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ड्रोन अटैक PAK आतंकियों का नया हथियार! जानिए जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर हमले की इनसाइड स्टोरी

Drone Strike on Jammu Air Base: अभी तक की जांच में जो बातें निकलकर सामने आई हैं, वो पाकिस्तान और उसके आतंकियों की साजिश की तरफ इशारा करती हैं. ये विस्फोट ड्रोन अटैक के कारण हुआ. इसका संभावित टारगेट हेलीकॉप्टर था जो पार्किंग एरिया में खड़े थे. इन धमाकों के सिलसिले में दो संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है.

जम्मू एयर बेस पर ड्रोन अटैक के बाद सेना अलर्ट (फोटो- PTI) जम्मू एयर बेस पर ड्रोन अटैक के बाद सेना अलर्ट (फोटो- PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 28 जून 2021,
  • अपडेटेड 8:05 AM IST
  • जम्मू एयरबेस पर विस्फोट से सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट
  • सैन्य अड्डों पर ड्रोन अटैक का खतरा
  • पाकिस्तान और आतंकियों की साजिश

Drone Strike on Jammu Air Base: क्या जम्मू-कश्मीर में ड्रोन के रूप में पाकिस्तानी आतंकवादियों को हमले का नया हथियार मिल गया है? ये सवाल बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि शनिवार की देर रात जम्मू के एयरफोर्स स्टेशन पर 5 मिनट में दो धमाके हुए. अब तक की जांच में यही इशारा मिलता है कि देश के किसी सैन्य अड्डे पर ये पहला ड्रोन अटैक था. जिसके बाद कई सवाल उठते हैं, जैसे कि धमाके वाले ड्रोन का रिमोट कंट्रोल कहां था? ड्रोन अटैक की साजिश का मास्टरमाइंड कौन था? आइए जानते हैं जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर धमाकों से पैदा हुए बड़े सवालों का पूरा सच..

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एयरफोर्स स्टेशन पर 5 मिनट में दो धमाके
शनिवार रात करीब एक बजे के आसपास जम्मू के एयरफोर्स स्टेशन में दो धमाकों की आवाज ने हड़कंप मचा दिया. सुबह देश की नींद इन धमाकों की खबर के साथ ही खुली. पता चला कि दोनों धमाके कम तीव्रता के थे. इसका पता लगाने के लिए देशभर की सुरक्षा और जांच एजेंसियां हरकत में आ गईं. अबतक की जांच में यही अंदेशा जताया जा रहा है कि जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर हुए धमाके ड्रोन अटैक थे, जिसकी जांच अब NIA आतंकवादी हमला मानकर कर रही है. लेकिन सवाल ये है कि क्या जम्मू के एयरफोर्स स्टेशन पर हुआ हमला किसी बड़ी साजिश का रिहर्सल है?

क्या था धमाकों का मकसद?
अभी तक की जांच में जो बातें निकलकर सामने आई हैं, वो पाकिस्तान और उसके आतंकियों की साजिश की तरफ इशारा करती हैं. भारतीय वायुसेना की तरफ से जो बातें बताई गई हैं वो ये हैं कि ये विस्फोट ड्रोन अटैक के कारण हुआ. इसका संभावित टारगेट हेलीकॉप्टर था जो पार्किंग एरिया में खड़े थे. इन धमाकों के सिलसिले में दो संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है. वायुसेना ने कहा कि धमाकों में किसी भी इक्विपमेंट या एयरक्राफ्ट को नुकसान नहीं पहुंचा है.

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जम्मू एयर बेस पहुंची जांच एजेंसियां (Photo- PTI)

वहीं सूत्रों का कहना है कि भले ही धमाकों में ज्यादा नुकसान न हुआ हो..लेकिन ये हमला जम्मू में किसी बड़ी आतंकी वारदात की साजिश की तरफ इशारा जरूर करता है. जम्मू शहर में भी दो आतंकियों को पकड़ा गया है, उनसे असलहा बारुद भी बरामद हुआ है.  

जांच की तीन थ्योरी.. 
पहली थ्योरी तो ये है कि- ड्रोन, सीमापार से भेजे गए 

दूसरी थ्योरी ये है कि- ड्रोन को जम्मू से ही ऑपरेट किया गया

जांच की एक तीसरी थ्योरी भी है- वो ये कि ये विस्फोटक गुब्बारे से गिराये गए 

क्यों खास है जम्मू एयरफोर्स स्टेशन?
दरअसल, जम्मू एयरफोर्स स्टेशन, अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सिर्फ 14 किलोमीटर की एरियल दूरी पर है. यहीं से जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में सैन्य आपूर्ति की जाती है. जम्मू एयरफोर्स स्टेशन हेलीकॉप्टर्स के पार्किंग की सबसे महत्वपूर्ण जगह है. जम्मू क्षेत्र में आपदा-राहत के लिए ज्यादातर ऑपरेशन भी इसी बेस से संचालित किये जाते हैं. इस स्टेशन के टेक्निल एरिया में विस्फोट होना भी अपने आप में चिंता की बात है, क्योंकि वहीं पर सारे एयरक्राफ़्ट और हेलीकॉप्टर होते हैं.

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सीमा पर पहले भी दिख चुके हैं ड्रोन..  
गौरतलब है कि पिछले ही महीने 14 मई को जम्मू कश्मीर के सांबा जिले में बीएसएफ ने पाकिस्तानी ड्रोन से गिराए गए हथियार बरामद किए थे. पिछले साल 22 सितंबर को जम्मू कश्मीर पुलिस ने अखनूर सेक्टर से ड्रोन से डिलीवर किये गये हथियार बरामद किए थे.

18 सितंबर 2020 को जम्मू कश्मीर पुलिस ने लश्करे तैयबा के तीन आतंकियों को गिरफ्तार किया था, जिन्हें एक रात पहले ही पाकिस्तान से ड्रोन के जरिये हथियारों की सप्लाई मिली थी. 

20 जून 2020 को बीएसएफ ने जम्म-कश्मीर के कठुआ जिले में एक जासूसी ड्रोन को मार गिराया था, साथ ही हथियार और विस्फोटक भी बरामद किए थे. 

22 सितंबर 2019 को पंजाब में भी तरनतारन जिले में ड्रोन के जरिये हथियार सप्लाई की साजिश को नाकाम किया गया था. इससे पहले 13 अगस्त 2019 को भी अमृतसर के एक गांव में पाकिस्तान का एक ड्रोन क्रैश होकर गिर गया था.

ये घटनाएं भी पुष्टि करती हैं कि जम्मू और पंजाब के बॉर्डर पर पाकिस्तान की तरफ से आतंकियों को हथियार भेजने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है. तो क्या जम्मू के एयरफोर्स स्टेशन पर हुआ हमला अगर ड्रोन अटैक था तो क्या ये हमला पाकिस्तान प्रायोजित था? इसकी पुष्टि तो अभी तक नहीं हुई है लेकिन शक गहराता जा रहा है.

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जम्मू एयरफोर्स स्टेशन

आतंकी संगठनों ने चीन से कुछ ड्रोन खरीदे थे
'आजतक' को सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि पिछले साल ही पाकिस्तान के आतंकी संगठनों ने ने चीन से कुछ ड्रोंस खरीदे थे. ये ड्रोन 20 किलो तक का पेलोड उठाने और 25 किलोमीटर तक उड़ान भरने में सक्षम थे. इनकी खास बात ये भी थी कि इनसे एक टारगेट तय कर उस पर IED गिराया जा सकता था. यानी इस बात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि अब पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तानी आतंकवादियों ने कश्मीर में ड्रोन अटैक की साजिश रची हो.

दुनिया में कई बार हमलों में ड्रोन का इस्तेमाल
भारत में भले ही पहली बार ड्रोन अटैक की घटना हुई है लेकिन दुनिया में कई बार हमलों में ड्रोन का इस्तेमाल किया जा चुका है. यहां तक कि तालिबान से लेकर ISIS तक ड्रोन्स के जरिये धमाकों को अंजाम दे चुके हैं. अफगानिस्तान से लेकर सीरिया तक में अमेरिकी सेना ड्रोन्स अटैक के जरिये कई बड़े आतंकियों को मार चुकी है. 

ड्रोन्स अटैक का एक फीचर ये भी है कि रडार हो या एंटी मिसाइल सिस्टम इसे आसानी से पकड़ा नहीं जा सकता है. लेकिन अब ऐसे ड्रोन्स पर काम किया जा रहा है जिनके जरिये ना सिर्फ बम गिराये जा सकते हैं बल्कि मिसाइलें तक फायर की जा सकती हैं.

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पाकिस्तान और उसके आतंकवादियों की ड्रोन वाली साजिश
जाहिर तौर पर जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान और उसके आतंकवादियों की ड्रोन वाली साजिश काफी वक्त से जारी है. यहां तक कि इस वक्त जब सीमा पर संघर्षविराम जारी है तब भी ड्रोन का इस्तेमाल करके पाकिस्तान की तरफ से हथियारों और गोला बारुद की सप्लाई जारी है. इसका खुलासा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन ने 'आजतक' को दिये एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में किया था.

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अब जबकि ये बात लगभग साबित हो गई है कि जम्मू के एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन अटैक हुआ था तो अब भारतीय सेना के लिए चुनौतियां और ज्यादा बढ़ गईं हैं. क्योंकि ड्रोन्स पहले से ही पाकिस्तान से आतंकवादियों को हथियार सप्लाई का जरिया बन चुके हैं और अब आतंकी हमले में ड्रोंस का इस्तेमाल बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता है.

ड्रोन अटैक की खासियत 
ड्रोन के जरिये हमले की ट्रेनिंग पर बहुत ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता. जमीनी हमलों के मुकाबले ड्रोन हमले को अंजाम देने में रिस्क भी कम है. ड्रोन इसलिए भी चुनौती हैं क्योंकि ये बेहद कम ऊंचाई पर उड़ सकते हैं और कम ऊंचाई पर उड़ने की वजह से रडार की पकड़ में आने के चांस भी कम रहते हैं.

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ऐसे में इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि आगे भी आतंकी संगठन इनका इस्तेमाल करेंगे. इसलिए भारत को अब अपने सैन्य ठिकानों की सुरक्षा व्यवस्था को ड्रोन अटैक से नाकाम करने के लिए और ज्यादा अडवांस करना होगा.

आज तक ब्यूरो
रिपोर्ट- सुनील जी भट, मंजीत नेगी, कमलजीत संधू, श्वेता सिंह

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