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'भारत महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक समाज बन गया', इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बोलीं डॉ. आर बिंदु

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव साउथ 2023 के दूसरे दिन (शुक्रवार) के सत्र GENDER: The Other Frontiers to Conquer में केरल की उच्च शिक्षा और सामाजिक न्याय मंत्री डॉ. आर. बिंदु, क्लासिकल डांसर और शिक्षाविद डॉ. मेथिल देविका, सुंदरम क्लाइमेट इंस्टीट्यूट की संस्थापक और लेखिका मृदुला रमेश ने हिस्सा लिया.

 केरल की उच्च शिक्षा और सामाजिक न्याय मंत्री डॉ. आर. बिंदु (Video Grab) केरल की उच्च शिक्षा और सामाजिक न्याय मंत्री डॉ. आर. बिंदु (Video Grab)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 02 जून 2023,
  • अपडेटेड 1:28 PM IST

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव साउथ 2023 के दूसरे दिन (शुक्रवार) के सत्र GENDER: The Other Frontiers to Conquer में केरल की उच्च शिक्षा और सामाजिक न्याय मंत्री डॉ. आर. बिंदु, क्लासिकल डांसर और शिक्षाविद डॉ. मेथिल देविका, सुंदरम क्लाइमेट इंस्टीट्यूट की संस्थापक और लेखिका मृदुला रमेश ने हिस्सा लिया. इस दौरान तीनों पैनेलिस्ट ने समाज में महिलाओं की भागीदारी और चुनौतियों को लेकर अपने विचार प्रकट किए. साथ ही, देश में महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर भी अपनी बातें सामने रखीं. 

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पारिवारिक संरचना को पुनर्संकल्पित करने की आवश्यकता
कार्यक्रम में केरल की उच्च शिक्षा और सामाजिक न्याय मंत्री डॉ आर बिंदु ने कहा कि वह एक ऐसा समाज चाहती हैं, जो महिलाओं और ट्रांसजेंडर्स के लिए अनुकूल हो. उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में एक हायरार्की है और इस हायरार्की में महिलाएं सबसे नीचे आती हैं. वहीं, महिलाओं को समाज में समान दर्जा मिलने की बात पर डॉक्टर बिंदु ने कहा कि इसके लिए पारिवारिक संरचना को लोकतांत्रिक मूल्यों, प्रेम और आपसी सम्मान के आधार पर पुनर्संकल्पित करने की आवश्यकता है. 

वर्किंग महिलाओं के लिए परिवार का समर्थन जरूरी
महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर बात करते हुए सुंदरम क्लाइमेट इंस्टीट्यूट की संस्थापक मृदुला रमेश ने कहा कि अगर आप अपना करियर बनाने की दिशा में काम कर रही हैं और आप के बच्चे हैं तो आपको हर रोज ट्रेड ऑफ करना पड़ता है. ट्रेड ऑफ को समझाते हुए उन्होंने कहा कि आपको प्राथमिकताओं पर फोकस करना होगा. वहीं, उन्होंने कहा कि वर्किंग महिलाओं के लिए परिवार का समर्थन भी बहुत जरूरी है.

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परिवार की देखभाल महिलाओं की जिम्मेदारी? 
इस सवाल के जवाब में मृदुला रमेश ने कहा कि परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी 100 प्रतिशत तक महिलाओं की कंधों पर आती है. इसलिए पारिवारिक संरचना को पुनर्संकल्पित करने की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि वो दो कंपनियां चलाती हैं, जिनमें महिलाओं की भागेदारी ज्यादा है. इनमें से ज्यादातर महिलाएं छुट्टी तब लेती हैं जब परिवार से संबंधित कोई काम हो. उन्होंने बताया कि ज्यादातर महिलाओं की ऐप्लीकेशन में छुट्टी का कारण होता है कि उनका बच्चा बीमार है या उनके पति की तबीयत ठीक नहीं है. 

वहीं, इस बारे में मेथिल देविका ने बताया कि ये सच है कि समाज में महिलाओं के करियर को सेकेंड्री माना जाता है. उन्होंने बताया, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि समाज में शुरू से ही लड़कियों को इसी तरह की बातें बताई जाती हैं. उन्होंने अपने आर्ट फॉर्म की बात करते हुए कहा कि हमारे आर्ट फॉर्म में ज्यादा महिला कंपोजर नहीं हैं. मेथिल देविका की बातों का समर्थन करते हुए डॉ. आर. बिंदु ने कहा कि बचपन से ही लोगों का इस तरह का माइंडसेट कर दिया जाता है. उन्होंने कहा कि बचपन में ही लड़कियों को किचन सेट और बार्बी डॉल जैसे खिलौने दिए जाते हैं. वहीं, लड़कों को गन जैसे खिलौने दिए जाते हैं. 

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70 प्रतिशत महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार
क्लाइमेट चेंज का महिलाओं पर असर की बात करते हुए मृदुला रमेश ने कहा कि अमेरिका में हुई एक स्टडी के मुताबिक, तापमान में हर डिग्री की वृद्धि के साथ ही घरेलू हिंसा 7 प्रतिशत बढ़ जाती है. वहीं, डॉ बिंदु ने कहा कि भारत में 70 प्रतिशत महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार हैं. आगे, उन्होंने कहा कि दूसरे देशों की तुलना में  भारत महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक समाज बन गया है. 

 

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