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'नहीं चाहते विवाद', CJI ने संविधान के बुनियादी ढांचे पर बोलने से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को राम जेठमलानी लेक्चरर श्रृंखला के चौथे संस्करण को संबोधित किया. CJI का कहना था कि सिद्धांत के संबंध में मुझे जो भी करना चाहिए, वह अपने निर्णयों के जरिए करना चाहिए, ना कि अदालत से बाहर घोषणा के माध्यम से.

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़. (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़. (फाइल फोटो)
नलिनी शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 16 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 10:12 AM IST

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को राम जेठमलानी जन्म शताब्दी मेमोरियल कार्यक्रम में हिस्सा लिया और उन्हें याद किया. CJI ने कहा, आज का विषय बुनियादी संरचना सिद्धांत है. मैं भले ही जेठमलानी की बहुत प्रशंसा करता हूं, लेकिन बुनियादी संरचना सिद्धांत पर टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं. उन्होंने कहा- अगर मुझे इस सिद्धांत के बारे में कुछ करना है तो इसे अपने फैसले के जरिए करना होगा, ना कि अदालत से बाहर की घोषणा के जरिए.

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दरअसल, राम जेठमलानी की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में एक व्याख्यान आयोजित किया गया था, जिसका विषय था- 'क्या बुनियादी संरचना सिद्धांत ने देश की अच्छी सेवा की है?' सीजेआई चंद्रचूड़ इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होने पहुंचे. उन्होंने अपने संबोधन में कहा, मैं राम जेठमलानी जी बहुत प्रशंसा करता हूं. लेकिन एक बात जो मैं उनके साथ साझा नहीं करना चाहूंगा. वह है- विवादों को जन्म देने की उनकी क्षमता. मेरा लक्ष्य अदालतों को संस्थागत बनाना है. इसलिए मैंने सोचा, अगर मुझे इस सिद्धांत के बारे में कुछ करना है तो मुझे इसे अपने निर्णयों के माध्यम से करना चाहिए.

'जटिलता होने पर मदद करता है बुनियादी संरचना सिद्धांत'

इस वर्ष जनवरी में बुनियादी संरचना सिद्धांत के 50 वर्ष पूरे हो गये हैं. सीजेआई ने आगे कहा, मूल संरचना सिद्धांत उत्तरी सितारे की तरह है, जो संविधान की व्याख्या करने वालों का मार्गदर्शन करता है और जब आगे का रास्ता जटिल होता है तो जजों की सहायता के लिए आता है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, उन्होंने (राम जेठमलानी) सुप्रीम कोर्ट के बारे में कुछ अलग बात करने की 'अनुमति' ली थी, जिसके बारे में आम जनता को जानकारी नहीं थी.

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'कोरोना से भावनात्मक घाव दिए, अब तक नहीं उबरे लोग'

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, 'मैं आपको सुप्रीम कोर्ट के बारे में कुछ बताऊंगा जिसके बारे में आप नहीं जानते...' उन्होंने कहा, आप इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सोशल मीडिया में सुप्रीम कोर्ट के बारे में पढ़ते हैं... वे हर रोज निश्चित रूप से कानून की रिपोर्टस में हमें ट्रोल कर रहे हैं. सीजेआई ने आगे कहा, मैंने जब भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला, तब महामारी कम होने लगी थी. मुझे पता था कि मैं कितनी बड़ी जिम्मेदारी निभा रहा हूं. महामारी के कारण पेंडिंग केसों की संख्या बढ़ गई थी. हममें से अधिकांश ने किसी प्रियजन को खो दिया था. महामारी ने ना सिर्फ दुनिया को ठप कर दिया था, बल्कि भावनात्मक घाव भी छोड़े हैं जिनसे हम अभी तक उबर नहीं पाए हैं.

'वकीलों और रजिस्ट्री अधिकारियों के प्रयासों को सराहा'

उन्होंने कहा, जबकि मैं जानता था कि मुझे मामलों को त्वरित निपटाने में प्राथमिकता देनी होगी. मैं यह भी जानता था कि मुझे वकीलों और रजिस्ट्री अधिकारियों को शारीरिक और मानसिक रूप से अधिक काम करने के लिए मजबूर ना करके उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी होगी. वे जस्टिस डिलीवरी सिस्टम के पोस्टर पर्सन नहीं हैं, लेकिन वे निश्चित रूप से हर रोज आगे काम बढ़ाने में सबसे आगे हैं. यह महत्वपूर्ण है कि उनके प्रयासों को स्वीकार किया जाए.

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'हमें मानवीय पक्ष नहीं भूलना चाहिए'

सीजेआई ने कहा, अदालतों को संस्थागत बनाने से पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ती है. हमें मानवीय पक्ष को भी नहीं भूलना चाहिए. 10 महीनों के दौरान मैंने महसूस किया है कि संस्थागतकरण, पारदर्शिता बढ़ाने के अलावा, कार्यक्षेत्र को भी मानवीय बनाता है. उन्होंने आगे ऐसे उपाय बताए जिनके माध्यम से सुप्रीम कोर्ट ने उनके कार्यकाल में न्याय तक पहुंच को मजबूत करने के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाया.

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