राष्ट्रपति बनने के बाद Droupadi Murmu का पहला भाषण, महिलाओं-आदिवासियों को लेकर कही ये बात

आज द्रौपदी मुर्मू भारत की 15वीं राष्ट्रपति बन गईं. देश के चीफ जस्टिस ने एनवी रमणा ने उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई. शपथ ग्रहण के बाद उन्होंने कहा, 'मैं देश की पहली ऐसी राष्ट्रपति हूं, जिसका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ.'

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संसद भवन में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू. (फोटो-एजेंसी) संसद भवन में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू. (फोटो-एजेंसी)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 10:48 AM IST
  • द्रौपदी मुर्मू ने कहा- गांव की पहली लड़की हूं, जो कॉलेज गई
  • देश के लोकतंत्र की शक्ति है कि मुझे यहां तक पहुंचाया- राष्ट्रपति

द्रौपदी मुर्मू ने भारत के 15वें राष्ट्रपति के तौर पर सोमवार को शपथ ली. उन्हें सीजेआई एनवी रमणा ने राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे. शपथ ग्रहण के बाद द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मैं अपने गांव की पहली लड़की हूं, जो कॉलेज गई.

द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मैं देश की पहली ऐसी राष्ट्रपति हूं, जिसका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ. स्वतंत्र भारत के नागरिकों के साथ हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए हमें अपने प्रयासों में तेजी लानी होगी. द्रोपदी मुर्मू ने कहा, मेरा जन्म ओडिशा के एक आदिवासी गांव में हुआ. लेकिन देश के लोकतंत्र की यह शक्ति है कि मुझे यहां तक पहुंचाया.

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द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मुझे राष्ट्रपति के रूप में देश ने एक ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में चुना है, जब हम अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं. आज से कुछ दिन बाद ही देश अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे करेगा. ये भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था, तभी मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी और आज आजादी के 75वें वर्ष में मुझे ये नया दायित्व मिला है.

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, मैंने अपनी जीवन यात्रा ओडिशा के एक छोटे से आदिवासी गांव से शुरू की थी. मैं जिस पृष्ठभूमि से आती हूं, वहां मेरे लिये प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना भी एक सपने जैसा ही था. लेकिन अनेक बाधाओं के बावजूद मेरा संकल्प दृढ़ रहा और मैं कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली बेटी बनी. ये हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है.

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महामहिम मुर्मू ने कहा, राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है. मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है. राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस है . ये दिन भारतीय सेनाओं के शौर्य और संयम का प्रतीक है. मैं सभी नागरिकों और सेनाओं को करगिल दिवस की शुभकामनाएं देती हूं. 

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