखते हुए, हमने रोबोटिक प्रक्रिया को खारिज कर दिया, और इसके बजाय एक खुली सर्जरी का विकल्प चुना. बड़े प्रयासों से ट्यूमर को सफलतापूर्वक हटाया जा सका. सर्जरी के बाद, हमने पाया कि ट्यूमर एक फुटबॉल के आकार का और बहुत बड़ा था. सूक्ष्म परीक्षण ने पुष्टि की कि ट्यूमर की वृद्धि कैंसरस थी.
उन्होंने बताया कि 'पेट में सूजन थी, आश्चर्यजनक रूप से रोगी ने इसे ज्यादा नोटिस नहीं किया था या दर्द के बावजूद इसे अनदेखा करता रहा. हमारी टीम ने कैंसर की चपेट में आई लेफ्ट किडनी निकाल दी है. माइक्रोस्कोपिक सर्जिकल मार्जिन ट्यूमर को पूरी तरह से हटाने के लिए स्पष्ट थे. अच्छा ये था कि रोगी को किसी अतिरिक्त चिकित्सा की आवश्यकता नहीं थी क्योंकि ट्यूमर किसी अन्य अंग में नहीं फैला था. हमने उन्हें फॉलोअप की अनदेखी के खिलाफ आगाह किया है. इससे नियमित निगरानी में मदद मिलेगी.'
इस बीच, AINU के कार्यकारी निदेशक और मुख्य सलाहकार यूरोलॉजिस्ट डॉ. पूर्णचंद्र रेड्डी ने सभी को सावधान किया. उनके अनुसार पूरी दुनिया में यूरोलॉजिकल कैंसर बढ़ रहे हैं. इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है. AINU मूत्र संबंधी विकृतियों के लिए नियमित रूप से सर्जरी करता है. अस्पताल सर्जिकल रोबोट और लेप्रोस्कोपी से सुसज्जित है जो की-होल के माध्यम से सर्जरी की सुविधा प्रदान करता है. डॉ. रेड्डी ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य के विपरीत, यदि रोगी को प्रारंभिक चरण में निदान किया जाता है, तो की-होल सर्जरी द्वारा आंशिक नेफरेक्टोमी (किडनी के स्वस्थ हिस्से को त्यागे बिना ट्यूमर को हटाना) किया जा सकता है.